रिटायरमेंट के बाद भी बांट रहे ज्ञान
रिटायर होने के बाद अधिकतर लोगों की परिवार के साथ समय बिताने, यात्रा करने या अधूरे सपने पूरे करने की इच्छा होती है, लेकिन तुमाकुरु के एक टीचर की जिंदगी रिटायरमेंट के बाद भी नहीं बदली है। जीवी वेकंटरमैया आंध्र प्रदेश की सीमा पर मधुगिरि तालुका के कोडिगेनाहल्ली के सर्वोदय कॉम्पजिट पीयू कालेज के हाई स्कूल सेक्शन में विज्ञान और इंग्लिश के टीचर हैं। यहां 33 सालों तक अध्यापन करने के बाद 31 जुलाई, 2015 को वह रिटायर्ड हो गए थे। मगर जब उन्हें लगा कि स्कूल को उनकी जरूरत है तो वह तुरंत वापस आ गए। दरअसल, उनकी जगह कोई और टीचर नियुक्त नहीं हुआ था और न ही किसी प्रतिनिधि की नियुक्ति की गई थी। यह देख वेकंटरमैया ने वापस स्कूल जाने का फैसला किया। इसके बदले उन्होंने कोई मांग नहीं रखी। वेकंटरमैया ने कहा कि वह अपने स्टूडेंट्स के लिए वापस आए। वह नहीं चाहता थे कि वे स्कूल में विज्ञान का टीचर नहीं होने की वजह से परेशानी का सामना करें। वेकंटरमैया गर्ल्स हाई स्कूल में भी पढ़ाते हैं। वह कहते हैं कि अपनी सेवा के बदले कोई उम्मीद नहीं करते। वेकंटरमैया अध्यापकों के परिवार से आते हैं। उनके पिता और अंकल टीचर थे। करियर के शुरुआत में ही सरकारी नौकरी के लिए सिलेक्ट होने के बाद भी उन्होंने टीचिंग को चुना। स्कूल के हैडमास्टर बीएस पुत्तानरसिम्हा ने बताया कि स्कूल उनके (वेकंटरमैया) इस अमूल्य योगदान के लिए आभारी हैं। कन्नड़ और इंग्लिश मीडियम वाले इस स्कूल में 400 बच्चे पढ़ते हैं। बावजूद इसके यहां साइंस का टीचर नहीं है। नरसिम्हा बताते हैं कि गर्ल्स स्कूल में बायोलॉजी टीचर की पोस्ट साल 2006 से खाली है। वह (वेंकटरमैया) उसी स्कूल में पढ़ाते हैं और कोडिगेनाहल्ली के निवासी हैं। वह रोज सुबह 10.30 बजे स्कूल पहुंच जाते हैं और 4.30 बजे तक कैंपस से बाहर नहीं जाते। वह यहां बायोलॉजी, केमिस्ट्री और इंग्लिश पढ़ाते हैं।
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