भारत में राष्ट्रपति प्रणाली कितनी जरूरी …

दिल्ली में चर्चित लेखक एवं विचारक भानु धमीजा की पुस्तक का लोकार्पण आज

नई दिल्ली— भारत में राष्ट्रपति प्रणाली कितनी जरूरी है और कितनी बेहतर साबित होगी,इस मुद्दे पर एक राष्ट्रीय विमर्श शुक्रवार को आयोजित किया जाएगा। मौका चर्चित लेखक एवं विचारक भानु धमीजा की नई पुस्तक के लोकार्पण का है। इस समारोह की अध्यक्षता पूर्र्व केंद्रीय मंत्री एवं लोकसभा सांसद शांता कुमार  करेंगे, जबकि मुख्य अतिथि डा. शशि थरूर और विशिष्ट अतिथि सुभाष कश्यप  होंगे। गौर हो कि करीब एक साल पहले भानु धमीजा की पुस्तक अंग्रेजी में हार्पर कॉलिन्स ने प्रकशित की थी। उसकी चौतरफा चर्चा और प्रशंसा के बाद अब प्रभात प्रकाशन ने हिंदी संस्करण प्रकाशित किया है।  भारत में राष्ट्रपति प्रणाली कितनी जरूरी कितनी बेहतर पर आधारित  इस पुस्तक का लोकार्पण समारोह दिल्ली के कंस्टीच्यूशन क्लब के स्पीकर हाल में सायं 6 बजे शुरू होगा! चूंकि इस मुद्दे पर डा. शशि थरूर संसद में भी सक्रिय रहे हैं और एक निजी बिल भी प्रस्तुत किया था! लिहाजा वह मुख्य वक्ता के तौर पर अपना पक्ष रखेंगे कि भारत में संसदीय प्रणाली के बजाय राष्ट्रपति प्रणाली क्यों महत्त्वपूर्ण और ज़रूरी है। दूसरे वक्ता संविधान विशेषज्ञ डा. सुभाष कश्यप हैं। वह कई वर्षों तक और कुछ सरकारों के दौरान लोकसभा में महासचिव के पद पर रहे हैं। संसद और संविधान को लेकर उनके दस्तावेजी लेखन और चिंतन को दुनिया जानती है। डा. कश्यप इस मौके पर क्या खुलासा करते हैं, यह समारोह के बाद का सच होगा, लेकिन इतना तय है कि वह विमर्श को कोई नया आयाम जरूर देंगे। पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं लोकसभा सांसद शांता कुमार इस मुद्दे के पुराने मर्मज्ञ हैं, क्योंकि यह संघ परिवार की विरासत का मुद्दा रहा है कि भारत में  राष्ट्रपति प्रणाली का शासन होना चाहिए। केंद्र में वाजपेयी सरकार के दौरान यह मुद्दा बहुत गरमाया था। लालकृष्ण आडवाणी भी सहमत थे, लेकिन राजनीतिक कारणों से यह मुद्दा सिरे नहीं चढ़ पाया था।

लेखक बताएंगे राष्ट्रपति प्रणाली की महता

पुस्तक के लेखक एवं ‘दिव्य हिमाचल’ मीडिया ग्रुप के अध्यक्ष भानु धमीजा समारोह की शुरुआत में पुस्तक के विषय पर अपना वक्तव्य देंगे। राष्ट्रपति प्रणाली पर अंतरराष्ट्रीय संदर्भों को पेश करेंगे। राष्ट्रपति प्रणाली के संदर्भ में अमरीका और ब्रिटेन की शासन प्रणालियों को देखना बेहद महत्त्वपूर्ण है । श्री धमीजा समारोह के अतिथियों का स्वागत करेंगे और अपने अनुभवों को साझा करेंगे। इस मौके पर यूनिवर्सिटी के कुछ प्रोफेसर तथा शोधार्थी भी शिरकत करेंगे।