न लगे क्रैश बैरियर, न पैरापिट

By: May 3rd, 2017 12:15 am

हादसे पे हादसे, चौपाल-नेरवा के लिए अब तक नहीं बनी कोई सुरक्षा योजना

newsशिमला— आखिर चौपाल और नेरवा क्षेत्र में सड़क हादसे कब रुकेंगे। एक के बाद एक सड़क हादसा इस क्षेत्र में हो रहा है, जिसमें कई घरों के चिराग बुझे। ऐसे हादसों पर अब तक सरकार की नींद नहीं टूट रही। ऐसे सड़क हादसे रोकने के लिए सरकार की तरफ से कोई कोशिश नहीं हुई है, जिसके चलते इस क्षेत्र में हादसों पर कोई विराम नहीं लग पाया है। कुछ दिन पहले ही नेरवा के पास एक बस हादसा हुआ, जिसमें 46 लोगों की जान चली गई और अब एक और कार खाई में गिर गई, जिसने छह लोगों को मौत के आगोश में ले लिया। पूरे क्षेत्र में मौजूद ये ढांक लगातार किसी न किसी हादसे को न्योता दे रहे हैं, क्योंकि इनसे बचाव के लिए सड़कों पर क्रैश बैरियर नहीं हैं। कहीं पैरापिट नहीं है, जिससे टकराकर कोई वाहन रुक जाए और जानें बच सकें। ऐसे में सरकार को चौपाल और नेरवा के साथ-साथ ऐसे पहाड़ी क्षेत्रों में सड़क सुरक्षा के उपाय अपनाने बेहद जरूरी हैं। सड़क हादसों की बात करें तो राज्य में दस सालों में ही 30 हजार हादसों ने 11 हजार से ज्यादा की जानें ली हैं, जबकि 53 हजार लोग जख्मी हैं। ऐसे में अब यह सवाल उठ रहा है कि ये हादसे कब तक यूं ही बेकसूर लोगों की जानें लेते रहेंगे। हिमाचल पहाड़ी राज्य  है और यहां चालकों की जरा सी लापरवाही कई लोगों की जानें खतरे में डाल देती हैं। वहीं, यदि बड़े यात्री वाहन, बस या ट्रैवलर हादसे का शिकार हो जाएं तो एक साथ कई जानें चली जाती हैं। आंकड़ों पर गौर करें तो हादसों का यह ग्राफ भयावह है। महज दस सालों में ही 30 हजार से ज्यादा सड़क हादसे इस छोटे से राज्य में हो चुके हैं, जिनमें 11038 मौतें और और 53118 लोग घायल हुए हैं। प्रदेश भर में खूनी बनी सड़कों ने आजतक न जाने कितने ही घरों के चिराग बुझा दिए हैं। कई हादसों में पूरा ही परिवार शिकार हो जाता है, तो कहीं पूरी बस के सवार मौत का ग्रास बन जाते हैं। अकसर हादसे के बाद हमेशा यही चर्चाओं का दौर होता है कि शायद पैरापिट होता तो जान बच जाती, इस पर ध्यान देने की जरूरत है।

कितनों की गई जान, कितने घायल

आंकड़ों के अनुसार साल 2007 में राज्य में 2955 सड़क हादसों में 973 लोगों की मौत व 5333 घायल हुए। 2008 में 2756 हादसों में 848 मौतें, 4714 घायल हुए तो 2009 में 3051  हादसों ने 1140 लोगों को हमेशा के लिए सुला दिया और 5579 लोगों को जख्मी किया। साल 2010 में 3069 हादसों में 1102 मौतें, 5325 घायल हुए  तो साल 2011 में 3099 हादसों  ने 1353 लोगों को मौत के मुंह में पहुंचाया और इनमें 5462 घायल हुए। हालांकि साल 2012 में हादसों का ग्राफ हल्का घटकर 2899 तक आया , जिनमें 1109 मौतें, 5248 घायल हुए और 2013 में भी 2981 हादसों ने 1054 जानें ली और इनमें 5081 घायल हुए। इसके बाद साल 2014 में फिर हादसों की तादाद 3058  तक पहुंची, जिनमें1199 लोगों की मौत हुई और 5680 लोग घायल हुए। साल 2015 में भी राज्य में 3010 हादसों में 1097 लोगों की मौत और 5109 लोग घायल हुए हैं। इसी तरह साल 2016 सड़क हादसों का ग्राफ बढ़कर 3152 तक पहुंचा गया है, जिसमें 1163 लोगों की मौत हुई हैं और 5587 लोग घायल हुए हैं।  यही नहीं इस साल भी सड़क हादसे लगातार हो रहे हैं और अब तक 430 सड़क दुर्घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें करीब 200 जानें जा चुकी हैं और करीब 750 लोग घायल हुए हैं।

हादसों की वजह

हर बार हादसों के बाद जांच बिठाई जाती है, लेकिन रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं होती। इसकी फाइलें धूल फांकती रहती हैं। वैसे राज्य में सड़कों के साथ-साथ मानवीय गलतियां हादसों की एक बड़ी वजह देखी गई है। तेज रफ्तार, ओवरलोडिंग, चालकों का प्रशिक्षित न होना, ऐसी वजह हैं जो लगातर हादसों की वजह बन रही है। इस पर चौपाल और नेरवा क्षेत्र अतिसंवेदनशील हो चुका है जहां बार-बार हादसे हो रहे हैं। यहां के लिए सड़क सुरक्षा उपायों पर सरकार को गंभीरता से ध्यान देना चाहिए, वरना न जाने कितने घर अंधेरे में यूं ही डूबते रहेंगे।

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