हाइड्रो इंजीनियरिंग कालेज में चार कोर्स

बिलासपुर —  बंदलाधार पर प्रस्तावित देश के पहले हाइड्रो इंजीनियरिंग कालेज में इसी शैक्षणिक सत्र से कक्षाएं शुरू करने को लेकर तैयारी चल रही है। कालेज में वर्ष 2017-18 से बीटेक के चार कोर्स संचालित करने की योजना है, जिसके तहत प्रत्येक कोर्स में 60-60 सीटें आरक्षित होंगी। मेकेनिकल, इलेक्ट्रिकल सिविल और कम्प्यूटर साइंस, जैसे इंजीनियरिंग कोर्स आरंभ किए जाएंगे। इसी शैक्षणिक सत्र से कक्षाएं शुरू करने का फैसला इसी सप्ताह शिमला में होने जा रही गवर्निंग बॉडी की मीटिंग में होगा। यह बिलासपुर जिला का सौभाग्य है कि देश का पहला हाइड्रो इंजीनियरिंग कालेज बंदलाधार पर बनेगा। बंदलाधार पर प्रशासन की ओर से 62 बीघा जमीन चिन्हित करने के बाद बाकायदा तकनीकी शिक्षा विभाग के नाम ट्रांसफर भी कर दी गई है। खास बात यह है कि हाइड्रो क्षेत्र की दो नामी कंपनियोंं एनटीपीसी और एनएचपीसी के सहयोग से यह कालेज बनेगा, जिसके लिए दोनों ही कंपनियों ने अपनी-अपनी हिस्सेदारी के 37.50 करोड़-37.50 करोड़ रुपए सरकार के पास जमा भी करवा दिए हैं। भवन निर्माण के साथ ही कालेज का सारा आधारभूत ढांचा विकसित करने के लिए भी एनटीपीसी और एनएचपीसी तकनीकी शिक्षा विभाग को अगले पांच सालों के लिए हर वर्ष पांच-पांच करोड़ रुपए प्रदान करेंगे। सूत्रों से मिली जानकारी के तहत हाइड्रो इंजीनियिरंग कालेज में 240 सीटें आरक्षित होंगी। इसके लिए राज्य सरकार ने कोर्स भी तय कर दिए हैं। कालेज में इसी शैक्षणिक सत्र 2017-18 से बीटेक के चार कोर्स शुरू करने के लिए कवायद भी चल रही है। प्रत्येक कोर्स में 60-60 सीटें आरक्षित होंगी, जिसके तहत कालेज में मेकेनिकल, इलेक्ट्रिकल सिविल व कम्प्यूटर साइंस इंजीनियरिंग के कोर्स आरंभ किए जाएंगे। हालांकि अभी तक गवर्निंग बॉडी की कोई बैठक नहीं हुई है, जिसके चलते अभी कक्षाएं शुरू करने का मसला लंबित पड़ा है। सूत्रों के हवाले से पता चला है कि इसी सप्ताह गवर्निंग बॉडी की मीटिंग करने की योजना है, जिसके लिए बाकायदा पत्र भी जारी हो चुके हैं। गवर्निंग बॉडी की बैठक 26 अप्रैल को भी हो सकती है या फिर इसके बाद, लेकिन कक्षाएं आरंभ करने का फैसला गवर्निंग वॉडी की बैठक में ही हो पाएगा।