कप्यूटर टीचर्स क्यों जांचें पेपर

पीजीटी आईपी संघ ने उत्तर पुस्तिकाओं की मूल्यांकन प्रक्रिया पर जताया रोष

गारली —  जो कम्प्यूटर टीचर नौवीं व दसवीं कक्षा में कम्प्यूटर विज्ञान विषय पढ़ा रहे हैं, उन्हें उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन से हटाया जाए व पीजीटी अध्यापकों से ही उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन करवाया जाए। यह मांग पीजीटी आईपी संघ ने उठाई है। गौर हो कि हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड द्वारा मार्च, 2017 में ली गई कम्प्यूटर विज्ञान विषय की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन प्रदेश के विभिन्न केंद्रों में सात अप्रैल से शुरू हो गया है। वहीं, जो कम्प्यूटर शिक्षक नौवीं व दसवीं कक्षा को कम्प्यूटर विज्ञान पढ़ा रहे हैं, वही कम्प्यूटर शिक्षक हाजिर मूल्यांकन केंद्रों पर मुख्य परीक्षक व पीजीजी आईपी उपपरीक्षक लगा दिए गए हैं, जबकि बोर्ड ने सत्र 2016-17 में कम्प्यूटर विज्ञान विषय का नया पाठ्यक्रम शुरू किया है। इस तरह आयोग के माध्यम से भर्ती पीजीटी आईपी अध्यापकों में कम्प्यूटर शिक्षकों को परीक्षक व उपपरीक्षक तैनात करने पर भारी रोष है। उनका कहना है कि उच्च शिक्षा प्राप्त व आयोग के माध्यम से भर्ती पीजीटी आईपी अध्यापकों को मुख्य परीक्षक लगाया जाना चाहिए था व उपपरीक्षक केवल  जमा दो कक्षा को पढ़ाने वाले पीजीटी आईपी या कम्प्यूटर शिक्षकों को लगाना चाहिए था। पीजीटी आईपी संघ के प्रधान कुलदीप धीमान ने शिक्षा बोर्ड से मांग की है कि जो कम्प्यूटर शिक्षक नौवीं व दसवीं कक्षा में कम्प्यूटर विज्ञान विषय पढ़ा रहे हैं, उन्हें उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन से हटाया जाए व योग्य अध्यापकों से ही उत्तर पत्रिकाओं का मूल्यांकन करवाया जाए। सचिव हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड व निर्देशक उच्च शिक्षा को इस बारे जानकारी दे दी गई है। संघ के अन्य सदस्य अनुराग, अशीष, मुनीष, कुलदीप, अरुण, आशा, अनुराधा, राजेंद्र, प्रदीप, कमल, सवर्ण लता व अन्य इस मौके पर उपस्थित थे। सचिव हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड धर्मशाला विशाल शर्मा ने बताया कि ऐसी कोई जानकारी नहीं है, अगर ऐसी कोई शिकायत आएगी तो उसे हल किया जाएगा।

छह महीने प्रदर्शन करते रहे शिक्षक

ध्यान देने वाली बात यह भी है कि बहुत से कम्प्यूटर शिक्षक जुलाई से लेकर दिसंबर तक अपनी सेवाओं को नियमित करवाने के लिए धरना-प्रदर्शन करते रहे तथा उन्होंने कक्षाओं का भी बहिष्कार किया था। उधर, सरकार ने 2016 में पीजीटी आईपी के 632 पदों को हिमाचल लोक सेवा आयोग के माध्यम से भरने का निर्णय लिया था। कम्प्यूटर शिक्षक इसका विरोध करते हुए मामले को उच्च न्यायालय में ले गए थे। बाद में सरकार ने इन पदों की भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी।