मछलियां मरने का सिलसिला जारी

रिवासलर – रिवालसर झील में भारी तादाद में मरी मछलियों के कारण झील परिसर में बदबू फैल गई, जिसके कारण रिवालसर में महामारी फैलने की आशंका  है। गुरुवार को भी हजारों की तादाद में मछलियां मरने का सिलसिला जारी रहा। दिन भर नगर पंचायत कर्मियों, लोक निर्माण विभाग के 50 कर्मी और सैकड़ों लोग मरी हुई मछलियों को निकालने में लगे रहे। यही नहीं एक तरफ जहां प्रशासन की टीमें मरी हुई मछलियों को निकालने में लगी हुई हैं, वहीं लोग जिंदा बची हुई मछलियों को बचाने में लगे रहे। लोग बरतनों में साफ पानी में जिंदा मछलियों को डाल कर बचाने का प्रयास करते रहे, हालांकि इसके बाद भी ज्यादातर मछलियों को नहीं बचाया जा पा रहा है। झील के पानी में अभी भी भारी तादाद में पत्तों की तरह मरी मछलियां तैर रही हैं। झील में फैले प्रदूषण से मछलियों का सफाया हो गया है । वहीं झील के पानी में एकाएक हुए परिवर्तन को स्थानीय लोग रिवालसर की पहली घटना मान रहे हैं। रिवालसर झील में दूषित पानी ने दो दिन में ही झील से मछलियों का सफाया कर दिया। उधर, रिवालसर नगर के लिए बनी उठाऊ पेयजल योजना के स्रोत में झील से निकलने वाला पानी मिलता है। झील के दूषित व विषैले पानी के पेयजल स्रोत में मिलने से रिवालसरवासियों को भी बीमारी फैलने की आशंका बनी है। हालांकि सहायक अभियंता सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग रिवालसर प्रभु राम ने बताया कि रिवालसर झील की परिधि में जो भी पेयजल योजनाएं हैं, उनके पानी के सैंपल सही पाए गए हैं। लोक निर्माण विभाग के सहायक अभियंता जितेश शर्मा ने बताया कि पूरे बल्ह से सभी कर्मचारी मरी मछलियों को हटाने में जुटे हैं । उपमंडल अधिकारी बल्ह नागरिक सिद्धार्थ आचार्य ने बताया कि झील परिसर में श्रद्धालुओं व पर्यटकों को बिना मास्क पहने जाने की मनाही है। बड़ी तादाद में गुरुवार को भी मरी हुई मछलियों को दबाया गया है।

झील किनारे न जाएं, जरूरी हो तो मास्क पहन लें

रिवालसर – ऐतिहासिक झील में मरी पड़ी मछलियों को ठिकाने लगाने में जिला प्रशासन व प्रदेश सरकार पूरी तरह नाकाम सिद्ध हो रही है। पावन झील की सरकार द्वारा की जा रही अनदेखी जनता की आस्था पर भारी पड़ रही है। यह बात राज्य भाजपा कार्य समिति के सदस्य एवं शीर्ष भाजपा नेता महंत चौधरी ने वन विश्रामगृह रिवालसर में कही। उन्होंने कहा कि झील में सड़-गल रही मछलियों से रिवालसर में सड़ांध का वातावरण बन चुका है। जिला प्रशासन व वीरभद्र सरकार झील में प्रदूषण से तड़प-तड़प कर मर रही असंख्य मछलियों को बाहर निकाल कर दबाने की व्यवस्था करने में नाकाम रहे हैं।  उन्होंने कहा कि ऐसी विकट स्थिति में रिवालसर में जानलेवा माहमारी फैलने की पूरी आशंका है। भाजपा नेता ने लोगों से आह्वान किया कि वे झील परिसर में जाने से सावधानी बरतें, अगर उस ओर जाना जरूरी है तो मास्क का प्रयोग करें। खासकर बच्चों को झील की तरफ जाने न दें। न्होंने कहा कि अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिला प्रशासन व वीरभद्र सरकार उक्त गंभीर घटना पर मूकदर्शक बने हुए हैं। उन्होेंने जिला प्रशासन व सरकार से आग्रह किया है कि उपरोक्त घटना को गंभीरता से लेकर उचित कदम उठाएं ।

मत्स्य विभाग-प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जिम्मेदार

मंडी – लगभग 11 माह पहले एनजीटी की तरफ से दिए गए सुझावों पर न तो मंडी जिला प्रशासन ने गंभीरता से गौर किया और न ही संबंधित विभागों व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कदम उठाए, जिसका खामियाजा अब लाखों मछलियों को अपनी जान देकर चुकाना पड़ा है। इस घटना के लिए किसान बचाओ हिमाचल बचाओ अभियान संयोजक देशराज शर्मा ने मत्स्य विभाग व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि इस मामले को एनजीटी में उठाया जाएगा और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की जाएगी। उन्होंने बताया कि अभियान की टीम द्वारा रिवालसर झील का दौरा करने के बाद वहां मछलियों को बचाने में कुछ बौद्ध व स्थानीय स्वयं सेवकों का हाथ बंटाया। उन्होंने कहा कि रिवालसर झील का बायोलॉजिकल आक्सीजन डिमांड (बीओडी) का स्तर सात से नौ सामान्य से अधिक हो चुका है और इसके साथ पानी में प्रदूषित भी हो गया है, लेकिन इसके बाद भी प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड व मत्स्य विभाग के अधिकारियों ने समय रहते कोई कार्रवाई नहीं की है।