मुलाकात
धर्मशाला मेरी नजर में अच्छा फिल्म सिटी बन सकता है…
क्या ख्वाब लेकर यहां तक पहुंची या रास्ता खुद मंजिल बनता गया?
बालीबुड में पहुंचने का तो ख्बाव देखा नहीं था, परंतु बचपन से ही मुझे एक्टिंग करना, खेलना, गाने का बहुत शौक था। बस चडीगढ़ में मुझे पढ़ाई के दैरान डायरेक्टर कमल प्रीत जोनी ने ब्रेक दिया और एक के बाद एक करीब चालीस एलबम की और यहां तक का मेरा रास्ता बनता गया।
जो सिर्फ आपके व्यक्तित्व में है?
मैं अंदर से बहुत स्ट्रांग हूं। मैं सीधी बात करती हूं। मैं लड़कों जैसी हूं और बहुत मेहनत करती हूं।
आपका सबसे बड़ा ‘टीचर’ कौन?
मैं अपने पिता जी को अपना सबसे बड़ा गुरु मानती हूं क्योंकि मेरे पिता जी ने मुझ में बचपन से ही आत्मविश्वास भरा है, मुझे बलवान बनाया है और बहुत कुछ सिखाया है। वह बोलते थे कि तुम मेरा बेटा हो बेटी नहीं और आज मैं उन्हें बहुत मिस करती हूं।
कोई पहाड़ी गाना जिसे गुनगुनाना चाहेंगी?
हिमाचली पहाड़ी गीत जो में अकसर गुनगुनाती हूं ओ नीलमा ओ नीलमा आजे ना जाया ना जाया तू, यह दिल नी लगाना ओ नीलमा’।
आपके अनुभव में कोई एक्टर क्यों और कैसे बनता है?
मेरा मानना है कि एक कलाकार ही अपनी मेहनत से एक अच्छा एक्टर बन पता है।
चढि़यार से मुंबई के बीच सबसे महत्त्वपूर्ण पड़ाव क्या रहा?
मेरा सबसे बड़ा पड़ाव रहा जब चंडीगढ़ में मेरी पढ़ाई के दौरान मेरे पिता जी की मृत्यु हो गई और मुझे पढ़ाई बीच में छोड़ कर जॉब करने की ओर सोचना पड़ा, परंतु उसी समय जिंदगी ने करवट बदली और मुझे एक्टिंग करने का मौका मिला
कोई एक बदलाव जो खुद में कर पाईं और जो करना चाहती हैं?
बालीवुड में संघर्ष ने मुझे एक अच्छा इनसान बनाया है और बनी हूं। मुझे हर दिन कुछ न कुछ सीखने को मिलता है। मैं बहुत सारे लोगों में साथ एडजस्ट करने लगी हूं। मुझमें और अधिक आत्मविश्वास बढ़ा है।
कितनी सरल या कठिन है बालीवुड की डगर और शोहरत पाने का सफर?
इतना आसान नहीं बालीबुड में पहुंचना। बालीवुड तक पहुंचने के लिए बहुत ही संघर्ष करना पड़ता है। बालीवुड में पूरी दुनिया से लोग आते हैं। एक कलाकार के पीछे हजारों कलाकार खड़े होते है ऑडिशन देने के लिए। मै समझती हूं कि बालीवुड की डगर और शोहरत पाना आसान नहीं है।
आपके लिए सफलता के मायने किस तरह आकलन या सोच पर निर्भर करते हैं?
सफलता मेहनत करके ही पाई जा सकती है। मैं एक मध्यम परिवार से हूं और अपनी मेहनत से ही यहां तक पहुंची हूं। मैं समझती हूं कि जितनी ज्यादा मेहनत की जाए, सफलता भी उतनी ही अधिक मिलती है
हिमाचल में अगर फिल्म सिटी बनानी हो, तो आपका प्रिय स्थान कौन सा रहेगा?
अगर हिमाचल में फिल्म सिटी बनानी हो, तो मैं समझती हूं की धर्मशाला में फिल्म सिटी बने, क्योंकि धर्मशाला फिल्म सिटी के हिसाब से हिमाचल में बेस्ट प्लेस होगा।
क्या कंगना रणौत से प्रभावित हुईं या किस अभिनेत्री की ओर देखती हैं?
मैं कंगना से बहुत ही ज्यादा प्रभावित हूं। वह एक बहुत ही अच्छी एक्ट्रेस हैं। उन्हें दो तीन राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं। मुझे गर्व महसूस होता है कि इतनी बड़ी बालीवुड की कलाकार हिमाचल से है।
मां से आपका अभिप्राय रिश्ते से बड़ा कैसे?
दुनिया में मां का रिश्ता ही सबसे बड़ा रिश्ता होता है।
अब तक के सफर में सबसे मुश्किल क्षण या असफल होने के बाद उम्मीदों को बचाए रखने की आपकी ताकत क्या रही ?
मैं जब भी असफल हुई या मेरे जीवन में मुश्किल क्षण आए, तो मैं हमेशा अपने पिता जी की बातें याद करती हूं। वह बोलते थे कि जो इनसान फेल नहीं होता, उसके पास अच्छा अनुभव नहीं होता है और जो आदमी असफल होकर सफलता पाता है उस सफलता में और भी अधिक मजा आता है। मैं गणपति में भी बिलीव करती हूं।
हिमाचल में थियेटर को कहां देखती हैं और अगर एक सुझाव आप देना चाहें, तो वह क्या होगा?
हिमाचल में अधिकतम लोगों को थियेटर के बारे में पता नहीं है। हां, हिमाचल में थियेटर खुलने चाहिए, जिससे प्रदेश के कलाकारों को आगे बढ़ने का मौका मिले। मैं चाहती हूं कि हिमाचल में स्कूलों में भी थियेटर का विषय होना चाहिए, जिससे बच्चों को एक्टिंग करने के बारे में सिखाया जाए।
बेगम जान के भीतर आपका जानदार पक्ष क्या है। कोई डायलॉग शेयर करेंगी?
बेगम जान में मैं रानी के किरदार में हूं, जो अपने हक के लिए लड़ती है। बेगम जान का मुझे अच्छा डायलॉग ‘महीना हमें गिनना आता है साहब साला हर महीना लाल करके जाता है’ लगता है, इस फिल्म में दिखाया गया है कि औरतें अपने हक के लिए लड़ती हैं।
अब तो ग्लैमर नजदीक आ रहा है, तो पूनम खुद में सबसे बड़ा परिवर्तन क्या देखती हैं?
ग्लैमर का तो पता नहीं, पर मुझे अपनी कला को और अधिक निखारना है और रही परिवर्तन की बात तो मै खुद में बहुत ज्यादा परिवर्तन नहीं देखती हूं।
अंकुश राणा, चढि़यार