119 कालेज…रैंकिंग के लिए एक आवेदन

By: Apr 5th, 2017 12:15 am

नेशनल इंस्टीच्यूशनल फ्रेमवर्क में प्रदेश के महाविद्यालयों की रुचि नहीं

newsशिमला  —  केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा देश के उच्च शिक्षणसंस्थानों की रैंकिंग के लिए तय नेशनल इंस्टीच्यूशनल रैंकिंग फे्रमवर्क में प्रदेश के कालेजों ने कोई रुचि नहीं दिखाई है। प्रदेश में चल रहे 119 कालेजों में से नेशनल इंस्टीच्यूशनल रैंकिंग फे्रमवर्क 2017 के लिए केवल एक ही आवेदन एमएचआरडी को भेजा गया है। रैंकिंग सूची के आधार पर एमएचआरडी को देश भर से 535 कालेजों ने रैंकिंग के लिए आवेदन किया था। प्रदेश से इसमें केवल एक कालेज स्वामी विवेकानंद गवर्नमेंट कालेज घुमारवीं जिला बिलासपुर का नाम शामिल है। इससे यह स्पष्ट है कि 118 कालेजों ने देश के उच्च शिक्षण संस्थानों की रैंकिंग प्रतिस्पर्धा में भाग लेने तक की भी कोशिश नहीं की है। हालांकि जिस एक कालेज ने रैंकिंग के लिए आवेदन किया था, उसे टॉप-200 कालेजों में भी स्थान नहीं मिल पाया है। एमएचआरडी ने 2017 की रैंकिंग छह वर्गों में की है। इसमें ओवरआल संस्थानों की रैंकिंग के साथ ही इंजीनियरिंग फार्मेसी, कालेजों, विश्वविद्यालयों और मैनेजमेंट संस्थान शामिल हैं। अगर बात की जाए अन्य वर्गों में प्रदेश के संस्थानों के आवेदनों की तो इनकी संख्या भी अधिक नहीं है। प्रदेश से इंजीनियरिंग के पांच संस्थानों ने रैंकिंग के लिए आवेदन किया था। एमएचआरडी के पास देश भर से इस वर्ग में 1007 एंट्री आई हैं। फार्मेसी इंजीनियरिंग में प्रदेश से अरनी यूनिवर्सिटी इंदौरा, करियर प्वाइंट यूनिवर्सिटी हमीरपुर, इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी मंडी, नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी हमीरपुर, जेपी यूनिवर्सिटी ऑफ इन्फार्मेशन टेक्नोलॉजी सोलन के नाम शामिल हैं। फार्मेसी वर्ग में आए कुल 316 आवेदनों में से प्रदेश से तीन फार्मेसी संस्थानों ने रैंकिंग में भाग लिया। इसमें इंस्टीच्यूट ऑफ फार्मेसी एंड एमर्जिंग साइंसिस बद्दी, लॉरेट इंस्टीच्यूट फार्मेसी ज्वालामुखी और शूलिनी यूनिवर्सिटी एंड मैनेजमेंट का नाम शामिल है। मैनेजमेंट संस्थानों के वर्ग में देश भर से 542 संस्थानों में से प्रदेश से केवल दो ही संस्थानों ने आवेदन किया है, जिसमें अरनी यूनिवर्सिटी इंदौरा और करियर प्वाइंट यूनिवर्सिटी हमीरपुर शामिल हैं।

आठ विश्वविद्यालयों ने भेजे आवेदन

विश्वविद्यालयों की रैंकिंग वर्ग में प्रदेश से आठ विश्वविद्यालयों ने आवेदन भेजे थे। इनमें एचपीयू शिमला, केंद्रीय विवि धर्मशाला के साथ एपी गोयल यूनिवर्सिटी शिमला, अरनी यूनिवर्सिटी इंदौरा, करियर प्वाइंट विवि हमीरपुर, डा. वाईएस परमार बागबानी और वानिकी विवि सोलन, जेपी यूनिवर्सिटी ऑफ इन्फार्मेशन टेक्नोलॉजी सोलन और शूलिनी यूनिवर्सिटी और मैनेजमेंट शामिल हैं। प्रदेश के सात शिक्षण संस्थानों को रैंकिंग में स्थान मिला है। इसमें पांच विश्वविद्यालय सहित दो इंजीनियरिंग संस्थान शामिल हैं।

आ गए एग्जाम, रिजल्ट पता नहीं

24 से परीक्षाएं, पहले-तीसरे सेमेस्टर का परिणाम शेष

शिमला  —  प्रदेश विश्वविद्यालय 24 अप्रैल से रूसा की परीक्षाएं करवाने जा रहा है। इन परीक्षाओं में रूसा के दूसरे, चौथे और छठे सेमेस्टर की परीक्षा छात्र देंगे, लेकिन इन छात्रों के पहले के सेमेस्टर का परिणाम अभी तक विवि प्रशासन घोषित नहीं कर पाया है। अब छात्र अगले सत्र की परीक्षा पिछले सेमेस्टर का परीक्षा परिणाम बिना जाने ही देंगे। विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से रूसा के पहले, तीसरे और पांचवें सेमेस्टर की परीक्षाएं पिछले साल नवंबर दिसंबर में करवाई गई थी। परीक्षाओं को लिए हुए तीन माह से अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन अभी तक विवि केवल पांचवें सेमेस्टर का परीक्षा परिणाम ही घोषित कर पाया है। रूसा के तहत पहले और तीसरे सेमेस्टर के छात्र अभी भी परीक्षा परिणाम घोषित होने का इंतजार कर रहे हैं। परीक्षा शाखा ने मार्च के अंत तक रूसा के तीसरे सेमेस्टर का परीक्षा परिणाम घोषित करने की बात कही थी, लेकिन सर्वर में दिक्कतें आने के चलते विश्वविद्यालय परिणाम घोषित नहीं कर पाया है।

