शिक्षा की राजधानी हमीरपुर

By: Apr 2nd, 2017 12:05 am

हिमाचल प्रदेश का हमीरपुर जिला एजुकेशन हब के तौर पर उभरा है। जिला के शिक्षण संस्थान छात्रों के अलावा अभिभावकों की भी पहली पसंद  हैं। इस बार दखल के जरिए जानें… सबसे छोटे जिलामें शिक्षा के क्षेत्र में कैसे आई क्रांति….

एनआईटी और हिम अकादमी की चमक के चलते हमीरपुर शहर प्रदेश की एजुकेशन कैपिटल बन गई है। डेढ़ दशक के भीतर यह शहर एजुकेशन का सबसे बड़ा हब बनकर उभरा है। इसमें ब्लू स्टार पब्लिक स्कूल की भूमिका को भुलाया नहीं जा सकता। हमीरपुर में सबसे पहले वर्ष 1971 में ब्लू स्टार स्कूल की स्थापना हुई। इसके बाद हिम अकादमी शुरू हुई, जिसे बाद में स्कूल बनाया गया। हिम अकादमी कोचिंग के माध्यम से और ब्लू स्टार अपने बेहतर रिजल्ट की वजह से प्रदेश में आदर्श संस्थान बनते गए। वर्ष 2003 में एसडी पब्लिक स्कूल दोसड़का के समीप खुल गया। इसी दौर में आईएनआईएफडी और पिनैकल सरीखे संस्थान फैशन डिजाइनिंग की उच्च शिक्षा के लिए प्रदेश का आकर्षण बनने लगे। अब शहर के गांधी चौक में गुरुकुल पब्लिक स्कूल की स्थापना हो गई। ब्लू स्टार, हिम अकादमी, एसडी पब्लिक स्कूल और गुरुकुल पब्लिक स्कूल की हर साल एजुकेशन बोर्ड में मैरिट में गूंज रही। इस कारण पूरे प्रदेश का ध्यान हमीरपुर की ओर खिंच गया। बाद में दि मेग्नेट पब्लिक स्कूल क्षेत्रीय अस्पताल के समीप शुरू हो गया। यह स्कूल भी हर साल बोर्ड की मैरिट में अपना डंका बजाने लगा। शिक्षा का मंदिर कहे जाने वाले डीएवी सलासी और हमीरपुर पब्लिक स्कूल ने अपने शानदार परीक्षा परिणामों से प्रदेश भर में पहचान बनाई। इस शहर में एम पब्लिक स्कूल ने अपनी विशेष उपस्थिति दर्ज करवाते हुए प्रदेश भर का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लिया। शहर  में सावित्री पब्लिक स्कूल, आर्यन पब्लिक स्कूल तथा हमीरपुर पब्लिक स्कूल सहित केंद्रीय विद्यालय के बेहतर परीक्षा परिणामों ने इस शहर पर एजुकेशन हब की मुहर लगा दी। भोटा स्थित दिव्य आदर्श विद्या पब्लिक स्कूल और लक्ष्मी मेमोरियल पब्लिक स्कूल भोटा ने भी शिक्षा के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित किए हैं।

आंकड़ों पर नजर

प्राइवेट स्कूल — 219

प्राथमिक स्कूल — 480

माध्यमिक स्कूल — 118

उच्च स्कूल — 66

सीनियर सेकेंडरी स्कूल —94

साक्षरता दर—88.15 प्रतिशत

पुरुष साक्षरता दर — 94.36 प्रतिशत

महिला साक्षरता दर— 82.62 प्रतिशत

बोर्ड की मैरिट में दबदबा

वर्ष 2016 में जमा दो की परीक्षा में हमीरपुर के करीब छह विद्यार्थी मैरिट में रहे हैं। आर्ट्स, साइंस व कॉमर्स में इन छात्रों ने मैरिट में स्थान प्राप्त किया है। इसके साथ ही जिला के 1228 छात्रों को शिक्षा विभाग की तरफ से लैपटॉप भी प्रदान किए गए हैं। शिक्षा विभाग की मानें तो वर्ष 2016 में दसवीं कक्षा की मैरिट में जिला के एक बच्चे ने स्थान प्राप्त किया था। इसके साथ ही कई विद्यार्थी शिक्षा संबंधी छात्रवृत्तियां प्राप्त कर रहे हैं। हमीरपुर में सैकड़ों बच्चे सालाना दस हजार रुपए छात्रवृत्ति प्राप्त कर रहे हैं।

