बंद होते ब्यूली स्कूल को टीचर ने बनाया मॉडल

अर्की —  अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता इस कहावत को उलट साबित किया है। ब्यूली प्राइमरी  स्कूल में कार्यरत जेबीटी अध्यपिका मधु गुप्ता ने। उन्होंने बंद होने की कगार पर पहुंचे स्कूल में अपने प्रयत्नों से न केवल नामांकन में वृद्धि की, बल्कि अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा प्रदान कर सभी सरकारी स्कूलों के लिए एक मॉडल भी प्रस्तुत किया है। एक ओर जहां सरकारी विद्यालयों में निरंतर नामांकन कम हो रहा है। ऐसे समय में सरकारी स्कूलों में नामांकन में वृद्धि कर एक नई दिशा देने का बीड़ा उठाया है इस अध्यापिका ने। डेढ़ वर्ष पूर्व जब उक्त स्कूल में मधु गुप्ता ने ज्वाइन किया तब स्कूल में बच्चों की संख्या मात्र दो ही थी। उन्होंने स्कूल प्रबंधन समिति के सहयोग से अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा प्रदान करने तथा स्कूल परिसर में ही नर्सरी कक्षाएं शुरू करने का फैसला किया। परिणामस्वरूप बच्चों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई। अभी छात्रों की संख्या 16 पहुंच गई है। यहां छात्र संख्या 100 करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। इसमें बीआरसी अरविंद भार्गव विशेष सहयोग कर रहे हैं। आज यह शिक्षा खंड अर्की में एकमात्र ऐसा स्कूल है, जहां पूर्णतः अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा दी जाती है। अभी एसएमसी के नाम से व्हाट्सऐप ग्रुप बना है, जिसमें होमवर्क या अन्य डिटेल शेयर की जाती हैं। इसके अलावा डायरी में भी रेगुलर नोट दिया जाता है। बीआरसी प्राइमरी अरविंद भार्गव ने बताया ऐसे ही मेहनतकश अध्यापकों की जरूरत आज समाज को है जो पूर्ण कर्मठता, मेहनत, लग्न और ईमानदारी से कार्य  करें। उन्होंने आगे बताया कि मधु गुप्ता के अथक प्रयासों को शिक्षा विभाग ने पहचाना और हिमाचल शिक्षा विभाग द्वारा शुरू किए गए ‘खास शिक्षा’ कार्यक्रम के तहत निदेशक प्रारंभिक शिक्षा मनमोहन शर्मा ने प्रशस्ति पत्र से इन्हें नवाजा। अरविंद भार्गव ने बताया कि खास शिक्षा के द्वारा ऐसे ही अध्यापकों की पहचान कर उन्हें सम्मानित किया  जा रहा है।

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