पहाड़ी गांधी कांशी राम की निवास स्थली है डाडासीबा

By: May 10th, 2017 12:05 am

डाडासीबा पहाड़ी गांधी बाबा कांशी राम की निवास स्थली है। सीबा अब पौंग डैम में जलमग्न हो गया है। प्राचीनाकल में डाडा को ‘गंधपुर का घटा ’ नाम से जाना जाता था। अब गंधपुर डाडासीबा से 1.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है…

डाडासीबा

डाडासीबा जिला कांगड़ा में स्थित है। यह पहाड़ी गांधी बाबा कांशी राम की निवास स्थली है। सीबा अब पौंग डैम में जलमग्न हो गया है। प्राचीनाकल में डाडा को गंधपुर का घटा नाम से जाना जाता था। अब गंधपुर डाडासीबा से 1.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। डाडा गांव की स्थापना डाडू राणा द्वारा की गई बताई जाती  है और बड़वोर गांव बदन सिंह राणा द्वारा (दोनों भाई बलूचिस्तान से आए थे) उन्होंने ‘टांकरी’ और ‘लहड़े’ नामक लिपियों का परिचय भी कराया। ये लिपियां बलूचिस्तान के टाक और लैंडीकोटल प्रदेशों से संबंध रखती हैं।

छड़ी

यह गज और चांबी नदियों के मध्य स्थित है। छड़ी नगर मुद्दत से आकर्षण का केंद्र रहा है। इसे बाबा शोवा नाथ की नगरी भी कहा जाता है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। ऐसा विश्वास किया जाता है कि भगवान शिव ने यहां जहर पिया था, अतः इसे विषनगरी भी कहा जाता है। एक स्थानीय राणा ने कुछ शताब्दियां पहले नगर को पानी लाने के लिए नहर की रूह को संतुष्ट करने के लिए अपनी पुत्रबधु का बलिदान दिया था। इस कारण इसे पापनगरी भी कहते हैं। राणा का नाम जसपत राणा था और पुत्रबधु इंद्रावती थी, जो सुकेत के राणा की बेटी थी। राणा को यह सलाह ठेंगा पंडित नाम के पंडित द्वारा दी गई थी। 1854 में एक बौद्ध मंदिर के अवशेष जहां मिले थे।

 चिनी

यह हिंदोस्तान तिब्बत मार्ग पर रोगी और पांगी के बीच एक गांव है। समुद्र तल से इस की ऊंचाई 9085 फुट है। यह गांव सतलुज नदी के ऊपर कुछ हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित है। इस स्थान से चारों ओर का दृश्य सुंदर है। वहां सबसे ऊंची चोटी भी है जिसे कैलाश या शिव का निवास कहा जाता है। चिनी तत्कालीन गर्वनर जनरल लॉर्ड डलहौजी का मन भाता स्थान था जहां वह आनंद के लिए घूमने जाया करता था। चिनी मानसून क्षेत्र से बाहर है और एक शुष्क व शक्तिवर्द्धक जलवायु रखता है।

चूड़धार

चूड़धार शिखर सिरमौर जिला में स्थित है और खेतों के संपूर्ण परिदृश्य, जंगलों और कंदराओं पर प्रभुत्व जमाए हुए है। शिखर दक्षिण की ओर गंगा के मैदानों और सतलुज नदी के मनोहरी दृश्य को दर्शाता है। उत्तर की ओर प्रसिद्ध तीर्थस्थान बद्रीनाथ है। यहां से चकरौता और शिमला की पहाडि़यां भी दिखती हैं। – क्रमशः

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