टीएमसी को ‘डायलिसिस’ की जरूरत

By: Apr 27th, 2017 12:20 am

नेफरॉलोजी डिपार्टमेंट को भूल गई सरकार,  डा. पंकज गुप्ता भी मंडी ट्रांसफर

newsटीएमसी— इसे डा. राजेेंद्र प्रसाद मेडिकल कालेज टांडा का दुर्भाग्य कहें या सरकार की इच्छा शक्ति की कमी जो थोड़े-थोड़े समय बाद यहां से चिकित्सकों के तबादले कर दिए जाते हैं। कोई विभाग थोड़ा सा खड़ा होने लगता है तो सरकार यहां से चिकित्सक का तबादला कर उसे झटका दे देती है। इसी खींचतान में टीएमसी का नेफरोलॉजी डिपार्टमेंट आज की तारीख में पूरी तरह से अनाथ हो चुका है। बताते हैं कि यहां डायलिसिस की बागडोर संभाल रहे डा. पंकज गुप्ता का भी तबादला कर उन्हें मेडिकल कालेज नेरचौक (मंडी) भेज दिया गया है। आलम यह है कि टीएमसी में डायलिसिस के मरीज अब एक टेक्नीशियन और दो स्टाफ नर्सिस के हवाले हैं। किडनी फेलियर मरीजों का डायलिसिस करना पड़ता है। निजी अस्पताल में डायलिसिस करवाना हो तो एक बार ही दो हजार से साढ़े तीन हजार के बीच खर्च आता है, जबकि सरकारी अस्पताल में यह 500 रुपए में हो जाता है। किडनी फेलियर मरीजों को सप्ताह में एक बार तो डायलिसिस करवाना ही पड़ता है।  विदित हो कि टीएमसी में पहली बार नेफरोलोजिस्ट की पोस्ट निकली थी तो  बतौर  एपी (असिस्टेंट प्रोफेसर) डा. अजय जरयाल ने यहां कार्यभार संभाला था। बताते हैं कि उनके समय में यहां एमर्जेंसी डायलिसिस भी होते थे। यानी गंभीर हालत में भी मरीजों को एकदम से यहां से रैफर नहीं करना पड़ता था। एमर्जेंसी डायलिसिस करने का ही उनका एक माह का रिकार्ड 25 का था। इसके अलावा रूटीन में होने वाले मेंटेनेंस डायलिसिस तो होते ही रहते थे,लेकिन सरकार ने अचानक टीएमसी से एपी की पोस्ट खत्म कर दी और डा. जरयाल का आईजीएमसी शिमला तबादला कर दिया गया। लोगों की सहूलियत को देखते हुए कोर्ट ने उन्हें फिर से टीएमसी जाने के निर्देश दिए। लेकिन इसे राजनीति ही कहें कि उन्हें सरकार ने फिर से आईजीएमसी पहुंचा दिया। बाद में डायलिसिस की महत्ता को देखते हुए टीएमसी प्रशासन ने अपने स्तर पर एमडी मेडिसिन डा. पंकज गुप्ता को डायलिसिस की ट्रेनिंग करवाई जिससे यहां आने वाले लोगों को थोड़ी राहत हुई, लेकिन अब सरकार ने उनका भी ट्रांसफर यहां से कर दिया।

दो मशीनें, उनमें से भी एक खराब

बताते हैं कि टीएमसी में डायलिसिस की दो मशीनें हैं,लेकिन उनमें से भी एक खराब है। एक मरीज का डायलिसिस करने के लिए 5 से 6 घंटे का समय लग जाता है। मेडिकल कालेज को देखते हुए किडनी फेलियर से संबंधित दर्जनों मरीज यहां आते हैं, लेकिन यहां की हांफती व्यवस्थाएं उन्हें निराश कर देती हैं।

आईजीएमसी में 24 घंटे है सुविधा

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज शिमला में 24 घंटे डायलिसिस की सुविधा है। यहां दो नेफरोलॉजिस्ट हैं और  अन्य ट्रेंड स्टाफ। मेंटनेंस डायलिसिस के अलावा यहां एमर्जेंसी डायलिसिस भी होते हैं। हैरानी यह देखकर होती है कि टांडा भी आईजीएमसी की तरह मेडिकल कालेज है लेकिन सुविधाएं नाम की हैं।


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