हिमाचली मौसम सिखा देगा सारा खेल

By: May 28th, 2017 12:05 am

मौसम माकूल, मगर सुविधाओं का टोटा

हिमालय के आंचल में बसा हिमाचल अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए विश्व विख्यात है। यहां की जलवायु हर खेल के लिए माकूल है। यहां के मौसम पर फिदा हो कर हर साल यहां कई नेशनल कैंप लगाए जाते हैं, लेकिन हिमाचल अपनी ही जलवायु की शक्ति से अंजान है,लिहाजा हिमाचल खेलों की दुनिया में वह मुकाम हासिल नहीं कर पाया, जो किया जा सकता था। प्रदेश में खेलों की दिशा-दशा को बयान करता इस बार का दखल….

हिमाचल प्रदेश की जलवायु और मौसम हर खेल के लिए माकूल है। मगर हिमाचल अभी भी खेलों में पिछड़ा हुआ है। हिमाचल प्रदेश के शिलारू, मनाली, धर्मशाला में हर वर्ष समर कैंपों (नेशनल कैंपों) में शीर्ष खिलाड़ी  प्रशिक्षण ग्रहण करते हैं,लेकिन राज्य सरकार व खेल विभाग प्रदेश के खिलाडि़यों को इस तरह के कैंपों के माध्यम से प्रशिक्षण देने में नाकाम साबित हो रहे हैं।

खेल विभाग की जवाबदेही केवल मात्र ट्रायल टू नेशनल कैंप व नेशनल कैंप तक ही सीमित रही है। खेल विभाग एसोसिएशन को इन कैंपों के लिए नाममात्र राशि देकर कर औपचारिकताएं पूरी कर रहा है। समर सीजन के दौरान प्रदेश के सर्द मौसम में देश के शीर्ष खिलाड़ी प्रशिक्षण ग्रहण कर पदक दौड़ में शामिल हो रहे हैं। मगर हिमाचली खिलाड़ी समर कैंप तो दूर मूलभूत सुविधाओं के लिए भी तरस रहे हैं। प्रदेश में खेलों के उत्थान के लिए खेल छात्रावास व खेल परिसर चल रहे हैं। मगर अभी भी प्रदेश में नेशनल स्तर की चैंपियनशिप के आयोजन स्थल और उक्त स्थलों में खेल संबंधी सुविधाओं की कमी है।

हालांकि खिलाडि़यों को सुविधा देने के लिए सरकार व खेल विभाग ने कुछ प्रयास किए हैं। मगर अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्ले फील्ड जो कि सिथेंटिक ट्रैक धर्मशाला व हमीरपुर में हॉकी के लिए एस्ट्रोटर्फ  बिना प्रशिक्षकों व मैदान कर्मचारियों के लावारिस पड़े हैं। प्रदेश के शिमला, ऊना, धर्मशाला, मंडी, बिलासपुर में इनडोर खेल स्टेडियम चल रहे हैं, लेकिन इनमें भी खिलाडि़यों को इक्विपमेंट सहित अन्य उन सुविधाओं के लिए तरसना पड़ रहा है, जिसके बूते  खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर की पदक दौड़ में पहुंच सके। हिमाचल का मौसम हर खेल के लिए माकूल है। प्रदेश में फुटबॉल, हॉकी, क्रिकेट, एथलेटिक्स, वालीबाल, कबड्डी, बॉक्सिंग, जूडो, कराटे, ताइक्वांडो के लिए पर्याप्त स्थल है।

प्रदेश के अधिकांश जिलों में समर सीजन के दौरान भी मौसम अभ्यास के लिए बेहतर रहता है। अगर जिला स्तर पर खेल प्रशिक्षण की बात करें तो धर्मशाला और शिमला क्रिकेट, वालीबाल, बॉक्सिंग, जूडो व ताइक्वांडो के प्रशिक्षण के लिए बेहतर स्थल है। इसके अलावा ऊना, कांगड़ा, हमीरपुर में हाकी, एथलेटिक्स का प्रशिक्षण दिया जा सकता है। मगर सरकार की नजर अंदाजी और सुविधाओं के अभाव के चलते खिलाडि़यों को उतना लाभ नहीं मिल पा रहा है, जितना मिलना चाहिए था।

