रैंकिंग परीक्षा में हिमाचली संस्थान फेल

By: Apr 23rd, 2017 12:10 am

बंगलूर ओवरआल नंबर-1

नेशनल इंस्टीच्यूट रैंकिंग फ्रेमवर्क में हिमाचल के संस्थान फिसड्डी ही साबित हुए। प्रदेश के इन संस्थानों में किस तरह का शोध हो रहा है, इसी विषय की तफतीश करता इस बार का दखल….

देश के टॉप 100 उच्च शिक्षण संस्थानों में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय एक बार फिर अपनी जगह नहीं बना पाया है। केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय की ओर से नेशनल इंस्टीच्यूट रैंकिंग फ्रेमवर्क के तहत देश के टॉप 100 शिक्षण संस्थानों की वर्ष 2017 की रैंकिंग जारी कर दी गई है।  रैंकिंग में ओवर ऑल संस्थानों में इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ साइंस बंगलूर को पहला स्थान दिया गया है, जबकि दूसरे स्थान पर आईआईटी चेन्नई है। प्रदेश से इस ओवर ऑल रैंकिंग में दो शिक्षण संस्थान ही अपनी जगह बनाने में सफल हो पाए हैं। इसमें इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी मंडी को 45.62 अंक से 37वां स्थान प्राप्त हुआ है व डा. वाईएस परमार बागबानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय को 39.54 अंकों के साथ ओवर ऑल रैंकिंग में 84वां स्थान मिला है।  इंजीनियरिंग संस्थानों में पहला स्थान इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी मद्रास को, दूसरा स्थान इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी मुंबई व तीसरा स्थान इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी खड़गपुर को मिला है, जबकि 28वां स्थान इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ मंडी और 59वां स्थान नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी हमीरपुर को मिला। इसके अलावा जेपी यूनिवर्सिटी ऑफ इन्फार्मेशन टेक्नोलॉजी सोलन को 83वां स्थान मिला है। मैनेजमेंट संस्थानों में इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ मैनेजमेंट अहमदाबाद को पहला, बंगलूर को दूसरा और कोलकाता को तीसरा स्थान मिला है। मैनेजमेंट में प्रदेश का कोई भी संस्थान जगह नहीं बना पाया है। देश के टॉप 100 विश्वविद्यालयों की रैंकिंग की बात की जाए तो इसमें पहला स्थान इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ साइंस बंगलूर को, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय दिल्ली को दूसरा और बनारस हिंदू विवि को तीसरा स्थान मिला है। विश्वविद्यालयों की रैंकिंग में प्रदेश से डा. वाईएस परमार बागबानी और वानिकी विश्वविद्यालय को 54वां और जेपी यूनिवर्सिटी ऑफ इन्फार्मेशन टेक्नोलॉजी सोलन को 93वां स्थान मिला है। फार्मेसी में शूलिनी यूनिवर्सिटी ऑफ बायो टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट साइंस सोलन ही अपनी जगह बना पाया है। संस्थान को 39वां स्थान फार्मेसी संस्थानों में प्राप्त हुआ है। कालेजों की रैंकिंग में प्रदेश से कोई भी कालेज इस रैंकिंग में शामिल नहीं हो पाया है।

एचपीयू को ए-ग्रेड, पर स्थान नहीं

नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ रैंकिंग फ्रेमवर्क में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इस वर्ष नैक से ए गे्रड मिलने के बाद भी स्थान नहीं बना पाया है। गत वर्ष जहां एचपीयू ने इसके लिए आवेदन न करने का तर्क दिया था, वहीं इस वर्ष 2017 में विवि ने इस रैंकिंग फ्रेमवर्क के लिए आवेदन भी किया था, लेकिन इसके बाद भी विवि प्रदेश के ओवर ऑल टॉप 100 संस्थानों में रैंकिंग में जगह न पाने के साथ ही टॉप 100 विश्वविद्यालयों की रैकिंग में भी जगह नहीं बना पाया है।

