आईपीएच अधिकारी विजिलेंस के राडार पर

गिरि परियोजना में कम स्पेसिफिकेशन की पाइपें बिछाने के साथ मरम्मत पर खर्च दिए करोड़ों

शिमला – राजधानी शिमला के लिए पानी की सप्लाई करने वाली गिरि परियोजना में न केवल कम स्पेसिफिकेशन की पाइपें बिछाई गईं, बल्कि पाइपों की मरम्मत पर बार-बार राशि खर्च कर करोड़ों फूंके गए। ऐसे में अब विजिलेंस की जांच के राडार पर आईपीएच के अधिकारी आ गए हैं। जांच एजेंसी जल्द ही इस बारे में मामला दर्ज कर सकती है। गिरि पेयजल परियोजना में गड़बड़झाला तब सामने आया, जब इसका संचालन शिमला नगर निगम के हाथ आया। बार-बार लीकेज होने पर निगम के मेयर-डिप्टी मेयर व अधिकारी मौके पर पहुंचे तो हकीकत मालूम हुई। आरंभिक जांच में नगर निगम ने पाया कि इस परियोजना में टेंडर की शर्तों का ही पालन ही नहीं किया गया। परियोजना में पाइपों की स्पेसिफिकेशन कुछ और थी और कम स्पेसिफिकेशन की लगा दी। परियोजना में गड़बड़झाला होने की वजह से यह सही तरीके से काम नहीं कर पाई। परियोजना की कुल क्षमता 20 एमएलडी थी, लेकिन लीकेज होने से मात्र आठ से दस एमएलडी पानी शहरवासियों को मिलता रहा। नगर निगम की सरकार से की गई शिकायत पर विजिलेंस ने इसकी जांच शुरू कर दी है। परियोजना में कम स्पेसिफिकेशन की पाइपों की जांच की जा रही है।  इस बारे में कुछ दिन पहले रिकार्ड लिया गया है। विजिलेंस यह देख रही है कि परियोजना की मरम्मत पर कब और कितना पैसा खर्च किया गया। मरम्मत करने का काम किन-किन को दिया गया और इसमें क्या शर्तें रखी गईं थी, इसकी जांच हो रही है।

अब निगम ने चार करोड़ लगा ठीक करवाई शहर की पाइपें

आरोप है कि अधिकारियों ने मरम्मत के नाम पर ही आठ साल में करोड़ों रुपए खर्च कर डाले। यह काम भी ठेके पर दिया जाता रहा। परियोजना के करीब दो किलोमीटर के हिस्से की लाइन तत्काल खराब हो गई और अब जाकर नगर निगम ने करीब चार करोड़ से सामानांतर पाइपें डालकर इसको ठीक करवाया, इससे अब शहर में पानी की आपूर्ति भी इस परियोजना से बढ़ी है। ऐसे में जांच एजेंसी आईपीएच अधिकारी पर जल्द शिकंजा कसने वाली है। जांच के दायरे में 2008 से लेकर 2016 तक इस काम से जुड़े अधिकारी हैं। माना जा रहा है कि जल्द ही जांच एजेंसी मामला दर्ज करेगी।