नई पालिसी के तहत मिलेगा मुआवजा

आपत्तियों के बाद पुरानी नियमावली में संशोधन कर लागू किए नए प्रावधान

शिमला— जमीन के बदले में लोगों को उसका उचित मुआवजा प्रदान करने के लिए सरकार ने नियम बनाए हैं। पुरानी नियमावली में कुछेक संशोधन किए गए हैं, जिसके साथ  मंजूरी के लिए आवेदन पत्र भी बदला गया है। इसे आपत्तियों के निपटारे के बाद लागू किया है। जिस भी कार्य के लिए निजी लोगों से जमीन खरीदी जाएगी  उनको जमीन का उचित मुआवजा तय नियमों के तहत दिया जाएगा। इसके लिए सरकार ने राइट टू फेयर कंपेनसेशन रूल्ज जारी किए हैं। इससे पहले भी एक प्रारूप बनाया गया था, जिस पर कोई ज्यादा बदलाव नहीं किए गए हैं। क्योंकि कानूनी तौर पर लोगों को सही मुआवजा मिले, इसके लिए केंद्र सरकार ने व्यवस्थाएं की हैं। उसके तहत यहां पर भी इसे लागू किया गया है। लोगों को उनकी जमीन का उचित मुआवजा दिलाने के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है जो कि सभी जिलों में जिलाधीशों के अधीन होगी। इसमें अलग-अलग विभागों के अधिकारी शामिल रहेंगे जो कि नियमों के तहत सभी प्रावधानों को देखने के बाद अपनी मंजूरी देंगे। जमीन के लिए आवेदनकर्ताओं को पहले सरकार से मंजूरी लेनी होगी और उसके बाद इस कमेटी के माध्यम से लोगों को इसका उचित मुआवजा देना होगा।  मंजूरी लेने के लिए पहले विस्तृत परियोजना रिपोर्ट देनी होगी और उसके साथ संबंधित जमीन के नक्शे व ततीमे भी जमा करवाने होंगे। इसमें जमीन का वर्गीकरण भी बताना होगा कि वह जमीन किस किस्म की है। जिलाधीश फील्ड अधिकारियों के साथ मौके का दौरा करेंगे या फिर किसी समिति का गठन करेंगे। ये देखा जाएगा कि प्रस्तावित जमीन के इस्तेमाल से वहां के लोगों को क्या लाभ मिलेगा। ये नियम जमीन मुआवजे को पारदर्शी बनाने के लिए बनाए गए हैं ताकि किसी भी तरह की धोखाधड़ी न तो प्रशासन के साथ हो और न ही जमीन देने वाले लोगों के साथ। इन नियमों के लागू होने से जमीन अधिग्रहण के मामलों में पारदर्शिता आ सकेगी।

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