संस्थानों की रैंकिंग में  गिरावट

देश के इंजीनियर कालेजों में इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ  टेक्नोलॉजी मंडी को जहां 2016 में 20वां स्थान मिला था, वहीं 2017 में इसकी रैंकिंग में गिरावट आई है और अब यह रैंकिंग में 28वें स्थान पर चला गया है। वहीं नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी हमीरपुर की रैंकिंग में भी गिरावट आई है। वर्ष 2016 में इसका रैंक 51 था, जो अब 59 पहुंच गया है। वहीं  जेपी विश्वविद्यालय सोलन को 2016  में 37वां स्थान मिला, जो इस वर्ष 93 पर पहुंच गया है।

एचपीयू शिमला में बढ़ा है शोध का दायरा

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय  शिमला में शोध की स्थिति में सुधार आया है। विवि के 32 विभागों में हर एक विभाग में संबंधित विषयों में शोध हो रहे हैं। यही नहीं विश्वविद्यालय के विभागों में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के जर्नल भी छप चुके हैं। विवि में अब तक छपे जर्नल की संख्या 2378 है वहीं 52 मोनोग्राफ और 225 चैप्टर बुक विवि छाप चुका है।  बात की जाए विभागों में चल रहे शोध कार्यों की तो फिजिक्स विभाग में नैनो टेक्नोलोजी, नैनो पार्टिकल से जुड़े शोध हो रहे हैं। इसके अलावा आईएसी टी-स्कूल स्कीम, जलवायु परिवर्तन,   संस्कृति, राडार सेंसिंग, पर्यटन, बौद्ध धर्म,इतिहास  बोलियों, नदियों व देश और हिमाचल आर्थिकी को लेकर शोध किए जा रहे हैं।  इसके लिए अलग से एकीकृत हिमालयन संस्थान विभाग बनाया गया है। इसमें चाइल्ड डिसएबिलिटी, मत्स्य उद्योगों की स्थिति, आपदा प्रबंधन, प्रदेश में महिलाओं के लिए चलाई जा रही योजनाओं के प्रभाव, हिमाचल के पर्यावरण जलवायु,पर्यटन,संस्कृति से जुड़े शोध भी किए जा रहे हैं। यही नहीं, विभाग द्वारा  मंदिर और हिमाचली बोलियों  पर भी शोध कार्य किए जा रहे हैं।  विवि में यूजीजी सेफ, कैश, डीएसटी, ईएफआईएसटी, डीबीटी, आईसीएसएसआर, आईसीएचआर, आईसीपीआर से मिले रिसर्च प्रोजेक्ट विवि के बायोटेक्नोलॉजी, बायोसाइंसेज, केमिस्ट्री, फिजिक्स, गणित और एमटीए विभागों में चल रहे हैं।  वहीं राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से प्राप्त 34 प्रोजेक्ट विवि के विभिन्न विभागों में चल रहे हैं। विवि के शोध का दायरा हिमाचल से बाहर विदेशों तक है। विभाग अपने स्तर पर दूसरे विश्वविद्यालयों के साथ शोध कर रहा है, जिसमें  सऊदी अरब के साथ नैनो टेक्नोलॉजी और ब्राजील, जापान, कोरिया के साथ मिलकर शोध कार्य कर रहे हैं।

इन क्षेत्रों में नहीं हो पाया शोध

विवि में हाई एप्टीच्यूट लेक्स, और ग्लेशियर पर अभी तक किसी भी तरह का कोई शोध कार्य नहीं हो पाया है। हालांकि विवि इन विषयों पर शोध करना चाहता है, लेकिन बजट की कमी के चलते इन क्षेत्रों में शोध कार्य विवि नहीं कर पा रहा है। वहीं, जलवायु परिवर्तन को लेकर भी कोई उच्च स्तरीय शोध विवि में नहीं हो पाया है।

