डेढ़ करोड़ की ट्रेनिंग
पैट को पहले दो साल की इनसर्विस ट्रेनिंग डाइट से करवाई गई। इस प्रशिक्षण पर ही टीए, डीए और अन्य गतिविधियों पर करीब डेढ़ करोड़ रुपए खर्च कर दिए गए। बाद में इस प्रशिक्षण को यह कहकर रद्द कर दिया गया कि यह प्रशिक्षण एमसीटीई से मान्यता प्राप्त नहीं है। इसलिए दोबारा इन शिक्षकों की दो साल की ट्रेनिंग करवाई गई। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद भी सरकार की ओर से इन अध्यापकों के नियमितीकरण की अधिसूचना जारी नहीं हुई है।
एडहॉक के बराबर मांगे वित्तीय लाभ
शिमला — पैरा टीचर्ज ने एडहॉक के बराबर वित्तीय लाभ की मांग की है। इस मांग को लेकर प्रशासनिक ट्रिब्यूनल में गए शिक्षकों के मामलों में ट्रिब्यूनल ने सरकार को जवाब देने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 13 मई को होगी। गौर हो कि पैरा टीचर्ज को दस साल की सेवाओं के बाद नियमित किया गया। रेगुलर होने के बाद उन्हें दो साल तक प्रोबेशन पीरियड पर रखा गया। शिक्षकों के मुताबिक नियमों के मुताबिक उन्हें वे वित्तीय लाभ नहीं दिए गए, जो मिलने जाहिए थे। ग्रेड-पे भी कम दिया गया। इसमें सी एंड वी को 4400 की जगह 3200, टीजीटी को 5000 की जगह 3600 और पीजीटी को 5400 की जगह 4400 रुपए ग्रेड-पे ही दिया गया। जानकारी के अनुसार प्रदेश में 1800 से अधिक पैरा टीचर्ज हैं। बताया जा रहा है कि इनकी नियुक्ति उस समय हुई थी, जब लोक सेवा आयोग बंद था। ये शिक्षक एडहॉक आधार पर दिए जाने वाले वित्तीय लाभ की तर्ज पर लाभ की मांग कर रहे है, लेकिन सरकार की ओर से इस मांग पर संतोषजनक निर्णय नहीं लिया गया। इसके बाद ही कुछ अध्यापकों ने प्रशासनिक ट्रिब्यूनल की शरण ली थी। शिक्षक दो साल के प्रोबेशन पीरियड में छूट, ग्रेड-पे और 2004 से वरिष्ठता व एडहॉक शिक्षकों के बराबर वेतनमान की मांग कर रहे हैं। अब ट्रिब्यूनल ने राममूर्ति वर्सेज स्टेट व अन्य दो मामलों में सरकार से जवाब देने को कहा है।