निजी आपरेटरों के सामने नहीं चली
राष्ट्रीय उच्च मार्ग को आम आवाजाही के लिए खाली रखने की पुलिस की हिदायतें उस समय धराशायी हो गईं, जब सत्संग छूटने के बाद यात्री बसें सवारियों के चक्कर में मुख्य सड़क पर भी अपना ही राग अलापती रहीं। उच्च मार्ग पर भी बसें बदस्तूर रुकती रहीं। सभी सरकारी व गैर सरकारी बसों को रुकने के लिए दरंग तथा परौर में रेलवे हाइट गेज के पास स्थल निर्धारित किया गया था लेकिन लोगों की भीड़ तथा आपरेटरों की मर्जी के आगे व्यवस्था बौनी ही साबित हुई।
एचआरटीसी ने झोंकी ताकत
समागम में आए लोगों की सुविधा के लिए एचआरटीसी ने भी अपनी ताकत झोंकी। कई क्षेत्रीय प्रबंधकों तथा अन्य आफिस व फील्ड स्टाफ के साथ मंडलीय प्रबंधक विजय सिपहिया भी रविवार को अपने कंट्रोल रूम में डटे रहे तथा बसों की उपलब्धता का जायजा लेते रहे। उन्होंने कहा कि रोजाना रूटों को बाधित किए बिना निगम ने यात्रियों की मांग पर बसें उपलब्ध करवाने की व्यवस्था की है । दूसरी ओर कुल मिलाकर व्यवस्था हर साल से बेहतर रही, क्योंकि आयोजन स्थल पर यातायात दबाव कम रखने के लिए जहां मलां तथा मैंझा रोड से ही लंबी दूरी व सामान वाहक वाहनों को डाइवर्ट कर दिया गया था, वहीं पार्किंग स्थलों की संख्या तथा क्षमता को भी अपेक्षाकृत बढ़ाया गया था।
सत्संग छूटते ही सेवादारों के छूटे पसीने
हर साल के कटु अनुभव से सीख लेते हुए हालांकि आयोजकों ने भीड़ पर काबू पाने के इस मर्तबा खास इंतजाम किए हुए थे, जिसमें वे काफी हद तक कामयाब भी नजर आए । यही वजह रही कि सत्संग के दौरान मुख्य सड़क मार्ग पर यातायात रविवार सुबह 11 बजे तक बिलकुल व्यवस्थित रहा तथा सड़क मार्ग पर कोई भी वाहन नजर नहीं आ रहा था। तथापि सत्संग छूटते ही करीब साढ़े 11 बजे से सायंकाल तक मुख्य सड़क मार्ग पर सेवादारों के व्यवस्था बनाने में खूब पसीने छूटे।
यातायात बहाली में एसपी भी डटे
रविवार शाम तक उच्च मार्ग पर वाहनों की भीड़ और चालकों की भागमभाग के बीच यातायात बहाली के लिए स्वयं जिला पुलिस अधीक्षक संजीव गांधी को भी सड़क पर उतरना पड़ा । लंबे समय तक उन्होंने यहां रुक कर व्यवस्था में सहयोग किया तथा अधीनस्थ अधिकारियों को जरूरी निर्देश भी देते रहे ।