टॉप 100 पर नजर

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रो. राजेंद्र सिंह चौहान का कहना है कि किसी भी विश्वविद्यालय के मूल्यांकन के लिए वहां शिक्षा का स्तर, शिक्षकों की संख्या, विभागों में हुए शोध कार्य का आकलन करना और सबसे बड़ी बात छात्र जो उस विश्वविद्यालय में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं, वे कितने संतुष्ट हैं, ये सभी बातें मूल्यांकन के लिए मायने रखती हैं। इस आधार पर विवि सभी क्षेत्रों में बेहतर कार्य कर रहा है,जहां कमियां हैं उन्हें सुधारने का प्रयास हैं।  विश्वविद्यालय को नैक से ए गे्रड मिलना सबसे बड़ी उपलब्धि है।  इसके अलावा शैक्षणिक क्षेत्र और शोध के क्षेत्र में भी विवि बेहतर कार्य कर रहा है। विश्वविद्यालय में शिक्षकों के पद काफी संख्या में रिक्त पड़े हैं, जिसका असर रैंकिंग पर होना स्वाभाविक है। इसको सुधारने के लिए 35 शिक्षकों की एक कमेटी मेरी अध्यक्षता में बनी है, जो आगामी समय से रिक्त पदों को भरने के साथ ही विवि की अन्य कमियों में सुधार के लिए कार्य करेगी। हमारा प्रयास है कि हम विवि को टॉप 100 संस्थानों की रैंकिंग में शामिल करेंगे।

नई तकनीक से फली-फूली फसलें

कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में कृषि शिक्षा, शोध व प्रसार का कार्य किया जाता है। विश्वविद्यालय को शिक्षा और शिक्षा के अन्य संबद्ध शाखाओं में शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रावधान करने के लिए जनादेश दिया गया है, जो शिक्षा के विकास और शोध के फैसले को आगे बढ़ाने, विज्ञानों का विस्तार करने, विशेषकर हिमाचल प्रदेश के ग्रामीण लोगों के लिए वर्षों से इस विश्वविद्यालय ने हिमाचल प्रदेश के फार्म परिदृश्य को बदलने में काफी योगदान दिया है।विवि की स्थापना पर प्रदेश सरकार द्वारा दिए गए दायित्वों के अनुसार किसानों के लिए शोध कार्य किए हैं। नवीनतम तकनीकों से ऐसे परिणाम दिए हैं, जिससे घटती भूमि पर भी फसलोत्पादन बढ़ा है। अब तक विभिन्न फसलों की नई व सुधरी 155 के करीब नई किस्में जारी की जा चुकी हैं और सालाना करीब 800 क्विंटल बीज तैयार कर कृषि विभाग को दिया जाता है। पोलीहाउस, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, पशु रोग, पशु प्रजनन सहित सौ से अधिक तकनीकें जारी की गई हैं। प्रदेश की प्रमुख फसलों के ऊपर जारी उन्नत किस्मों से प्रदेश कृषि में आत्मनिर्भर हुआ है। कृषि विवि में उन्हीं विषयों पर काम किया जाता है, जिनके लिए अधिकृत है। प्रदेश के बेरोजगारों के लिए लघु अवधि के कोर्स नहीं हैं।

 अब तक 156 किस्में विकसित

कृषि विवि के कुलपति प्रो अशोक कुमार सरयाल ने बताया कि विवि का मूल्यांकन सालाना प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों, यहां हो रहे शोध व प्रसार कार्यों के अनुसार होता है। यह भी देखा जाता है कि किसानों को कितनी नई किस्में व तकनीकें दे रहे हैं। विवि अब तक विभिन्न फसलों की 156 के करीब किस्मों के साथ सौ से अधिक तकनीकें विकसित कर चुका है,जो कि एक उपलब्धि है।  इस बार रैंकिंग के लिए   विवि ने आवेदन ही नहीं किया था। आने वाले साल में विवि जरूर इसमें भाग लेगा। रैंकिंग से विवि को लाभ मिलता है इससे मिलने वाले फंड में इजाफा होता है तो बाहर से आने वाले विद्यार्थियों की संख्या भी बढ़ती है। वहीं रैंकिंग से शिक्षा, शोध और प्रसार में अपनी स्थिति का पता भी चलता है।

