फिरंगियों ने चम्याणा में बनाई थी पहली सुरंग

शिमला  – हिल्स क्वीन शिमला अंगे्रजों की खोज था। अंगे्रजों को शिमला बहुत पसंद था, जिसके चलते अंगे्रज साल में आठ महीने यहीं से शासन चलाते थे। अंगे्रजों ने यहां आठ दशक से भी अधिक समय बिताया। हर वर्ष गर्मियां आते ही अंगे्रज पूरे लाव-लश्कर के साथ शिमला आ जाते थे। इस दौरान अंगे्रजों ने जहां कुदरत से काफी कुछ लिया, वहीं अंगे्रज हिल्स क्वीन को विरासत में बहुत कुछ छोड़कर भी गए हैं। नगर निगम शिमला का चम्याणा वार्ड भी अंगे्रजों की विरासत की कुछ ऐसी यादें संजोए हुए हैं। अंगे्रजों ने शिमला को समर कैपिटल बनाने के बाद चम्याणा वार्ड में पहली सुरंग का निर्माण किया था ,जो आज भी ऊपरी शिमला को शिमला के साथ जोड़ने का मुख्य मार्ग है। अंगे्रजों ने इस टनल का निर्माण कार्य 18वीं शताब्दी में आरंभ किया था। आज यह टनल संजौली-ढली टनल के नाम से जानी जाती है। टनल की लंबाई 560 फीट है। बुजर्गों के मुताबिक अंगे्रजों ने जब गोरखा हमलावरों को भगाया था और शिमला में अपने पैर जमाए थे, तो उन्होंने सबसे पहले संजौली-ढली टनल का निर्माण किया था। अंगे्रजों ने वार्ड में पहला कब्रिस्तान बनाया था, जो आज संजौली कब्रिस्तान के नाम से जाना जाता है। इस कब्रिस्तान में आज भी विदेशी अपने बुजुर्गों को पुष्प अर्पित करने पहुंचते हैं। संजौली का कब्रिस्तान 35 बीघे पर स्थापित है। मौजूदा समय में इस कब्रिस्तान में समीट्री के युवा विभिन्न खेल खेलते हैं।

समीट्री में रहना पसंद करते हैं लोग

मल्याणा वार्ड का समीट्री क्षेत्र शहर के सबसे घने बसे क्षेत्रों मेें गिना जाता है। ऊपरी शिमला के लोग काफी संख्या में यहां रहते हैं। ऊपरी शिमला के प्रवेश द्वार पर स्थित होने के चलते लोग यहां रहना पसंद करते हैं।

डिलिमिटेशन के बाद बने दो वार्ड

डिलिमिटेशन के बाद मल्याणा वार्ड के दो वार्ड बन गए हैं। वार्ड को शांति विहार व भट्टाकुफर में बांटा गया है। मल्याणा वार्ड की जनसंख्या छह हजार के करीब है।

नगर निगम राजनीति में अहम योगदान

मल्याणा वार्ड व नगर निगम शिमला की राजनीति में अहम योगदान रहता है। इस वार्ड से पूर्व में भाजपा व कांग्रेस समर्थित पार्षदों का बराबर दबदबा रहा है।

अंगे्रजों ने बसाया था समीट्री क्षेत्र

स्थानीय बुजुर्गों के अनुसार अंगे्रजों ने ही समीट्री क्षेत्र बसाया था। यह नाम भी अंगे्रजों ने ही उक्त क्षेत्र को दिया था। क्षेत्र में शुरूआत में केवल 10-12 भवन थे। आज यह क्षेत्र कंकरीट के जंगल में तबदील हो गया है

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