बालीवुड में हिमाचल की पूनम

सियासी और मजहबी मारकाट के बीच भारत और पाकिस्तान के बंटवारे का दर्द हिमाचली बाला के अभिनय से छलक उठा। आजादी के दौर के जोखिम कोठे जैसे अस्वीकार्र्य विषय पर बनी मेगा फिल्म में पहाड़ की बेटी बड़ी-बड़ी हस्तियों को पानी पिला रही है। दर्द, अश्क, गम और जुदाई की दर्द भरी दास्तां को पूनम राजपूत ने इतने बिंदास तरीके से निभाया की बेगमजान की यह फनकार सभी की चहेती रानी बन गई। हिमाचली बेटी के अभिनय की अभी से ही जमकर तारीफ हो रही है। विद्या बालन, नसीरूद्दीन शाह, गौहर खान, चंकी पांडे जैसी नामी हस्तियां के होते हुए भी अगर बेगमजान में रानी के संभवत बिंदास और दमदार किरदार की तारीफ हो रही है, तो यह पहाड़ की बेटी पूनम राजपूत के लिए किसी ऑस्कर अवार्ड से कम नहीं है। कांगड़ा के चढियार की इस बेटी  की बड़े पर्दे पर पहली फिल्म है। बालीवुड के कई सुपरस्टार, संजीदा अभिनेता और हिट फल्में देने वाले महेश भट्ट की पारखी नजर में पहाड़ की यह बेटी अब न केवल बेगमजान बल्कि बालीवुड की क्वीन बनने के लिए तैयार है। बालीवुड में एंट्री के लिए पूनम ने खून-पसीना बहाया है। हाड तोड़ मेहनत और 18 घ्ांटे काम का ही सिला है कि पूनम अब रूपहले पर्दे पर नजर आएंगी। उससे पहले पहाड़ की यह बेटी वाया पंजाब मुंबई तक पहुंची है। पंजाबी एलबमों में काम  के अनुभव ने राह उस वक्त आसान कर दी, जब मुंबई में मुकेश छावड़ा ने बेगमजान फिल्म के लिए  स्क्रीन टेस्ट लिया। पूनम राजपूत ने प्लस टू तक की पढ़ाई चढियार में ही की है तथा उसके बाद वह हमीरपुर में भी पढ़ी है। इसी दौरान उनके पिता, जो आर्मी में थे, का निधन हो गया। पूनम ने बताया कि वह उनकी जिंदगी का बुरा समय था, तब पूनम राजपूत चडीगढ़  में  पढ़ाई के साथ-साथ नौकरी करने लगी। इसी बीच एक दिन पूनम एक ढाबे में खाना खा रही थी कि डायरेक्टर कमल प्रीत जोनी की नजर उस पर पड़ी और उन्होंने कहा कि तुम एक्टिंग करना चाहोगी। उन्होंने मुझे एक पंजाबी वीडियो गाने पर शूट करवाया और वह गाना पंजाब में बहुत चला। उसके शो ‘निडर डर के आगे जीत है’ का ऑफर आया और मैंने यह रियलिटी शो किया, उसके बाद चडीगढ़ में मुझे मेरे दोस्तों ने बालीवुड में ट्राई करने और मुंबई जाने को कहा। इसी बात पर मेरी माता जी ने कहा कि तुम छह महीने मुंबई में ट्राई करो अगर कुछ बात बनती है तो ठीक, नहीं तो घर आ जाओ।  मुंबई जाने के बाद मुझे कुछ ही दिनों में एमटीवी पर एक रियलिटी शो में काम करने का मौका मिला। उसके बाद मैंने जावेद अली की एलबम ‘यू लव से’ की, इसके बाद मैंने एक पंजाबी फिल्म ‘बट दी जट’ की, उसके बाद मुकेश छावड़ा ने मेरा बेगमजान के लिए ऑडिशन लिया तथा मुझे इस फिल्म में काम करने का मौका मिला। इस फिल्म में रानी के किरदार में मेरा इमोशनल रोल है। इस फिल्म में मुझे बड़े कलाकारों के साथ काम करने का और बहुत कुछ सीखने का मौका मिला।

मुलाकात

धर्मशाला मेरी नजर में अच्छा फिल्म सिटी बन सकता है…

क्या ख्वाब लेकर यहां तक पहुंची या रास्ता खुद मंजिल बनता गया?

बालीबुड में पहुंचने का तो ख्बाव देखा नहीं था, परंतु बचपन से ही मुझे एक्टिंग करना, खेलना, गाने का बहुत शौक था। बस चडीगढ़ में  मुझे पढ़ाई के दैरान डायरेक्टर कमल प्रीत जोनी ने ब्रेक दिया और एक के बाद एक करीब चालीस एलबम की और यहां  तक का मेरा रास्ता बनता गया।

जो सिर्फ आपके व्यक्तित्व में है?

मैं अंदर से बहुत स्ट्रांग हूं। मैं सीधी बात करती हूं। मैं लड़कों जैसी हूं और बहुत मेहनत करती हूं।

आपका सबसे बड़ा ‘टीचर’ कौन?

मैं अपने पिता जी को अपना सबसे बड़ा गुरु मानती हूं क्योंकि मेरे पिता जी ने मुझ में बचपन से ही आत्मविश्वास  भरा है, मुझे बलवान बनाया है और बहुत कुछ सिखाया है। वह बोलते  थे कि तुम मेरा बेटा हो बेटी नहीं और आज मैं उन्हें बहुत मिस करती हूं।

कोई पहाड़ी गाना जिसे गुनगुनाना चाहेंगी?