देश में दूसरे नंबर पर जिला

विभाग की मानें तो 2011 की जनगणना के अनुसार हिमाचल साक्षरता दर में केरल के बाद देश में दूसरे स्थान पर था। आगामी जनगणना में हमीरपुर की साक्षरता दर में और इजाफा होने की उम्मीद जताई जा रही है। हमीरपुर में शिक्षण संस्थानों की भरमार है। यहां अन्य जिला से भी छात्र शिक्षा ग्रहण करने के लिए पहुंच रहे हैं। यही कारण है कि हमीरपुर को शिक्षा का हब कहा जाता है।

* दि मेग्नेट पब्लिक स्कूल हमीरपुर के प्रधानाचार्य अरुण चौहान का कहना है कि हमीरपुर बेशक छोटा सा है, लेकिन नेशनल लेवल के संस्थान लोगों को काफी आकर्षित करते हैं। यहां के स्कूल बच्चों को अच्छी क्वालिटी की शिक्षा मुहैया करवा रहे हैं, जिस कारण हर साल यहां के बच्चे प्रदेश भर में टॉपर रहते हैं। शिक्षा राजधानी के लिए अभी हमीरपुर को कई और आयाम छूने होंगे। आर्मी अकादमी के खुलने से बच्चों का डिफेंस सेक्टर की ओर भी रुझान बढ़ेगा।

* एसडी पब्लिक सीनियर सेकेंडरी स्कूल हमीरपुर के प्रधानाचार्य विनोद ठाकुर का कहना है कि एजुकेशन से जुड़े लोग, उनका लगाव और कुछ नया करने की ललक हमीरपुर को शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी बनाए हुए है। हमीरपुर को शिक्षा की राजधानी बनाने के लिए अभी कई तरह के होमवर्क  करना बाकी है। हाईटेक एजुकेशन, डिजिटल शिक्षा शुरू हो व स्कूलों में डमी एडमिशनों को बंद करना चाहिए, तभी शिक्षा की राजधानी की ओर हम एक कदम आगे बढ़ेंगे। सैन्य अकादमियों की भी यहां खासी जरूरत है।

* गुरुकुल पब्लिक सीनियर सेकेंडरी स्कूल हमीरपुर के प्रधानाचार्य रविंद्र पुरी का कहना है कि हमीरपुर इसलिए सबसे आगे है, क्योंकि यहां बच्चों के सर्वांगीण विकास पर ध्यान दिया जाता है। बच्चों को एक अच्छा प्लेटफार्म देने के साथ ही उन्हें अपनी स्ट्रीम चुनने के बाद मंजिल तक पहुंचाया जाता है। साथ ही बच्चों को उनके फ्यूचर स्कोप के बारे में भी बताया जा है। हमीरपुर को शिक्षा की राजधानी बनाने के लिए प्रशासन को अहम रोल अदा करना होगा। नशे की बढ़ती गतिविधियों को रोकना होगा। अच्छी सैन्य अकादमी की जरूरत हमीरपुर को खलती है।

* हिम अकादमी ग्रुप के चेयरमैन आरसी लखनपाल का कहना है कि हमीरपुर में एनआईटी खुलने से लोगों का रुझान इस ओर ज्यादा बढ़ा है। हर साल हमीरपुर का अव्वल रिजल्ट लोगों को यहां आकर्षित करता है। हमीरपुर के लोगों की पढ़ाई में बहुत ज्यादा दिलचस्पी है। हमीरपुर को शिक्षा की राजधानी बनने के लिए अभी कई और ऊंचाइयां छूनी होंगी। हमीरपुर में भी दूसरे राज्यों की तरह हाई क्वालिटी के स्कूल खुलना बेहद जरूरी हैं। यहां सैन्य अकादमियों की जरूरत है।

* ब्लू स्टार सीनियर सेकेंडरी पब्लिक स्कूल हमीरपुर की प्रधानाचार्य डा. सुमनलता का कहना है कि लोगों के साथ-साथ यहां के बच्चे भी शिक्षा के क्षेत्र में काफी दिलचस्पी रखते हैं। बोर्ड में हर साल मैरिट और शत-प्रतिशत परिणाम के कारण ही हमीरपुर प्रदेश भर में अपनी धाक जमाए हुए है। शिक्षा के क्षेत्र में बच्चों पर बिलकुल प्रेशर नहीं डालना चाहिए। कम समय में बड़ी उपलब्धि की आस बच्चों की कमजोरी बन सकती है।। सैन्य अकादमी यहां खुलनी चाहिए, ताकि बच्चों की प्रतिभा बाहर आ सके और वे डिफेंस सेक्टर में जा सकें। इससे लोगों का रुझान हमीरपुर की ओर बढ़ेगा और हमें शिक्षा का हब कहते हुए और ज्यादा गर्व होगा।