प्रो-कबड्डी में हिमाचली प्लेयर

1.नालागढ़ के दभोटा के शिवओम का चयन यू मुंबा की टीम के लिए हुआ है। शिव ओम को यू मुंबा ने छह लाख में खरीदा है।

2.हिमाचल के स्टार कबड्डी प्लेयर रोहित राणा इस बार तेलुगू टाइटेनंस को शिखर पर पहुंचाएंगे। तेलुगू टाइटेनन्स ने इस लेफ्ट कवर डिफेंडर को 27.5 लाख रुपए में खरीदा है। रोहित जिला कांगड़ा के तियारा गांव के हैं।

3.ऊना के देहलां गांव के तीन युवा प्लेयर प्रो कबड्डी सीजन-पांच में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाएंगे। विनीत शर्मा का चयन टीम तमिलनाडु में हुआ है, जिसके मालिक सचिन तेंदुलकर हैं । वहीं विशाल भारद्वाज तथा सुरेंद्र सिंह भी अपने चयन को लेकर काफी उत्साहित हैं

4.प्रो-कबड्डी लीग के पांचवें सीजन में कबड्डी के स्टार खिलाड़ी अजय ठाकुर क्रि केटर सचिन तेंदुलकर की टीम की कमान संभालेंगे। अजय को 69.50 लाख रुपए में टीम ने शामिल किया है।

5.बल्हघाटी के मलवाणा गांव के महेंद्र सिंह ठाकुर को बंगलूर बुल्स ने 20 लाख रुपए में खरीदा है। महेंद्र सिंह ठाकुर वर्तमान में सेना में सेवाएं दे रहे हैं।  महेंद्र इस समय सेना में आर्मी रेड टीम से खेलते हैं।

खेलों से पहले 10-12 दिन का प्रशिक्षण

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय द्वारा भी किसी खेल के लिए विशेष तौर पर समर कैंप का आयोजन नहीं किया जाता है। हालांकि विभिन्न खेलों में नेशनल चैंपियनशिप सहित यूथ फेस्टिवल के आयोजनों से पहले स्पर्धा के लिए चयनित खिलाडि़यों को 10 से 12 दिन तक प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जाते हैं। प्रदेश विश्वविद्यालय में खेलों के लिए अलग से बजट का प्रावधान किया जाता है। वही,वर्ष भर होने वाली विभिन्न गतिविधियों के लिए खेल कैलेंडर भी बनाया जाता है। प्रदेश विश्वविद्यालय से कई खिलाडि़यों ने राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीत कर राज्य का नाम गौरवान्वित किया है। हाल ही में ऑल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी बॉक्सिंग चैंपियनशिप में भी प्रदेश विवि की महिला मुक्केबाजों ने पदक जीते थे। प्रदेश विश्वविद्यालय में भी विभिन्न खेलों से जुड़े खिलाडि़यों के खेल संबंधित बेहतर सुविधा का आभाव है। खिलाडि़यों को सीमित ढांचे में ही प्रशिक्षण व अभ्यास ग्रहण करना पड़ता है। अगर विवि प्रशासन बाहरी राज्यों की यूनिवर्सिटी से सीख ले और छात्रों को बेहतर सुविधा उपलब्ध करवाएं, तो हिमाचली खिलाडि़यों के राष्ट्रीय स्तर के प्रदर्शन में और निखार आएगा।

राष्ट्रीय स्तर तक ही परफार्मेंस

खेल विभाग के प्रदेश में दो होस्टल चल रहे हैं। इसमें एक बिलासपुर व दूसरा ऊना में चल रहा है। इसके अलावा खेल विभाग के शिमला, ऊना, बिलासपुर, धर्मशाला, मंडी, कुल्लू व रोहड़ू खेल छात्रावास चला रहा है। शिक्षा विभाग के माजरा (पांवटा) रोहड़ू, जुब्बल, मतियाना और पपरोला में खेल छात्रावास चल रहे हैं। इन होस्टलों में अभ्यासरत खिलाडि़यों की बात करें तो उनकी परफार्मेंस राष्ट्रीय स्तर तक ही सीमित रही।  मगर पिछले 4-5 वर्षों में ऐसा कोई खिलाड़ी नहीं निकल पाया है, जो एशियन गेम्स सहित अन्य बड़े स्तर की चैंपियनशिप में प्रदेश को पदक दिला सका हो। इसी तरह खेल विभाग के खेल छात्रावासों में अभ्यासरत खिलाडि़यों (छात्र) द्वारा भी कोई उत्कृष्ट प्रदर्शन नहीं किया गया है।

