पांच कंपनियों की दवाइयों पर रोक

मानक नियंत्रण संगठन की जांच में मानकों पर खरा नहीं उतरीं बुखार-एसिडिटी की दवाएं

बीबीएन —  केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की जांच में प्रदेश के पांच दवा उद्योगों में निर्मित दवाइयां गुणवत्ता मानक ों पर खरा नहीं उतर सकी हैं। इनमें बुखार, एसिडीटिव संक्रमण के उपचार में इस्तेमाल होने वाली दवाएं शामिल हैं। जानकारी के अनुसार सीडीएससीओ द्वारा जारी अप्रैल के ड्रग अलर्ट में देश भर के 18 उद्योगों में निर्मित दवाएं सब-स्टैंडर्ड पाई गई हैं। इस लिस्ट में हिमाचल के पांच उद्योग शामिल हैं, जो बद्दी के झाड़माजरी, काठा, चनालमाजरा में स्थापित हैं, जबकि बाकी दवाएं उत्तराखंड, दिल्ली, नोयडा, मुंबई, गुजरात स्थित दवा उद्योगों में निर्मित हुई हैं। राज्य दवा नियंत्रक ने नियमानुसार दवा कंपनियों को नोटिस जारी करते हुए उन्हें बाजार से फेल हुए दवा उत्पादों का पूरा बैच हटाने के आदेश जारी कर दिए हैं। इसके अलावा ड्रग इंस्पेक्टरों को ड्रग अलर्ट में शामिल कंपनियों का निरीक्षण कर जांच रिपोर्ट सौंपने को कहा है। जानकारी के मुताबिक सीडीएससीओ द्वारा जारी अप्रैल के ड्रग अलर्ट में हिमाचल के पांच दवा उद्योगों में निर्मित दवाएं मानकों पर खरा नहीं उतर सकी हैं। इसके अलावा देश के अन्य राज्यों के 13 दवा उद्योगों की दवाइयों के सैंपल जांच में मानकों पर खरे नहीं उतर सके हैं। इन दवाइयों के सैंपल सीडीएससीओ बद्दी, कोलकाता, हैदराबाद, चेन्नई, मुंबई, असम, बंगलूर ने भरे थे।

सभी उद्योगों को नोटिस जारी

केंद्रीय नियामक की इस कवायद का मकसद गुणवत्ता मानकों पर खरा न उतरने वाले मसलन ऐसे दवा उत्पादों जो मानक गुणवत्ता की कसौटी पर खरे न उतरे हों, की आपूर्ति व बिक्री पर प्रतिबंध लगाना है। इस बाबत राज्य दवा नियंत्रक नवनीत मारवाहा ने बताया कि दवा उद्योगों को नोटिस जारी कर दिया गया है और उन्हें बाजार से फेल हुए दवा उत्पादों का पूरा बैच उठाने के आदेश दे दिए गए हैं।

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