दस साल से सिर्फ इंतजार…स्वारघाट सड़क पर

स्वारघाट —  प्रदेश के प्रवेश द्वार कहे जाने वाले स्वारघाट कस्बे में यात्रियों व स्थानीय लोगों को रोजाना बस अड्डे की दिक्कत झेलनी पड़ रही हैं। बस अड्डा न होने की वजह से प्रदेश व बाहरी राज्यों से आवागमन करने वाली बसें यहां एनएच किनारे थोड़ी-थोड़ी देर ही रुकती हैं, क्योंकि वाहनों के आवागमन के लिहाज से अत्यंत व्यस्त रहने वाले इस एनएच पर यदि अधिक समय तक बसें खड़ी होंगी तो जाम की स्थिति बनेगी। लिहाजा बसें आती हैं और सवारियां उठाकर आगे अपने गंतव्यों के लिए रवाना हो जाती हैं। हालांकि साल 2007 के दौरान तत्कालीन परिवहन मंत्री जीएस बाली ने इस बस अड्डे का नींव पत्थर रखा था, लेकिन सात साल बाद वीरभद्र सरकार ने बजट स्वीकृत करके 2014 में स्वारघाट बस अड्डे के निर्माण को हरी झंडी दी थी और निर्माण कार्य भी शुरू हो गया था। शुरुआत में तो बस अड्डे का निर्माण कार्य युद्धस्तर पर चला रहा, लेकिन वर्तमान में प्रदेश के परिवहन विभाग की निष्क्रियता के चलते इस बस अड्डे का निर्माण कार्य पिछले सवा एक साल से ठप पड़ा हुआ है। हालांकि बस अड्डे के ग्राउंड फ्लोर का कार्य 90 प्रतिशत पुरा हो चुका है और स्वारघाट बस अड्डे के लिए बजट की पहली किस्त की राशि भी खर्च हो चुकी है और अभी तक परिवहन विभाग द्वारा अगली किस्त जारी नहीं हुई है। अब तो प्रदेश सरकार द्वारा स्वारघाट को उपमंडल का दर्जा भी दिया जा चुका है और एसडीएम कार्यालय भी खोला गया है। यही नहीं यहां पर सरकार के लगभग सभी विभागों के दफ्तर भी है इसलिए यहां पर कर्मचारी भी बढ़ रहे हैं। बस अड्डा न होने के कारण यात्रियों के साथ-साथ स्थानीय जनता सरकारी व निजी बस चालकों और टैक्सी आपरेटरों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। बस व टैक्सी चालकों को  मजबूरीवश अपने वाहनों को राष्ट्रीय उच्च मार्ग के दोनों तरफ  ही खड़ा करना पड़ता है, जिससे कई बार लंबा  जाम लग जाता है। सड़क किनारे वाहन खड़े होने के कारण यहां कई हादसे भी हो चुके हैं, जिनमें कई लोग अपनी जान तक गंवा चुके है, लेकिन परिवहन विभाग ने इन हादसों से कोई सबक नहीं लिया है। बस अड्डा न होने के कारण यात्रियों को कड़ाके की धूप हो या भारी बरसात या कंपकंपाती सर्दी खुले आसमान तले ही बसों का इंतजार करना पड़ता है। हालांकि अभी कुछ माह पूर्व ही लोक निर्माण विभाग ने एनएच के एक साइड वर्षाशालिका का निर्माण किया है, लेकिन वह भी नाकाफी है। उधर, प्रतिक्रिया के लिए निगम अधिकारियों से संपर्क नहीं हो सका है।