इन अभागों की जलीं झुग्गियां
बिहार के दरभंगा जिला के प्रवासी मजदूर जो कि 10 से 15 वर्षों से मवां कोहलां में ही निजी भूमि पर झुग्गियां बना कर रह रहे थे, जिंदगी की कमाई राख हो गई। पीडि़तों मे श्याम लाल, सुनीता, शंभू, सुनील, राधे मुखिया, अमरजीत, शेदी लाल देवन, महेश, गंगा, विनोद, सुखदेव, सूरज, संजय साहनी, पप्पू मुखिया, पपू साहनी, सूरज, राजा, ऊषा, शाम साहनी, सुखदेव साहनी व बिट्टू साहनी आदि शामिल हैं।
बिलख-बिलख कर रो पड़ी मंजु
पीडि़ता मंजु ने बताया कि वो रोज की भांति दिहाड़ी पर गई थी, लेकिन जब वह वापस आई, तो उसने देखा कि सब कुछ जलकर राख हो गया है। अभी दो दिन पूर्व ही उसने कुछ गहने बनवाए थे।
मेहनत की कमाई मिनटों में मिट्टी
दौलतपुर चौक — गर्मियों शुरू होते ही हर वर्ष प्रवासी मजदूरों की झुग्गियां जलने के समाचार आते हैं, परंतु आग से बचने के लिए धरातल स्तर पर कोई कदम नहीं उठाए जाते। मवां कोहलां मे उक्त झुग्गियां पंचायत घर के पास निजी भूमि पर बनाई गई थी और एक के बाद एक खड़पोश झोपडि़यां बिलकुल पास-पास बनाई गई थी, यही वजह रही कि गुरुवार दोपहर बाद लगी आग से कुछ समय में ही सब कुछ जल कर राख हो गया। शुक्र रहा भगवान का कि अधिकतर बच्चे प्रवासी मजदूरों के स्कूल में थे, जो कि आग बुझने के बाद लौटे, अन्यथा बर्बादी की दास्तां खतरनाक होती। बताते चलें कि गत वर्ष भी ब्रह्मपुर व मवां कोहलां में झोपडि़यां जली थी। तब भी बर्बादी का आलम ऐसा ही था। गत सप्ताह गगरेट के पास गगरेट-मुबारिकपुर रोड के किनारे एक बच्चा भी आगजनी मे जल गया, परंतु आग से बचने का कोई कारगर कदम देखने को नहीं मिले। मवां कोहलां में यद्यपि स्थानीय लोगों व फायर ब्रिगेड ने आग पर काबू पाया, परंतु तब तक दर्जनों परिवारों के सैकड़ों लोगों की 45 खड़पोश झुग्गियां तबाह हो चुकी थी और पीडि़त परिवारों के पास नम आंखों के साथ बर्बादी का आलम देखने के सिवा कुछ न था।