नेरचौक में डाक्टर बनना महंगा!

बाकी मेडिकल कालेजों के मुकाबले ज्यादा हो सकती है फीस

मंडी— ईएसआईसी से प्रदेश सरकार को मिले लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कालेज नेरचौक को एमसीआई की हां के बाद अब प्रदेश सरकार फीस स्ट्रक्चर का निर्धारण करेगी। इस कालेज को बिना किसी केंद्रीय मदद के प्रदेश सरकार ने अब अपने बलबूते चलाना है। कालेज को चलाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने सरकार से हर वर्ष 20 करोड़ रुपए की मांग की है, जबकि 285 करोड़ रुपए किस्तों में प्रदेश सरकार ने ईएसआईसी को भी लौटाने हैं। इसके साथ 500 बिस्तरों का अस्पताल भी चलाया जाना है। ऐसे में लाजिमी है कि अब नेरचौक मेडिकल कालेज में एमबीबीएस के लिए ली जाने वाली फीस का निर्धारण प्रदेश सरकार इन बातों को ध्यान में रखते हुए कर सकती है। हालांकि इस बात का फैसला प्रदेश सरकार कैबिनेट में लेगी, जबकि स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर की मानें तो एनआरआई सीटों को छोड़कर शेष सीटों पर फीस टांडा मेडिकल कालेज व आईजीएमसी के आसपास ही प्रदेश सरकार रखने की तैयारी में है। नेरचौक मेडिकल कालेज में अब प्रदेश सरकार इसी सत्र से 100 सीटें भरेगी, जिसमें 35 सीटें करार के तहत ईएसआईसी के कोटे में जाएंगी, जबकि 15 सीटें प्रदेश सरकार एनआरआई को देगी। इन 15 सीटों के बदले सरकार मोटी फीस लेगी। अगर ये सीटें एनआरआई कोटे से नहीं भरी जा सकीं तो इन्हें फिर हिमाचलियों को दे दिया जाएगा, लेकिन इन 15 सीटों से भी नेरचौक मेडिकल कालेज को चलाने के लिए कोई बड़ी रकम एकत्रित नहीं हो सकेगी। ऐसे में लाजिमी है कि प्रदेश सरकार अन्य मेडिकल कालेजों के बजाय नेरचौक मेडिकल कालेज की फीस बढ़ा सकती है।

15 सीटें एनआरआई के लिए

स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर का कहना है कि नेरचौक मेडिकल कालेज की फीस का निर्धारण अभी नहीं किया गया है। जल्द ही इस पर फैसला होगा, लेकिन फीस अन्य मेडिकल कालेजों के बजाय बहुत ज्यादा नहीं होगी। 15 सीटें एनआरआई को भी दी जाएगी।