आलू पर नहीं हुई रिसर्च

कृषि विवि पालमपुर में उन्हीं विषयों पर काम किया जाता है,जिनके लिए अधिकृत है। प्रदेश के बेरोजगारों के लिए लघु अवधि के कोर्स नहीं हैं। जिला में आलू उत्पादन से जुड़े किसानों की काफी संख्या होने के बावजूद आलू पर अधिक काम नहीं किया जाता है क्योंकि उसका दायित्व सीपीआरआई के पास है।

सेंट्रल यूनिवर्सिटी में पर्यटन प्राकृतिक आपदाओं पर शोध

केंद्रीय विश्वविद्यालय शाहपुर (धर्मशाला) में रिसर्च मुख्य बिंदु हैं। सीयू एचपी के विषय विशेषज्ञों सहित छात्रों द्वारा अपनी पीएचडी डिग्री करने के लिए विभिन्न विषयों पर शोध कार्य लगातार किए जा रहे हैं। केंद्रीय विवि ने हिमाचल प्रदेश के पर्यटन उद्योग, आर्थिक पक्ष, भूकंप जोन, स्लाइडिंग क्षेत्र हिमाचल की आपदाओं पर गहन शोध किए हैं। केंद्रीय विवि में विषय विशेषज्ञों की काफी अधिक संख्या है और जिससे एक ही समय में अधिक छात्र अपना शोध कार्य पूरा कर पाने में सफल हो रहे हैं।

अब तक इन विषयों में हुई रिसर्च

केंद्रीय विश्वविद्यालय शाहपुर में अब तक शोध के विषयों में सोशल मीडिया ऐज एन इन्फ्लुएस्टर अमंग फॉरेन टूरिस्ट्स विजिटिंग इंडिया, सब-सर्फेंस कैरेटेराइजेशन एंड इट्स एन्वायरनमेंटल इंप्लीकेशन यूजिंग इंजीनियरिगं एंड ग्रांउड पेनेट्रेशन राडार, जेनोम वाइड स्क्रीनिंग ऑफ आउटर मेमब्रेन प्रोटीन इन माइक्रोविक्टिरियम एवियम सब-एसपी पाराटूबरोकोलोसिस एमएपी के-10, इनोवेशन इन सांइस परसूइट फॉर इंस्पायर्ड रिसर्च फैकल्टी अवार्ड रिसर्च, स्टडीज ऑन एटांगोनिस्टक आईसोलेट्स ऑफ ट्राइकोडर्मा एसजीपी फॉर मैनेजमेंट ऑफ फूसारियन विल्ट ऑफ टामेटो इन ट्रापिकल एग्रो इकोसिस्टम, एक्सट्रेक्शन  ऑफ मेल्टस फॉम वेस्ट लिथियम बैटरी यूजिंग केमिकल एंड बॉयालोजिकल एक्सट्रेक्शन टेकेनिस, ग्रीन केमिकल रिसाइकिलिंग ऑफ पॉली कार्बोनेट प्लास्टिक फार सिनथेसिस ऑफ वेल्यूवल केमिकल्स एंड एपोक्सी कंपाउंडस,   सहित अन्य सैकड़ों विषयों पर शोध कार्य किए गए हैं।

