डिग्री तो दी, मान्यता अभी भी नहीं

टांडा मेडिकल कालेज में रेडियोडायग्नोसिस विभाग के 2014 में पासआउट छात्र झेल रहे परेशानी

शिमला  —  सरकारी मेडिकल कालेजों की अव्यवस्थाएं अब इन कालेजों में पढ़ने वाले और पढ़ चुके छात्रों पर भारी पड़ने लगी हैं। आईजीएमसी और टांडा कालेज में अनुमति प्राप्त सीटों से छात्र डिग्रियां तो ले रहे हैं, लेकिन इन सीटों को विभिन्न अव्यवस्थाओं के चलते मान्यता नहीं मिल पा रही है। कुछ ऐसे विभाग भी हैं, जिनमें बैच पूरा होने के तीन साल बाद भी सीटों को मान्यता सरकार एमसीआई से नहीं दिला पाई है। टांडा मेडिकल कालेज में रेडियोडायग्नोसिस विभाग के छात्र भी इन्हीं अव्यवस्थाओं को झेल रहे हैं। वर्तमान में रेडियोलॉजी विभाग में तीन पीजी सीटें हैं, जो मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की स्वीकृति के बाद वर्ष 2011 से अस्थायी तौर पर संचालित हैं। यह स्वीकृति अस्थायी तौर पर वर्ष 2011-2014 के लिए इस शर्त पर दी गई थी कि कालेज प्रशासन इन सीटों के लिए निर्धारित न्यूनतम मानदंडों को वर्ष 2014 तक पूरा कर ले, इन मानदंडों को पूरा न करने की स्थिति में वर्ष 2014 के बाद से इन सीटों पर भर्ती र्बंद कर दी जाएगी और इसके बाद की भार्तियां गैरकानूनी होंगी, लेकिन 2017 में भी तीनों सीटों को एमसीआई की मान्यता नहीं मिल पाई है। बताया जा रहा है कि एमसीआई की गाइडलाइन के मुताबिक अभी भी स्टाफ विभाग में पूरा नहीं है। ऐसे में इस विभाग से पास हो चुके डाक्टर्ज के पास हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी द्वारा प्रदत्त डिग्री तो है, लेकिन इसका कोई महत्त्व नहीं है, क्योंकि ये डिग्रियां एमसीआई द्वारा मान्य ही नहीं हैं। अब ये डाक्टर्ज प्रदेश से बाहर कहीं भी रेडियोलॉजी की प्रैक्टिस नहीं कर सकते, न सरकारी नौकरी कर सकते और न ही किसी अन्य उच्च शिक्षा के लिए आवेदन कर सकते हैं।

फैकल्टी को लेकर सवाल

एमसीआई की ओर से जून, 2016 में विभिन्न कालेजों की मान्यता को लेकर जो कमेटी की बैठक हुई थी, उसमें साफ किया गया था कि जो आपत्तियां एमसीआई की ओर से लगाई गई थीं, वे दूर नहीं की गई हैं। इसलिए इन तीनों सीटों को मान्यता नहीं दी जा सकती। इसमें फैकल्टी को लेकर अन्य कई सवाल खड़े किए गए थे।