फिल्म रिव्यू : अ बिलियन ड्रीमज

इस स्पोर्ट्स डाक्यूमेंटरी कम ड्रामा फिल्म में सचिन तेंदुलकर अपना ही किरदार निभा रहे हैं जिसमें सचिन की लाइफ  के साथ ही विश्व क्रिकेट के इतिहास की सबसे बड़ी घटना को दिखाया गया है। रिव्यू. जब कोई शख्स क्रिकेट की अंतरात्मा और देश के लोगों की सामूहिक आवाज हो, तो उस शख्स को फिल्म का मुख्य किरदार बनाकर उस पर फिल्म बनाना मुश्किल काम है। लिहाजा जेम्स अर्स्किन सचिन को मूर्ति के तौर पर सामने रखकर एक ऐसी कहानी कहते हैं जिसमें अस्वाभाविक और बनावटी भक्ति और श्रद्धा दिखती है। सचिन के बचपन के बारे में देखना और जानना मजेदार है। वैसे फुटेज जिसमें सचिन अपने पर्सनल स्पेस में अपनी पत्नी अंजलि, बच्चे अर्जुन, सारा और बाकी परिवार के सदस्यों और दोस्तों के साथ दिख रहे हैं, यह उस तरह का पल है जब फैन्स जोर- जोर से सचिन का नाम चिल्ला रहे हों। सचिन को इस फिल्म के सूत्रधार के रूप में देखना अतिरिक्त बोनस की तरह है, जो दर्शकों को अपनी जीत के साथ ही चोट के सफर पर भी लेकर जाते हैं।  तेंदुलकर के लिए पागल उनके फैन्स के लिए वह क्षण भी दिल थाम लेने वाला है ,जब क्रिकेट के इतिहास में सचिन की शुरुआत का दृश्य दिखाया जाता है। वह क्षण जब 1989 में हुए एक एग्जीबिशन मैच में सचिन ने पाकिस्तान के अब्दुल कादिर के 1 ओवर में 4 छक्के जड़े थे। इसके अलावा फिल्म में एक और कभी न मिटने वाली याद को भी ताजा किया गया ह, जब 1998 में चेन्नई टेस्ट में आस्ट्रेलिया के खिलाफ  सचिन ने शेन वॉर्न की इतनी धुनाई की थी कि वह पंचिंग बैग की तरह महसूस कर रहे थे। हालांकि सचिन की उपलब्धियां इतनी ज्यादा हैं कि उसे एक फिल्म में समेटना मुश्किल है। निंदा करने वाले यह बात भी कह सकते हैं कि ये सारे फुटेज तो यूट्यूब पर मौजूद हैं, जिसे कभी भी देखा जा सकता है, लेकिन वैसे लोग जिनके लिए सचिन एक इमोशन है उनके लिए इस तरह के सभी फुटेज को बड़े पर्दे पर एक साथ बिना सर्च बटन को दबाए देखना बेशकीमती है।

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