हिमाचली पहाड़ी गीत जो में अकसर गुनगुनाती हूं ओ नीलमा ओ नीलमा आजे ना जाया ना जाया तू,  यह दिल नी लगाना ओ नीलमा’।

आपके अनुभव में कोई एक्टर क्यों और कैसे बनता है?

मेरा मानना है कि एक कलाकार ही अपनी मेहनत से  एक अच्छा एक्टर बन पता है।

चढि़यार से मुंबई के बीच सबसे महत्त्वपूर्ण पड़ाव क्या रहा?

मेरा सबसे बड़ा पड़ाव रहा जब चंडीगढ़ में मेरी पढ़ाई के दौरान मेरे  पिता जी की मृत्यु हो गई और मुझे पढ़ाई बीच में छोड़ कर जॉब करने की ओर सोचना  पड़ा, परंतु उसी समय जिंदगी ने करवट बदली और मुझे एक्टिंग करने का मौका मिला

कोई एक बदलाव जो खुद में कर पाईं और जो करना चाहती हैं?

बालीवुड में संघर्ष ने मुझे एक अच्छा इनसान बनाया है और बनी हूं।  मुझे हर दिन कुछ न कुछ सीखने को मिलता है। मैं बहुत सारे लोगों में साथ एडजस्ट करने लगी हूं। मुझमें और अधिक आत्मविश्वास बढ़ा है।

कितनी सरल या कठिन है बालीवुड की डगर और शोहरत पाने का सफर?

इतना आसान नहीं बालीबुड में पहुंचना। बालीवुड तक पहुंचने के लिए  बहुत ही संघर्ष करना पड़ता है। बालीवुड में पूरी दुनिया से लोग आते हैं। एक कलाकार के पीछे हजारों कलाकार खड़े होते है ऑडिशन देने के लिए। मै समझती हूं कि बालीवुड की डगर और शोहरत पाना आसान नहीं है।

आपके लिए सफलता के मायने किस तरह आकलन या सोच पर निर्भर करते हैं?

सफलता मेहनत करके ही पाई जा सकती है। मैं एक मध्यम परिवार से हूं और अपनी मेहनत से ही यहां तक पहुंची हूं। मैं समझती हूं कि जितनी ज्यादा मेहनत की जाए, सफलता भी उतनी ही अधिक मिलती है

हिमाचल में अगर फिल्म सिटी बनानी हो, तो आपका प्रिय स्थान कौन सा रहेगा?

अगर हिमाचल में फिल्म सिटी बनानी हो, तो मैं समझती हूं की धर्मशाला में फिल्म सिटी बने, क्योंकि धर्मशाला फिल्म सिटी के हिसाब से हिमाचल में बेस्ट प्लेस होगा।

क्या कंगना रणौत से प्रभावित हुईं या किस अभिनेत्री की ओर देखती हैं?

मैं कंगना से बहुत ही ज्यादा प्रभावित हूं। वह एक बहुत ही अच्छी एक्ट्रेस हैं। उन्हें दो तीन राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं। मुझे गर्व महसूस होता है कि इतनी बड़ी बालीवुड की कलाकार हिमाचल से है।

मां से आपका अभिप्राय रिश्ते से बड़ा कैसे?

दुनिया में  मां का रिश्ता ही सबसे बड़ा रिश्ता होता है।

अब तक के सफर में सबसे मुश्किल क्षण या असफल होने के बाद उम्मीदों को बचाए रखने की आपकी ताकत क्या रही ?

मैं जब भी असफल हुई या मेरे जीवन में मुश्किल क्षण आए, तो मैं हमेशा अपने पिता जी की बातें याद करती हूं। वह बोलते थे कि जो इनसान फेल नहीं होता, उसके पास अच्छा अनुभव नहीं होता है और जो आदमी असफल होकर सफलता पाता है उस सफलता में और भी अधिक मजा आता है। मैं गणपति में भी बिलीव करती हूं।

हिमाचल में थियेटर को कहां देखती हैं और अगर एक सुझाव आप देना चाहें, तो वह क्या होगा?

हिमाचल में अधिकतम लोगों को थियेटर के बारे में पता नहीं है। हां, हिमाचल में थियेटर खुलने चाहिए, जिससे प्रदेश के कलाकारों को आगे बढ़ने का मौका मिले। मैं चाहती हूं कि हिमाचल में स्कूलों में भी थियेटर  का विषय होना चाहिए, जिससे बच्चों को एक्टिंग  करने के बारे में सिखाया जाए।

बेगम जान के भीतर आपका जानदार पक्ष क्या है। कोई डायलॉग शेयर करेंगी?

बेगम जान में मैं रानी के किरदार में हूं, जो अपने हक के लिए लड़ती है। बेगम जान का मुझे अच्छा डायलॉग ‘महीना हमें  गिनना आता है साहब साला हर महीना लाल करके जाता है’  लगता है, इस फिल्म में दिखाया गया है कि औरतें अपने हक के लिए लड़ती हैं।

अब तो ग्लैमर नजदीक आ रहा है, तो पूनम खुद में सबसे बड़ा परिवर्तन क्या देखती हैं?

ग्लैमर का तो पता नहीं, पर मुझे अपनी कला को और अधिक निखारना है और रही परिवर्तन की बात तो मै खुद में बहुत ज्यादा परिवर्तन नहीं देखती हूं।

अंकुश राणा, चढि़यार