कुत्ता जरूर घुमाइए, पर जगह जगह फारिग तो न कराइए…!

मंडी शहर में अगर आपने आधी रात के समय बसों से उतरना है और उसके बाद घर, क्वार्टर या होटल जाना है तो संभलकर। उतरना भी होगा तो अपने साथ बचाव के लिए डंडा हाथ में लेना न भूलें। इन आवारा कुत्तों से लोगों को छुटकारा दिलाने के लिए नगर परिषद के पास कोई योजना नहीं है। इससे भी बड़ी बात उन साहबों से जुड़ी है, जो कुत्तों को फारिग कराने सड़कों पर सुबह-सुबह शान से घूमते हैं। प्रश्न यही कि क्या वे कुत्तों के लिए भी कोई स्थल सुनिश्चित नहीं कर सकते…

सटरलाइजेशन-टीकाकरण का ही सहारा

नगर परिषद के पास कुत्तों की सटरलाइजेशन (नसबंदी) व टीकाकरण ही सहारा है। कुत्तों की संख्या रोकने के लिए हर हफ्ते यह दौर चलता है। अभी तक करीब 600 कुत्तों की सटरलाइजेशन की जा चुकी है। पिछले हफ्ते ही चार कुत्तों की सटरलाइजेशन की गई है। इसके अलावा कुत्ते के ज्यादा खूंखार या पागल होने पर उसे पकड़ कर शहर से बाहर छोड़ दिया जाता है, लेकिन सटरलाइजेशन के अलावा और कोई प्रावधान नगर परिषद के पास नहीं है।

4060 को गढ़ाए दांत

मंडी शहर की हर गली, चौराहे पर कुत्तों के ठिकाने हैं। जो स्थानीय निवासी और राहगीरों के लिए यह खौफनाक है।  सुबह के सैर सपाटे और रात के समय कुत्तों के झुंडों का लोग निशाना रहते हैं। मंडी जिला में पिछले साल नवंबर तक 4060 लोगों को आवारा कुत्तों ने शिकार बनाया।

नगर परिषद के पास नहीं कोई आंकड़ा

शहर में कुत्तों का कितना आंकड़ा है  इसका नगर परषिद के पास कोई रिकार्ड नहीं है। अंदाजतन शहर में इस कुत्तों का आंकड़ा 80 के पार है। हाल ही में भी समखेतर के पास एक आवारा कुत्ते ने करीब आधा दर्जन को शिकार बनाया था।