मंडी-रोपड़-पीजीआई एक साथ करेंगे शोध

आईआईटी में समझौता, दस करोड़ के बायो-एक्स रिसर्च सेंटर में कृषि-स्वास्थ्य पर होगा काम

मंडी— आईआईटी मंडी, आईआईटी रोपड़ और पीजीआई चंडीगढ़ के प्राध्यापक, विशेषज्ञ और रिसर्च स्कॉलर मिलकर काम करेंगे। आईआईटी मंडी में स्वास्थ्य सुविधाओं की लागत कम करने, हिमालय रीजन में जड़ी-बूटियों के संरक्षण और खेती में प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल पर शोध होगा। आईआईटी कमांद स्थित कैंपस में शनिवार को दस करोड़ की लागत से बने बायो-एक्स रिसर्च सेंटर का उद्घाटन भारतीय बायोटेक्नोलॉजी विभाग के सचिव प्रो. के विजय राघवन ने किया। दिसंबर, 2016 में बायो-एक्स अनसुंधान केंद्र की औपचारिक संरचना को मंजूरी दी गई थी। इसमें दस करोड़ की लागत रिसर्च वर्क के लिए हाईटेक उपकरण स्थापित किए गए हैं। बायो-एक्स रिसर्च सेंटर में तीनों संस्थानों के प्राध्यापक, विशेषज्ञ व विषयों के शोधार्थी जुटे हुए हैं। इस दौरान प्रो. के विजय राघवन ने विभिन्न विषयों के शोधार्थियों से शोध कार्यों की जानकारी ली। रिसर्च सेंटर में आईआईटी मंडी और रोपड़ की करीब 45 से ज्यादा फैकल्टी काम करेंगी। करीब 150 शोधार्थी विभिन्न विषयों में बायो-एक्स रिसर्च सेंटर में काम करेंगे। प्रो. के विजय राघवन ने बताया कि स्वास्थ्य, खेती और हिमालय की जरूरतों और दिक्कतों पर एक साथ काम करना ही इस सेंटर का मुख्य उद्देश्य है। इस मौके पर प्रो. सरिता कुमार दास निदेशक आईआईटी रोपड़, प्रो. टिमोथी गोंजाल्विस निदेशक आईआईटी कमांद, डा. शैलजा गुप्ता, प्रो. तुलिका श्रीवास्तव, प्रो. सुभाजीत राय चौधरी, प्रो. वरुण दत्त उपस्थित रहे।

इन पर किया जाएगा शोध

* कैंसर और मधुमेह जैसे रोगों का पता लगाने और उपचार

* लक्षित दवा वितरण के लिए उपन्यास नैनो कण का विकास

* आयुर्वेद की प्रभावकारिता के डीएनए आधारित अध्ययन

* हिमालय के औषधीय पौधों की पहचान और संरक्षण, इन पौधों के आधार पर दवाएं बनाना

* कृषि अनुप्रयोगों के लिए कम लागत वाली सेंसर तकनीक

* हड्डी की संरचना और कृत्रिम हड्डी प्रतिस्थापन का अध्ययन

* गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के लिए स्क्रीनिंग मशीन

* सस्ती, पोर्टेबल एमआरआई और ईईजी मशीनें

पीठ थपथपाई

दस करोड़ से बने बायो-एक्स रिसर्च सेंटर का उद्घाटन करने पहुंचे प्रो. के विजय राघवन ने कहा कि हिमालयी क्षेत्र में बायोमेडिकल के क्षेत्र में शोध की अपार संभावनाएं हैं। आईआईटी फैकल्टी ने अपने स्तर पर इस तरह के शोध कार्यों के प्रयास किए हैं। संस्थान ने बहुत कम समय में काफी तरक्की की है। अब दस करोड़ के ऐसे रिसर्च सेंटर निकट भविष्य में काफी कारगर साबित होगा।

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