फाइलों की गाद में नड्डी की डल लेक

धर्मशाला —  पर्यटक स्थल मकलोड़गंज के नड्डी में स्थित डल झील को संवारने के लिए लाखों रुपए खर्च किए गए। बावजूद इसके डल झील की गाद को अभी तक बाहर नहीं निकाला जा सका है। इतना ही नहीं, डल झील को कश्मीर की डल लेक की तर्ज पर संवारने के सपने भी हिमाचल में साकार नहीं हो पाए हैं। प्रदेश सरकारों, पर्यटन विभाग और जिला प्रशासन द्वारा कई प्रकार की कमेटियां गठित करके डल झील का जीर्णोद्धार करवाए जाने की योजनाएं बनाई गईं, लेकिन विभाग और प्रशासन की कई योजनाएं फाइलों में ही सिमट कर रह गई। धर्मशाला-मकलोडगंज में पर्यटकों के लिए एक मात्र आकर्षण का केंद्र रहने वाली झील अब लगातार सिकुड़ती हुई नजर आ रही है। झील का पानी कम होते हुए गाद के कारण गंदा भी नजर आने लगा है। नड्डी की डल लेक आज से 10 से 15 वर्ष पहले तक पर्यटकों के लिए सबसे अधिक आकर्षण का केंद्र बनी हुई थी। झील में विभिन्न प्रकार की मछलियां पाई जाती है। इसके साथ ही झील के किनारे प्राचीन दुर्वेश्वर महादेव का मंदिर भी स्थित है। नड्डी डल झील का धार्मिक दृष्टि से भी बहुत अधिक महत्त्व है। राधा अष्टमी को मणिमहेश में होने वाले बड़े न्हौण के साथ ही नड्डी झील में हजारों की संख्या में लोग डूबकी लगाने के लिए पहुंचते हैं। डल झील में न्हौण के साथ ही मेले का भी आयोजन किया जाता  है। लेकिन आज के समय में डल झील मात्र शोपीस बनकर ही रह गई है। प्रशासन द्वारा झील की गाद को निकालने के लिए एक बार प्रयास भी किया गया था। इस दौरान झील की हज़ारों मछलियों को नड्डी से निकालकर दूसरे स्थान में शिफ्ट किया गया था। इस दौरान लाखों रुपए खर्च होने के बाद अब तक झील का जीर्णोद्धार नहीं हो पाया हैै। झील में पानी के होने वाले लगातार रिसाव को भी अब तक रोकने में कामयाबी हासिल नहीं हो सकी है। मुख्य पर्यटक स्थल होने के चलते झील में नाव चलाने का कार्य भी शुरू किया गया था, लेकिन पर्यटकों के लिए चलाने वाली नाव को भी बंद कर दिया गया।

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