सरहद पर गोलीबारी से ही…बढ़ जाता है बीपी

हमीरपुर  —  ‘सीमा पार से जब भी गोलीबारी की खबर आती है, कलेजा फट जाता है। हम टीवी-रेडियो पर समाचार सुनना ही बंद कर देते हैं, लेकिन ध्यान वहीं रहता है कि मां भारती की रक्षा में जुटे जवानों को कुछ हो न जाए। वक्त काटे नहीं कटता है और फिर फोन पर अपनों का हालचाल जानकर दिल को सुकून मिलता है। पता नहीं केंद्र सरकार पाकिस्तान के खिलाफ एक्शन लेने से क्यों डर रही है। सरहद पर पाकिस्तान की दरिंदगी का जवाब हमें भी कड़ी कार्रवाई से ही देना चाहिए। क्यों फौज को फ्री हैंड नहीं दे देते? पाकिस्तान के प्रति बड़ी सहनशक्ति दिखा दी, अब उसे अपनी असली ताकत भी दिखा देनी चाहिए, ताकि सरहद पर किसी मां का बेटा दरिंदगी का शिकार न हो और किसी का सुहाग बेरहमी से न उजड़े। न ही बच्चों के सिर से कभी बाप का साया उठे। अब मोदी जी को मन नहीं, बल्कि पाकिस्तान को गन की बात सुनानी चाहिए’। यह बात बजरोल के पूर्व सैनिक सुभाष चंद राणा ने कही।  उनका कहना है कि उनका बेटा जैक राइफल में सेवाएं दे रहा है। जब भी कभी चैनल पर आत्मघाती हमले का समाचार आता है तो परिवार की सांसे थम जाती हैं। कई बार तो उसकी मां टीवी तक बंद करवा देती है। घर में वे दोनों ही रहते हैं। बेटा सेना में सेवाएं दे रहा है व बेटी की शादी हो चुकी है। उनका कहना है कि दुश्मन देश पाकिस्तान के आत्मघाती हमलों में सेना के नौजवान शहीद हो रहे हैं। कई बार सेना के उच्चाधिकारियों की ओर से समय पर कार्रवाई करने की अनुमति नहीं मिलती। इस कारण दुश्मन हावी हो जाता है। अगर सेना को बिना अनुमति दुशमनों के विरुद्ध कार्रवाई का अधिकार मिले तो दुश्मन सिर नहीं उठा सकेगा। उनका कहना है कि सेना में अनुशासन बहुत जरूरी है। अनुशासन में रहकर ही सेना आगे बढ़ सकती है, लेकिन आपातकालीन स्थिति में सेना के जवानों को तुरंत कार्रवाई का अधिकार मिलना चाहिए। बार्डर पर तैनात सैनिकों के परिजन हमेशा उनकी चिंता में डूबे रहते हैं। उनका कहना है कि केंद्र सरकार को शहीद होने वाले सैनिकों के आश्रितों के लिए विशेष सहायता राशि देनी चाहिए, ताकि सैनिक के सहारे जीवन जी रहे आश्रितों को सुविधा मिले। उनका कहना है कि सरकार सेना को किसी भी आपातकालीन स्थिति में तुरंत कार्रवाई करने का अधिकार प्रदान करे। इससे दुश्मन को मौके पर ही मुंहतोड़ जवाब मिल जाएगा, वहीं सेना के जवानों की सुरक्षा भी होगी।

यह उम्मीद है सरकार से

भारत सरकार चाहे तो कुछ भी कर सकती है। पिद्दी भर देश हमारी सीमा में घुसकर सैनिकों के सिर कलम कर देता है और हम शांति की अपील करते रह जाते हैं। अब सरकार को आर-पार की लड़ाई लड़नी चाहिए। अंतरराष्ट्रीय दबाव को भूल जाओ, पाकिस्तान को घर में घुसकर मारो। इसके लिए सरकार को फौज को फ्री हैंड दे देना चाहिए। दस दिन में दुनिया के नक्शे से यह आतंकी मुल्ख गायब हो जाएगा और अमन-चैन बहाल होगा। न किसी का बेटा शहीद होगा, न किसी की असमय मांग उजड़ेगी, न किसी बच्चे के सिर से बाप का साया उठेगा। आतंकियों की जब नर्सरी ही खत्म हो जाएगी, तो विश्व भी दहशतगर्दी से मुफ्त हो जाएगा।

आपातकालीन स्थिति में सेना को दें अधिकार

उनका कहना है कि दुश्मन बिना किसी विशेष आदेश के हमला कर देता है। भारतीय सेना अपने पूरे नियम फोलो करती है। अपातकालीन स्थिति में तुरंत कार्रवाई करने का अधिकार सेना को मिलना ही चाहिए।

डिफेंस के चक्कर में गवा रहे जान

उन्होंने बताया कि वह स्वयं जैक राइफल में सेवाएं दे चुके हैं। इस दौरान उन्होंने सेना के कई आपरेशनों में भाग लिया। दुश्मन की कार्रवाई के बाद कई बार सेना के उच्चाधिकारी निर्णय लेने में सक्षम नहीं होते। इस कारण सेना सिर्फ डिफेंस करती है। डिफेंस के चक्कर में सैनिकों की जान संकट में पड़ती है।

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