समाज को आईना दिखाती है फिल्म ‘हिंदी मीडियम’

आजकल एजुकेशन व्यापार बन गई है और अंग्रेजी अब भाषा नहीं रही है, बल्कि क्लास बन चुकी है। आप कितने भी अमीर हों या गरीब, आपको अंग्रेजी बोल पाने या न बोल पाने के कारण समाज में इज्जत दी जाती है। ‘हिंदी मीडियम’ फिल्म इन दोनों बातों को ध्यान में रख कर बनाई गई है। इरफान खान की शानदार कॉमेडी व एक्टिंग के साथ यह फिल्म काफी हद तक फिल्म ‘इंग्लिश विंगलिश’ की तरह हमारी आपकी आंखें खोलने का काम करती है और समाज को आईना दिखाती है। राज बत्रा (इरफान खान)और मीता बत्रा (सबा कमर) एक पंजाबी दंपति है, जिनकी एक बेटी है, पिया। ये एक मिडल क्लास परिवार है, जो थोड़े ही समय से थोड़े से अमीर हो गए हैं। इनकी इच्छा है की इनकी बेटी पिया किसी बढि़या इंग्लिश स्कूल में भर्ती हो जाए, ताकि उसकी जिंदगी सुधर जाए, पर ऐसा हो नहीं पाता, क्योंकि आजकल बच्चे के अंग्रेजी स्कूल में पढ़ने के लिए खुद मां-बाप को अंग्रेजी का प्रकांड पंडित होना जरूरी है। मीता और राज ट्यूशन भी लेते हैं, पर कुछ नहीं होता। आखिरकार वह गरीबकोटे से अपनी बेटी का एडमिशन कराने की सोचते हैं और गरीब पड़ोसी श्याम प्रकाश (दीपक डोबरियाल)के साथ मिलकर गरीबी का स्वांग रचते हैं। भारतीय परिवेश के बहुस्तरीय किरदार को पाकिस्तानी अभिनेत्री सबा कमर ने बहुत अच्छी तरह निभाया है। यह फिल्म इरफान की अदाकारी, कॉमिक टाइमिंग और संवाद अदायगी के लिए बार-बार देखी जाएगी। सामान्य सी पंक्तियों में वे अपने अंदाज से हास्य और व्यंग्य पैदा करते हैं। वह हंसाने के साथ भेदते हैं। दर्शकों को भी मजाक का पात्र बना देते हैं। पर्दे पर दिख रही बेबसी और लाचारगी हर उस पिता की बानगी बन जाती है, जो अंग्रेजी मीडियम का दबाव झेल रहा है। हालांकि यह फिल्म अंग्रेजी प्रभाव और दबाव के भेद नहीं खोल पाती, लेकिन उस मुद्दे को उठाकर सामाजिक विसंगति जाहिर तो कर देती है।

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