हिमाचल पर केंद्रित विषयों पर भी अनुसंधान

केंद्रीय विवि द्वारा हिमाचल पर आधारित विभिन्न विषयों में शोध किए गए हैं, जिनमें मुख्य रूप से डिफ्यूजन, फ्यूटन प्रोस्पेक्टस एंड वॉयबिलिटी फॉर अडॉप्शन ऑफ सोलर एनर्जी इन हिमाचल प्रदेश,  टीहरा लाइन लैंड स्लाइडिंग  की मानिटरिंग, कोपिंग एंड हैल्थ सिकिंग बिहेवियर ऑफ वूमन विक्टिम ऑफ डोमेस्टिक वायलेंस-ए स्टडी इन कांगड़ा,  धौलाधार श्रेणी के दक्षिणी ढलानों पर प्राकृतिक विकिरण स्तर पर एक व्यापक अध्ययन, हिमाचल प्रदेश में ग्रामीण-गैर कृषि क्षेत्र में सूक्ष्म उपक्रम उत्पाद प्रौद्योगिकी एवं विपणन का एक प्रायोगिक अध्ययन, सोशल एवं एजुकेशन प्रॉब्लम्स ऑफ सेडयूल्ड ट्राइबस ए स्टडी इन चंबा, एंपेक्ट ऑफ स्पेशन इकॉनोमिक्स पैकेज ऑन दि डिवेलपमेंट ऑफ इकॉनोमी हिमाचल प्रदेश सहित अन्य दर्जनों विषयों पर शोध कार्य किए जा रहे हैं।

हिमाचल-भारत पर फोकस 

हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विवि धर्मशाला के शोधार्थियों को अधिकतर अनुसंधान हिमाचल सहित भारत पर ही पूरी तरह से फोकस रहा। हिमाचल से बाहरी राज्यों की बजाय शोधार्थियों ने समस्त भारत पर ही शोध किए। इसके अलावा अपने-अपने विषयों पर अधारित शोध विश्व को प्रभावित करने वाले भी साबित हुए हैं।  केंद्रीय विवि धर्मशाला में आर्थिक विषयों में भी शोध किए जा रहे हैं। इनमें मुख्य रूप से डायानामिक्स ऑफ फारेन एक्सचेंज मार्केट इन इंडिया, इंपेक्ट ऑफ स्पेशन इकॉनोमिक्स पैकेज ऑन दि डिवेलपमेंट ऑफ इकॉनोमी  हिमाचल प्रदेश, फॉरेन टूरिस्ट विजिटिंग इंडिया, फंडिगं एजेंसी सहित अन्य आर्थिक विषयों पर शोध किए गए।

गुणवत्ता बढ़ाने के प्रयास

केंद्रीय विश्वविद्यालय शाहपुर के कुलपति कुलदीप चंद अग्निहोत्री का कहना है कि मूल्यांकन तभी संभव है, जब शिष्यों के साथ-साथ गुरुओं का भी समय-समय मूल्यांकन किया जाए। गुरु के आधार से ही शिष्य निर्भर हैं, ऐसे में मूल्यांकन का उचित तरीका यही है।  हिमाचल प्रदेश में केंद्रीय विवि के होने पर ही मुझे और हम सबको नाज है। विवि लगातार अपने शैक्षणिक गुणवत्ता के लक्ष्य की ओर तेजी से  बढ़ रहा है।  निसंदेह रैंकिंग  किसी भी संस्थान का गौरव देश और विश्व तक पहुंचाती है। इसे सुधारने के लिए केंद्रीय विवि प्रयासरत है। इसके लिए शैक्षणिक ढांचा, पाठ्यचर्चा रूपरेखा, अध्ययन कार्यक्रम, प्रवेश एवं शुल्क नीति, शासन एवं प्रशासन और संकाय सदस्य एवं जनशक्ति आवश्यकताओं का खाका तैयार है।

