अब माइक्रो एटीएम पर फीस

हर ट्रांजेक्शन पर चुकाना होगा 0.5 पर्सेंट इंटरचेंज शुल्क, बैंकों के बीच विवाद खत्म

मुंबई— नेशनल पेमेंट्स कारपोरेशन ऑफ इंडिया  ने माइक्रो एटीएम पर प्रत्येक ट्रांजैक्शन की रकम का 0.5 पर्सेंट इंटरचेंज फीस के तौर पर तय किया है। इससे बड़े बैंकों और छोटे बैंकों के बीच इंटरचेंज फीस को लेकर विवाद समाप्त हो जाएगा। देश में डिजिटल पेमेंट्स के लिए नोडल बॉडी, एनपीसीआई के मैनेजिंग डायरेक्टर, एपी ने बताया कि चार्ज को ट्रांजेक्शन की रकम के 0.5 पर्सेंट पर तय किया गया है और अधिकतम चार्ज 15 रुपए होगा। 100 रुपए से कम की सभी ट्रांजैक्शन निःशुल्क कर दी गई हैं। माइक्रो एटीएम से कैश निकाला जा सकता है और इनका इस्तेमाल क्रेडिट/डेबिट कार्ड और आधार के इस्तेमाल से डिजिटल पेमेंट्स करने के लिए भी हो सकता है। ग्रामीण इलाकों में बैंकिंग इंफ्रास्ट्रक्चर लगाना महंगा होता है। माइक्रो एटीएम को लेकर समस्या उस समय शुरू हुई थी, जब मर्चेंट्स ने इनका इस्तेमाल डिजिटल पेमेंट्स की जगह कैश निकालने के लिए करना शुरू कर दिया था। इससे उन्हें इंटरचेंज फीस मिल रही थी और वे ट्रांजेक्शंस के लिए मर्चेंट डिस्काउंट रेट  के भुगतान को बचा रहे थे। डेबिट कार्ड जारी करने वाले बैंकों को मर्चेंट्स से एमडीआर हासिल करने के बजाय एक्वायरिंग बैंकों को इंटरचेंज फीस चुकानी पड़ रही थी। देश के एक बड़े बैंक के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि रुपए न्यूनतम और 15 रुपए अधिकतम के साथ ट्रांजेक्शन की रकम के एक पर्सेंट इंटरचेंज चार्ज से हमें नुकसान हो रहा था। कम वैल्यू की ट्रांजैक्शंस के लिए इसका गलत इस्तेमाल किया जा रहा था। इस समस्या के मद्देनजर बड़े बैंकों ने अपने संगठन इंडियन बैंक्स एसोसिएशन के जरिए इंटरचेंज फीस को 90 पर्सेंट घटाने का सुझाव दिया था। इस मामले में इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मिनिस्ट्री ने भी हस्तक्षेप किया था और बैंकों से कहा था कि वे खुद आपसी सहमति से रेट तय करें, जिससे सरकार के फाइनेंशियल इनक्लूजन प्रोग्राम को नुकसान न हो।

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