मनरेगा दिहाड़ी रोकी तो कटेगी सैलरी

By: Apr 22nd, 2017 12:40 am

तेलंगाना का मॉडल अपनाएगा हिमाचल, जिम्मेदार ओहदेदारों पर होगी कार्रवाई

newsशिमला —  हिमाचल प्रदेश में मनरेगा की दिहाड़ी यदि तय समय पर मजदूर के खाते में नहीं गई तो उसके लिए जिम्मेदार लोगों का वेतन कट जाएगा। यह वेतन काटने के लिए अलग से काम नहीं करना पड़ेगा, बल्कि एक सॉफ्टवेयर होगा, जिसके जरिए खुद ऑटो डिडक्शन हो जाएगी।  सूत्रों के अनुसार हिमाचल में इसके लिए तेलंगाना मॉडल को लागू करने की योजना है, जिसकी स्टडी के लिए प्रदेश से ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारी तेलंगाना जा रहे हैं। इसकी जिम्मेदारी विभाग के संयुक्त निदेशक भूपेंद्र सिंह अत्री को सौंपी गई है, जो वहां पर देखेंगे कि किस तरह से समय पर मनरेगा की दिहाड़ी दी जा रही है। देश में तेलंगाना इस मामले में प्रथम स्थान पर है, जहां पर एक दिन भी मनरेगा दिहाड़ी देरी से नहीं दी जाती, बल्कि समय से पहले ही मजदूरों के खाते में पैसे जमा हो जाते हैं। गौर हो कि प्रदेश में मनरेगा दिहाड़ी देने के मामले में 67 फीसदी देरी होती है। यह राष्ट्रीय स्तर पर आंकलित किया गया है। यहां 37 फीसदी काम सही समय पर हो रहा है। हालांकि राज्य सरकार ने एक प्लान तैयार कर रखा है, जिसके अनुसार ही मनरेगा मजदूरों को दिहाड़ी दी जाती है, परंतु यह प्लान गंभीरता के साथ लागू नहीं हो पाता। अभी भी यहां कभी तकनीकी सहायक के स्तर पर देरी हो जाती है तो कभी ग्राम रोजगार सेवक के स्तर पर। यही नहीं, ब्लॉक अकाउंटेंट भी इसके लिए जिम्मेदार रहते हैं। प्रदेश में तय प्लान के मुताबिक 15 दिन में मजदूर की दिहाड़ी उसके खाते में जानी चाहिए। 15 दिन का मस्टररोल बनाकर उसे चैक करके तकनीकी सहायक लेता है, जिसे चार दिन में निपटाकर उसे ग्राम रोजगार सेवक को भेजना पड़ता है। ग्राम रोजगार सेवक दो दिन में इसे पारित कर आगे भेजता है, जहां से ब्लॉक अकाउंटेंट के पास जाता है। यहां से आगे बैंक को भेजा जाता है और यह प्रक्रिया 15 दिन में पूरी कर खाते में पैसे जमा होने चाहिएं, मगर 67 फीसदी मामलों में ऐसा नहीं हो पा रहा है। इस कारण यहां मजदूर को देरी से उसके पैसे मिल रहे हैं। इसे समय पर सुनिश्चित बनाने के लिए हिमाचल में तेलंगाना मॉडल अपनाने पर जोर दिया जा रहा है।

विशेष सॉफ्टवेयर तैयार होगा

हिमाचल इस काम को अंजाम देने के लिए फुल पू्रफ सिस्टम चाहता है, क्योंकि यह योजना यहां लंबे समय तक चलेगी। इसके लिए एक सॉफ्टवेयर तैयार किया जाएगा, जो कि तेलंगाना में भी है और मोबाइल ऐप के जरिए संबंधित व्यक्ति से देरी पर उसका वेतन ऑटो डिडक्ट  कर दिया जाएगा। इसके अलावा भी कई तरह के प्रावधान होंगे जिनका पता इसकी स्टडी के बाद चलेगा।


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