सरकारी नौकरी छोड़ जगाया अलख

कालेज प्रोफेसर आरसी लखनपाल ने प्रतिष्ठित सरकारी नौकरी छोड़कर शिक्षा व्यवसाय की ओर रुख किया। इसके पीछे उनकी एकमात्र मंशा छात्रों को प्रतियोगिताआें के लिए तैयार करना था। आरसी लखनपाल ने सफलता के नए आयाम स्थापित किए और उनको अपना रोल मॉडल मानते हुए कई दूसरी नौकरी पेशावर हस्तियां शिक्षा व्यवसाय की ओर मुड़ गईं।  हिम अकादमी स्कूल की प्रिंसीपल नैना लखनपाल भी सरकारी नौकरी पेशे में थीं। लक्ष्मी मेमोरियल स्कूल भोटी के एमडी केसी चौहान भी स्कूल लेक्चरर रहे हैं। इसी तरह गौतम गु्रप ऑफ कालेजेज के चेयरमैन सरकारी नौकरी में रहने के बाद अपने शिक्षण संस्थान खोल चुके हैं।  हमीर पब्लिक स्कूल एवं बीएड कालेज हमीरपुर के चेयरमैन कर्नल जय सिंह भी सरकारी नौकरी पेशा रह चुके हैं। हमीरपुर शहर में गुरुकुल पब्लिक स्कूल से नाम कमा चुके रविंद्र पुरी ने भी कई सरकारी नौकरी के ऑफर ठुकराए हैं। इसके अलावा एसडी पब्लिक स्कूल हमीरपुर के प्रिंसीपल विनोद ठाकुर ने भी सरकारी क्षेत्र को अलविदा कहकर अपना स्कूल आरंभ किया है।

पंजाब बोर्ड में भी हमीरपुर की धाक

हिमाचल जब पंजाब का हिस्सा था, उस वक्त भी हमीरपुर के छात्रों ने शिक्षा के क्षेत्र में अलख जगाना है। स्कूल की वार्षिक परीक्षाओं में मैरिट हासिल कर जिला का नाम रोशन किया था। इसमें बाल स्कूल हमीरपुर के कमलेश कुमार और भोरंज स्कूल के डीएस राणा ने पंजाब बोर्ड की मैरिट में स्थान हासिल किया था।

आईएचएम ने खोले रोजगार के द्वार

हमीरपुर शहर में इंस्टीच्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट के रूप में व्यावसायिक शिक्षा का सबसे बड़ा संस्थान है। आईएचएम से शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्र देश के पांच सितारा होटलों में सेवाएं दे रहे हैं। इस छोटे से शहर में कौटिल्य कोचिंग क्लासेज, एक्मे स्टडी सेंटर, द मेग्नेट, हिम अकादमी, चाणक्य, एस पठानिया, एसडी स्कूल कोचिंग क्लासेज तथा सुपर मेग्नेट के रूप में बेहतरीन कोचिंग सेंटर हैं। हमीरपुर शहर के इन कोचिंग सेंटर में हिमाचल के अलावा बाहरी राज्यों के छात्र भी कोचिंग के लिए रुख कर रहे हैं। इन अकादमियों ने हर साल हिमाचल के लिए जेईई तथा नीट में टॉपर दिए हैं।

एनआईटी से बड़ा प्लेटफार्म, छात्रों का बढ़ा रुझान

एनआईटी के डायरेक्टर प्रोे. अजय कुमार शर्मा के अनुसार हमीरपुर को शिक्षा का हब बनाने के लिए एनआईटी हमीरपुर अहम भूमिका निभा रहा है। हर साल हिमाचल के कोने-कोने से शिक्षा प्राप्त करने हमीरपुर आए बच्चों में एनआईटी में दाखिले को लेकर काफी क्रेज बना रहता है। एनआईटी खुलने से बच्चों को हमीरपुर में बड़ा प्लेटफार्म मिल रहा है। शिक्षा के क्षेत्र में एक के बाद एक मिल रही बड़ी सफलताओं से लोगों का रुझान हमीरपुर की ओर लगातार बढ़ रहा है। मौजूदा समय की बात करें, तो एनआईटी हमीरपुर में कुल 3149 छात्र शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। इनमें से यूजी लेवल पर बीटेक में 1127 छात्र हिमाचल के और बाहरी राज्यों के भी 1127 छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। इसके अलावा पीजी लेवल में 398 छात्र एमटेक कर रहे हैं। एमबीए के 22 छात्र, पीएचडी के 142 और आईआईटी ऊना के 54 बच्चे इलेक्ट्रॉनिक व 79 छात्र कम्प्यूटर साइंस में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। एनआईटी हमीरपुर में बांग्लादेश, साउथ अफ्रीका, नेपाल और अफगानिस्तान सहित कई अन्य देशों के छात्र यहां पढ़ाई कर रहे हैं।

