30 लाख डोज तैयार, पर नहीं आए खरीददार
सीआरआई कसौली को आर्डर न मिलने से टीटी वैक्सीन बेचना बना चुनौती, 80 फीसदी काम घटा
सोलन — सीआरआई कसौली के अस्तित्व पर खतरा मंडरा गया है। संस्थान को देश के विभिन्न राज्यों से मिलने वाले उत्पादन आर्डर में भारी गिरावट आई है। पहले की अपेक्षा संस्थान के पास अब केवल बीस प्रतिशत कार्य ही रह गया है। इसके साथ-साथ जिस वैक्सीन का उत्पादन यहां पर हो रहा है, उसके भी खरीददार नाममात्र हैं। आलम यह है कि इस समय टीटी वैक्सीन के छह बैच तैयार होकर स्टोर में पड़े हैं। प्रत्येक बैच में पांच लाख डोज को शामिल किया जाता है। इस प्रकार करीब तीस लाख डोज बेचना सीआरआई के लिए चुनौती बन गया है। संस्थान में काम करने वाले सैकड़ों कर्मियों को भी अपने भविष्य की चिंता सताने लगी है। जानकारी के अनुसार सीआरआई देश का एकमात्र सरकारी संस्थान है, जहां पर डीपीटी, टेटनेस, हेपेटाइटिस-बी सहित कई प्रकार की जीवनरक्षक वैक्सीन बनती है। सीआरआई द्वारा यह वैक्सीन देश के विभिन्न राज्यों में सप्लाई की जाती रही है। इस वर्ष की शुरुआत में देशभर में पेंटावेलन वैक्सीन बच्चों को लगाने शुरू कर दिए गए। पेंटावेलन इंजेक्शन सरकार द्वारा देश की कई निजी कंपनियोें से खरीदा जा रहा है। कई माह बीत जाने के बाद भी सीआरआई में इस पेंटावेलन की बनाने की तकनीक सरकार मुहैया नहीं करवा पाई है। यही वजह है कि सीआरआई के पास अब वेक्सीन उत्पादन का कार्य लगभग न के बराबर ही रह गया है। संस्थान केवल टेटनेस की वैक्सीन ही तैयार कर रहा है। अन्य सभी वैक्सीन बननी बंद हो चुकी है। बीते वर्ष केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने सीआरआई में करोड़ों रुपए की लागत से निर्मित जीएमपी भवन का शुभारंभ किया था। इस नए भवन में आधुनिक मशीनें तो स्थापित कर दी गई हैं, लेकिन वैक्सीन उत्पादन का कार्य केवल ट्रायल बैच पर ही सिमट कर रह गया है। आर्डर न मिलने की वजह से करोड़ों रुपए की मशीनरी महज शोपीस बनी हुई है। आने वाले दिनों में भी यदि सरकार प्राप्त आंकड़ों के अनुसार संस्थान में इस समय टीटी वैक्सीन के छह बैच तैयार होकर स्टोर में पड़े हैं। प्रत्येक बैच में पांच लाख डोज को शामिल किया जाता है। इस प्रकार करीब तीस लाख डोज बेचना सीआरआई के लिए चुनौती बन गया है। टेटनेस वैक्सीन खरीदने के लिए बहुत कम राज्य अपनी डिमांड भेज रहे हैं। सूत्रों के अनुसार अपने वजूद को बचाने के लिए सीआरआई प्रबंधन वर्ग अब अन्य विकल्पों पर भी विचार कर रहा है।