प्राकृतिक सौंदर्य का खजाना छत्तीसगढ़

नैसर्गिक सौंदर्य शहरी सैलानियों को रोमांच और कौतूहल से भर देता है। गुफा के भीतर जलकुंड तथा जलप्रवाह की  संरचनाएं किसी भी सैलानी को ठिठक कर निहारते रहने के लिए बाध्य कर देती हैं…

जगदलपुर से 25 किलोमीटर दूर कांगेर फूलों की घाटी वैली राष्ट्रीय उद्यान में है। यहां का नैसर्गिक सौंदर्य शहरी सैलानियों को रोमांच और कौतूहल से भर देता है। गुफा के भीतर जलकुंड तथा जलप्रवाह की  संरचनाएं किसी भी सैलानी को ठिठक कर निहारते रहने के लिए बाध्य कर देती है। बस्तर के अलावा अंबिकापुर से 80 किलोमीटर दूर अंबिकापुर रामानुजगंज मार्ग के समीप तातापानी नामक झरना क्षेत्र है। यहां गर्म जल के 8-10 स्रोत हैं। रायगढ़  जिले में घने वनों के बीच केंदई ग्राम में एक पहाड़ी नदी लगभग 100 फीट की ऊंचाई से गिरकर एक खूबसूरत प्रपात बनाती है। इसे केंदई जलप्रपात के नाम से जाना जाता है। एडवेंचर्ज  ईको-टूरिज्म के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ अब तेजी से अपनी पहचान बना रहा है। यहां कोटमसर गुफा के अलावा कैलाश गुफा, दंडक गुफा, अरण्यक गुफा और चारों तरफ  हरीतिमा के साथ फैली घाटियां प्रकृति प्रेमियों का मन मोह लेती हैं। केशकाल घाटी में सर्पीली सड़कों से गुजरते हुए इसके रोमांच को महसूस किया जा सकता है। बस्तर घाटियों के लिए प्रसिद्ध है। उत्तर में केशकाल और चारामा घाटी, दक्षिण में दरभा की झीरम घाटी, पूर्व में आरकू घाटी, पश्चिम में बंजारिन घाटी समेत पिंजारिन घाटी, रावघाट, बड़े डोंगर छत्तीसगढ़ में डोंगर, पर्वत को कहा जाता है, प्रसिद्ध हैं। ऐतिहासिक महत्त्व के स्थानों के लिए सुरुचि संपन्न पर्यटकों के लिए सिरपुर नामक एक ऐसी जगह की हाल में खुदाई हुई है। यह 5वीं शताब्दी में बना बौद्ध मंदिर क्षेत्र है। यहां लक्षमण मंदिर छठी शताब्दी में निर्मित माना गया है। छत्तीसगढ़ राम का ननिहाल रहा है। उनकी माता कौशल्या छत्तीसगढ़ की थीं। यहां शिवरीनारायण जैसी प्रसिद्ध जगह है जहां राम ने शबरी से जूठे बेर खाए थे। भोरमदेव अपने अनूठे शिल्प के लिए जाना जाता है और डोंगरगढ़ जैसी जगहों पर हमेशा भीड़ रहती है।

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