संस्थान की उपलब्धियां

* एनआईटी हमीरपुर की वर्तमान उपलब्धि की बात करें तो इसी माह यहां के केमिकल इंजीनियरिंग के 32 छात्रों ने गेट  (ग्रेजुएट एप्चीच्यूट टेस्ट इन इंजीनियरिंग-2017) क्वालिफाई किया है। इनमें से 3 छात्रों रजत तोमर ने 22वां, विर्जेश प्रताप सिंह ने 31वां और आशीष ठाकुर ने 60वां रैंक आल इंडिया लेवल पर हासिल कर एनआईटी हमीरपुर का नाम चमकाया है।

*  वर्ष 2016 में नेशनल स्तर पर हुए कैंपस सर्वे में एनआईटी हमीरपुर ने ब्यूटीफुल कैंपस के लिए पहला रैंक हासिल किया है।

*  एनआईटी वेब स्टूडियो से लैस है। इसके तहत लाइव लेक्चर की सुविधा यहां उपलब्ध है, जो दूसरे शिक्षण संस्थानों से इसे अलग बनाती है।

*  एनआईटी हमीरपुर में ई-आफिस की सुविधा भी हाल ही में शुरू हुई है। इस सेवा के शुरू होने से आफिस या घर, कहीं से फाइल को देखकर सारा काम निपटाया जा सकता है। यह डिजिटल इंडिया के तहत शुरू की गई खास मुहिम है, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी। इसके अलावा एनआईटी कैंपस जल्द ही जिओ वाई-फाई से लैस होने जा रहा है।

कोचिंग अकादमियों ने पहुंचाया शिखर पर

स्कूलों के अलावा अकादमियों के लगातार आए अभूतपूर्व परिणामों ने इस शहर को एजुकेशन हब की पहचान दिलाने में अपनी भूमिका निभाई। जेईई मेन और एपीएमटी सहित अधिकतर प्रवेश परीक्षाआें में हिमाचल का टॉपर हमीरपुर की अकादमियों का छात्र रहता है। इसमें कौटिल्या कोचिंग क्लासेज, एक्मे स्टडी सेंटर, सुपर मेग्नेट, हिम अकादमी तथा चाणक्य अकादमी का नाम प्रमुख है।

तकनीकी शिक्षा में भी बेमिसाल

एजुकेशन हब बनाने के लिए राष्ट्रीय संस्थानों की भूमिका भी नकारी नहीं जा सकती। हिमाचल प्रदेश का एनआईटी हमीरपुर में स्थापित हुआ। इसके अलावा इंस्टीच्यूट आफ होटल मैनेजमेंट का संस्थान भी इस शहर में खुला। तकनीकी विश्वविद्यालय की स्थापना भी इसी शहर में हुई। एमआईटी संस्थान के वणी में खुलने से प्रदेश भर के छात्र इंजीनियरिंग के लिए यहां आने लगे।

दो दशक पहले की तस्वीर

दो दशक पहले हमीरपुर में एनआईटी और डिग्री कालेज के अलावा तीन प्रमुख प्राइवेट स्कूलों तक यह शहर सिमटा था।  डीएवी सलासी, हिम अकादमी और ब्लू स्टार तीन ही नामी स्कूल शहर में थे। इसके अलावा ब्वायज और गर्ल्ज स्कूल तथा एक प्राइमरी विद्यालय था।

हिम अकादमी की पहल लाई रंग

सही मायने में हमीरपुर को एजुकेशन हब बनाने की नींव प्रो. आरसी लखनपाल ने रखी। डिग्री कालेज में बतौर फिजिक्स के प्रवक्ता सेवाएं दे रहे आरसी लखनपाल ने 1992 में ऐच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर अपने घर में छात्रां को कोचिंग देनी शुरू कर दी। यहीं से हिम अकादमी का जन्म हुआ और इसी स्कूल की बदौलत हमीरपुर एजुकेशन हब बन गया।


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