दावा! पहले ही निकलेगा रिजल्ट

प्रशासन का कहना है कि ऑनलाइन परीक्षा फार्म भरने की प्रक्रिया शुरू होने से सर्वर में दिक्कतें आ रही थीं। अब प्रक्रिया पूरी होने के बाद परीक्षा परिणाम तैयार हो रहा  है। 24 अप्रैल परीक्षाओं से पहले विवि छात्रों के दोनों सेमेस्टर का परीक्षा परिणाम घोषित करेगा।

दाखिले से पहले टेस्ट अवैध

शिमला  —  सरकार की ओर से नर्सरी और प्री-नर्सरी के लिए सरकार की अनुमति लेने के साथ-साथ अब नियम और भी सख्त कर दिए गए हैं। इन केंद्रों में अगर कोई घटना होती है, तो उसकी सीधी जिम्मेदारी केंद्र संचालकों की होगी। इतना ही नहीं, केंद्र विधेयक के प्रावधानों का पालन कर रहे हैं या नहीं यह देखने की जिम्मेदारी जिला उपायुक्तों की होगी। अनुमति लेने के साथ ही केंद्रों को एक माह के भीतर पीटीए का गठन करना भी अनिवार्य होगा। यह भी सुनिश्चित होगा कि बच्चों को केंद्र में प्रवेश के लिए किसी भी प्रकार की लिखित या मौखिक प्रवेश परीक्षा न हो और प्रवेश के लिए जाति, धर्म, लिंग और निशक्तता के आधार पर कोई भेदभाव न हो, इसका भी नए नियमों के तहत प्रावधान किया गया है। नए प्रावधान के मुताबिक अगर केंद्र में कोई अप्रिय घटना होती है, तो अपराध में संलिप्त या अप्रिय घटना को करने के लिए उद्यत व्यक्ति के अतिरिक्त, केंद्र या संस्थान के प्रमुख (हैड) को भी उत्तरदायी ठहराया जा सकता है और केंद्र का प्रमुख (हैड) तथा संस्थान का प्रमुख भी किए गए अपराधों से निपटने के लिए प्रवृत्त विभिन्न अधिनियमों की संबंधित धाराओं के अधीन कार्रवाई के लिए दायी होंगे। इस विधेयक के कार्यान्वयन में जिला उपायुक्तों की अहम भूमिका रहेगी व विभागीय जिला अधिकारी प्रारंभिक बाल्यावस्था देख-रेख और शिक्षा केंद्रों के रजिस्ट्रीकरण का कार्य मौजूदा स्टाफ के साथ करेंगे, जिसके कारण राज्य पर कोई अतिरिक्त वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा। हाल ही में प्रदेश प्रारंभिक बाल्यावस्था देख-रेख और शिक्षा केंद्र विधेयक-2017 बनाया गया है। जानकारी के अनुसार इस विधेयक का उद्देश्य है कि प्रारंभिक बाल्यावस्था देख-रेख व शिक्षा केंद्रों के माध्यम से बच्चों को समस्त मूलभूत सुविधाएं प्राप्त हो सकें और उपलब्ध करवाई जा रही सेवाओं की गुणवत्ता उत्तम हो। इस अधिनियम के लागू होने पर प्रदेश में समस्त सेवा-प्रदाताओं के लिए प्रारंभिक बाल्यावस्था देख-रेख और शिक्षा केंद्रों को चलाने व नए केंद्र खोलने के लिए रजिस्ट्रीकरण करवाना आवश्यक होगा। रजिस्ट्रीकरण के लिए प्रक्रिया सरल हो, इसके लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रीकरण की व्यवस्था की गई है।

अधिनियम में और यह भी

जहां एक ओर इस अधिनियम में बच्चों की सुरक्षा व भलाई को ध्यान में रखते हुए कुछ कड़े प्रावधान रखे गए हैं, वहीं इस अधिनियम में इस बात का भी ध्यान रखा गया है कि प्राइवेट संस्थान और संगठन प्रारंभिक बाल्यावस्था देख-रेख और शिक्षा केंद्रों के संचालन में स्वतंत्र रहें। प्राइवेट संस्थाओं और संगठनों को केंद्रों में दी जाने वाली सुविधाओं की गुणवत्ता के अनुसार फीस व अन्य शुल्क मार्केट फॉर्स के अनुसार निर्धारित करने की स्वतंत्रता होगी। अब सरकार ने नियमों में सख्ती बरतते हुए केंद्रों के लिए जिम्मेदारियां और बढ़ा दी हैं, पीटीए का गठन जल्द ही करना होगा।


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