टीएमसी में कौन खा रहा गर्भवतियों की सप्लीमेंट डाइट

दो साल में केंद्र की योजना का किसी को नहीं मिला लाभ, अब पड़ताल शुरू

टीएमसी— भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (जेएसएसके) का पूरा लाभ प्रदेश की गर्भवती महिलाओं को नहीं दिया जा रहा है। इस बात का खुलासा प्रदेश के दूसरे मेडिकल कालेज टांडा में हुआ है। प्रसूति के बाद महिलाओं को दी जाने वाली सप्लीमेंट डाइट यहां आज तक किसी गर्भवती महिला को नहीं दी गई। जानकारी के अनुसार जेएसएसके में डिलीवरी के बाद महिलाओं में आने वाली कमजोरी को रिकवर करने के लिए सप्लीमेंट डाइट का प्रावधान है। यह डाइट महिलाओं के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण होती है, क्योंकि डिलीवरी के दौरान महिलाओं में खून की कमी के अलावा अन्य कमजोरियां आ जाती हैं, जिसे रिकवर करना जरूरी होता है। सप्लीमेंट्री डाइट में नॉर्मल डिलीवरी के बाद तीन दिन तक महिलाओं को अस्पताल में रखे जाने के दौरान उन्हें रोजाना तीस रुपए अलग से फ्रूट या जूस या जो वे खाना चाहती हैं, दिया जाता है। इसी तरह जिन महिलाओं की डिलीवरी सिजेरियन होती है, उन्हें यह सुविधा सात दिनों तक मिलती है, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि जेएसएसके की इस सुविधा का लाभ टीएमसी में किसी भी गर्भवती को नहीं दिया गया। अब सवाल उठने लगे हैं कि क्या कालेज प्रशासन को इस बात की जानकारी नहीं थी? क्या सप्लीमेंट डाइट के लिए पैसा ही नहीं आया या आया तो वह पैसा कहां खर्च किया गया? इस तरह के कई सवाल हैं, जो अब उठने लगे हैं। बता दें कि वर्ष 2015 में भारत सरकार ने जच्चा-बच्चा की सुरक्षा के लिए जेएसएसके की लांचिंग किया था। इसमें गर्भवती महिलाओं और उनके नवजातों के लिए कई सुविधाएं दी गई थीं। जैसे महिलाओं को अस्पताल तक फ्री लाना और घर छोड़ना। प्रसव के दौरान निःशुल्क इलाज की सुविधा आदि। टीएमसी में रोजाना 35 से 40 महिलाओं की डिलीवरी होती है। इनमें 10 सिजेरियन भी होते हैं। यानी औसतन एक माह में 1100 से 1200 महिलाओं की डिलीवरी और हर माह 45 से 50 हजार का खेल। इस बारे में जब टीएमसी के प्रिंसीपल से संपर्क करना चाहता तो उनसे बात नहीं हो सकी।

दूसरे स्वास्थ्य केंद्रों में भी सुविधा नहीं

पुख्ता सूत्रों से जानकारी मिली है कि कुछ एक अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों को छोड़कर प्रदेश में कहीं भी यह सुविधा महिलाओं को नहीं दी जा रही है। जच्चा-बच्चा की तंदुरुस्ती के लिए सरकार ने कई तरह की योजनाएं चलाई हैं, जिनका लाभ भी उन्हें दिया जा रहा है, लेकिन यह सुविधा क्यों नहीं दी जा रही, जांच का विषय है।