झील किनारे न जाएं, जरूरी हो तो मास्क पहन लें
रिवालसर – ऐतिहासिक झील में मरी पड़ी मछलियों को ठिकाने लगाने में जिला प्रशासन व प्रदेश सरकार पूरी तरह नाकाम सिद्ध हो रही है। पावन झील की सरकार द्वारा की जा रही अनदेखी जनता की आस्था पर भारी पड़ रही है। यह बात राज्य भाजपा कार्य समिति के सदस्य एवं शीर्ष भाजपा नेता महंत चौधरी ने वन विश्रामगृह रिवालसर में कही। उन्होंने कहा कि झील में सड़-गल रही मछलियों से रिवालसर में सड़ांध का वातावरण बन चुका है। जिला प्रशासन व वीरभद्र सरकार झील में प्रदूषण से तड़प-तड़प कर मर रही असंख्य मछलियों को बाहर निकाल कर दबाने की व्यवस्था करने में नाकाम रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी विकट स्थिति में रिवालसर में जानलेवा माहमारी फैलने की पूरी आशंका है। भाजपा नेता ने लोगों से आह्वान किया कि वे झील परिसर में जाने से सावधानी बरतें, अगर उस ओर जाना जरूरी है तो मास्क का प्रयोग करें। खासकर बच्चों को झील की तरफ जाने न दें। न्होंने कहा कि अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिला प्रशासन व वीरभद्र सरकार उक्त गंभीर घटना पर मूकदर्शक बने हुए हैं। उन्होेंने जिला प्रशासन व सरकार से आग्रह किया है कि उपरोक्त घटना को गंभीरता से लेकर उचित कदम उठाएं ।
मत्स्य विभाग-प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जिम्मेदार
मंडी – लगभग 11 माह पहले एनजीटी की तरफ से दिए गए सुझावों पर न तो मंडी जिला प्रशासन ने गंभीरता से गौर किया और न ही संबंधित विभागों व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कदम उठाए, जिसका खामियाजा अब लाखों मछलियों को अपनी जान देकर चुकाना पड़ा है। इस घटना के लिए किसान बचाओ हिमाचल बचाओ अभियान संयोजक देशराज शर्मा ने मत्स्य विभाग व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि इस मामले को एनजीटी में उठाया जाएगा और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की जाएगी। उन्होंने बताया कि अभियान की टीम द्वारा रिवालसर झील का दौरा करने के बाद वहां मछलियों को बचाने में कुछ बौद्ध व स्थानीय स्वयं सेवकों का हाथ बंटाया। उन्होंने कहा कि रिवालसर झील का बायोलॉजिकल आक्सीजन डिमांड (बीओडी) का स्तर सात से नौ सामान्य से अधिक हो चुका है और इसके साथ पानी में प्रदूषित भी हो गया है, लेकिन इसके बाद भी प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड व मत्स्य विभाग के अधिकारियों ने समय रहते कोई कार्रवाई नहीं की है।