नौणी में सेब से लेकर जैविक खेती पर हो रही रिसर्च

सेब पर डा. वाईएस परमार  विश्वविद्यालय में बागबानी व वानिकी  विषयों पर  समय-समय पर शोध किए जाते हैं। विश्वविद्यालय में कालेज ऑफ फोरेस्ट्री व कालेज ऑफ हार्टिकल्चर स्थापित किए गए हैं। कालेज ऑफ हार्टिकल्चर में सेब, नाशपाती, स्टोन फ्रूट, पुष्प उत्पादन, सब्जियां, मशरूम, पोस्ट हार्वेस्ट तकनीक, मधुमक्खी पालन, सिवकल्चर आदि विषयों पर शोध कार्य किया जाता है। इसके अलावा जल प्रबंधन,  सिंचाई, आम, लीची, अमरूद की नई प्रजातियों पर भी शोध किए जा रहे हैं। नौणी विश्वविद्यालय द्वारा गर्म व ठंडे क्षेत्रों में होने वाले फलों पर भी शोध कार्य किए जा रहे हैं। इसके अलावा फलों के उत्पादन को कैसे बढ़ाया जा सकता है, इस बारे में भी शोध कार्य किया जा रहा है। हिमाचल पर केंद्रित कई विषयों पर भी शोध कार्य नौणी  विश्वविद्यालय में हुए हैं। विशेष रूप से जल प्रबंधन, सिंचाई, न्यूट्रीशियन, प्रोटेक्शन, पर्यावरण बदलाव, जैविक खेती, बायो कंट्रोल, बायो टेक्नोलॉजी जैसे कई विषयों पर शोध किए गए हैं। इन विषयों को चुनने की वजह पहाड़ी क्षेत्र हैं। मौसम के अनुरूप फलों का उत्पादन किया जाना बेहद जरूरी है। हिमाचल बागबानी आधारित राज्य है, जिसकी वजह से फलों पर अधिक शोध किए जाते हैं। हिमाचल प्रदेश के किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में सेब की अहम भूमिका है, इसलिए सेब जैसे कई फलों को शोध के लिए चुना जाता है।इसके अलावा प्रदेश में पुष्प उत्पादन की भी अपार संभावनाएं हैं, जिसकी वजह से पुष्प उत्पादन पर भी शोध कार्य किए जा रहे हैं। हिमाचल के अलावा उत्तराखंड, अरुणाचल, नागालैंड, जम्मू-कश्मीर सहित कई राज्यों द्वारा नौणी विश्वविद्यालय के शोध कार्य को पसंद किया गया है। यही वजह है कि इन राज्यों से प्रत्येक माह टीमें भ्रमण के लिए आती रहती हैं।

मशरूम नौणी की खोज

देश में पहली बार मशरूम का उत्पादन नौणी  विश्वविद्यालय द्वारा किया गया था। स्टाके मशरूम की किस्म नौणी  विश्वविद्यालय द्वारा उगाई गई थी, जो कि कैंसर पीडि़तों के लिए बेहद लाभदायक है।

कृषि-बागबानी में पांचवीं रैंकिंग

डा. वाईएस परमार नौणी विवि के कुलपति डा. एचसी शर्मा ने बताया कि विवि के  अध्यापक, वैज्ञानिक व छात्र विवि का नाम रोशन कर रहे हैं। इन सबकी कड़ी मेहनत के कारण विवि को मानव संसाधन मंत्रालय भारत सरकार 84वां स्थान दिया गया है।  उन्होंने कहा कि कृषि व बागबानी की श्रेणी में नौणी विवि को पांचवां स्थान दिया गया है। डा. शर्मा ने कहा कि नौणी विवि आने वाले आगामी वर्ष में कड़ी मेहनत कर इस विवि को नाम देश की 25 विवि की सूची में दर्ज करवाएगा। नौणी विवि में देश व विदेशों से छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। नौणी विवि का मूल्यांकन  विवि  की अनूठी पहल के माध्यम से करते हैं। विवि द्वारा किसानों के लिए कई शोध किए गए हैं, जो कि आज वरदान साबित हो रहे हैं। विवि द्वारा किए गए शोध से प्रदेश में फल, सब्जी तथा पुष्प उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है।


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