नई दवा को नहीं मिलेंगे लाइसेंस

केंद्रीय दवा महानियंत्रक ने देश भर के सभी राज्य दवा नियंत्रकों को जारी किए हैं निर्देश

बीबीएन —  केंद्रीय दवा महानियंत्रक ने राज्य दवा नियंत्रकों को एफडीसी व नई दवा के लाइसेंस जारी न करने के आदेश दिए हैं। बताते चलें कि एफडीसी के लाइसेंस डीसीजीआई की इजाजत के बिना नहीं दिए जा सकते, लेकिन इसके बावजूद कई राज्यों में यह लाइसेंस दिए जा रहे थे। ऐसे मामलों के सामने आने के बाद केंद्रीय दवा नियामक ने बाकायदा देश के सभी राज्य दवा नियामकों को इस संबंध में लाइसेंस जारी न करने की हिदायतें देते हुए ड्रग एंड कास्मेटिक एक्ट के प्रावधानों के अनुसार कार्य करने के निर्देश दिए हैं। दरअसल कई राज्यों के दवा नियामकों ने डीसीजीआई की अनुमति के बिना दवा निर्माताओं को एफडीसी (फिक्स्ड डोज कांबीनेशन) व नई दवाओं के  लाइसेंस जारी किए हैं। डीसीजीआई ने इसका कड़ा संज्ञान लेते हुए बिना उसकी मंजूरी के लाइसेंस जारी करने की इस कवायद को अवैध बताते हुए लाइसेंस जारी न करने की हिदायतें राज्य दवा नियंत्रकों को दी हैं। साथ ही डीसीजीआई ने सभी राज्यों के दवा नियंत्रकों से एफडीसी दवाओं व नई दवाओं के अब तक जारी लाइसेंस को रद्द कर रिपोर्ट सौंपने के भी निर्देश दिए हैं। फार्मा सेक्टर के जानकारों का कहना है कि डीसीजीआई द्वारा पहले भी इस संबंध में निर्देश दिए गए थे, लेकिन इनके उल्ट कुछ राज्यों में लाइसेंस देने का सिलसिला बेरोकटोक जारी रहा। ऐसे में इस बार केंद्रीय नियामक को सभी राज्यों में इसकी कड़ाई से पालना सुनिश्चित करवानी होगी। एफडीसी को एक नई दवा माना जाता है। नई दवा होने के कारण इसका क्लीनिकल ट्रायल होना चाहिए,  लेकिन आरोप है कि कुछ राज्यों ने इस नियम की अनदेखी करते हुए एफडीसी को बाजार में उतारने की मंजूरी दे दी।

16 मई को जारी हुआ है पत्र

डीसीजीआई द्वारा 16 मई को जारी पत्र में कहा गया है कि नई दवा के अनुमोदन की व्यवस्था को ड्रग एंड कास्मेटिक एक्ट के नियम 122 (ई) में परिभाषित किया गया है और नियम 21 (बी) में स्पष्ट किया गया है कि राज्य लाइसेंस प्राधिकरण द्वारा किसी भी नई दवा के निर्माण, बिक्री या वितरण के लिए लाइसेंस देने से पहले लाइसेंसिंग प्राधिकरण का पूर्व अनुमोदन आवश्यक है।

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