पर्वतारोहण-स्कीईंग की ट्रेनिंग

हिमाचल प्रदेश साहसिक खेलों और कैंपों के आयोजन का केंद्र बनता जा रहा है। स्कीईंग, पर्वतारोहण, वाटर स्पोर्ट्स प्रशिक्षण के लिए बाहरी राज्यों से काफी संख्या में लोग पहाड़ी प्रदेश पहुंचते हैं। मनाली व नारकंडा में कई संस्थानों द्वारा स्कीईंग का प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके अलावा मनाली में अधिकतर सभी राज्यों से सैनिक व अर्द्धसैनिक पर्वतारोहण के लिए मनाली पहुंचते हैं। मनाली के अटल बिहारी पर्वतारोहण संस्थान में पर्वतारोहण से संबंधित प्रशिक्षण दिया जाता है।

बीड़ बिलिंग के आसमान में मानव परिंदे

बीड़ बिलिंग पैराग्लाइडिंग के लिए हर वर्ग का आकर्षण बन गया है। बीड बिलिंग  में टेंडम प्लाइट का लुत्फ उठाने के लिए काफी संख्या में सैलानी यहां पहुंचते हैं। पर्यटन विभाग द्वारा यहां पर 8 वर्ष पूर्व पैरा ग्लाइडिंग के बेसिक कोर्स आरंभ किए गए थे, मगर बाद में इन्हेें बंद कर दिया गया। प्रदेश में अब उक्त क्षेत्र से संबंधित प्रशिक्षण की सूचना नहीं है। एडीबी ने हाल ही में प्रदेश की 19 पंचायतों को साहसिक खेलों के लिए चयनित किया है। इन पंचायतों में साहसिक खेलों के उत्थान और बढ़ावे के लिए प्रयास किए जाएंगे, जिससे प्रदेश में सहायिक खेलों के उत्थान की उम्मीदें जगी हैं। प्रदेश के पाैंग, बिलासपुर चमेरा, जलाशयों में वाटर स्पोर्ट्स का आयोजन किया जाता है।

प्रशिक्षण कैंप के लिए स्थानीय प्रशासन व संस्थानों से परमिशन की आवश्यकता रहती है, जहां पर शिविर आयोजित किया जाना होता है। इसमें खेल विभाग की परमिशन की आवश्यकता नहीं रहती है। बाहरी राज्यों से कई विश्वविद्यालय व एसोसिएशनों द्वारा प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जाते रहे हैं। खेल विभाग द्वारा प्रदेश में कबड्डी, बैडमिंटन, बास्केटबाल, एथलेटिक्स, सॉफ्टबॉल के लिए प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जाते हैं। प्रदेश में खेलों को बढ़ावा देने के लिए खेल और खिलाडि़यों की आवश्यकता के तहत सुविधाएं जुटाई जा रही हैं

— सुमन रावत, संयुक्त निदेशक खेल विभाग

प्रदेश में नहीं विश्व स्तरीय अकादमियां

हिमाचल प्रदेश में विश्व स्तरीय अकादमियों का टोटा है। अभी तक प्रदेश में ऐसी कोई अकादमी स्थापित नहीं हो पाई हैं। जहां खिलाडि़यों को खेलों में विश्व स्तरीय सुविधा उपलब्ध हो। हैरत की बात तो यह है कि प्रदेश में कुछ खेलों को छोड़कर अन्य खेलों में राष्ट्रीय स्तर की अकादमियां भी नहीं हैं। मौजूदा समय में प्रदेश में क्रिकेट अकादमी, शिलारू में नेताजी सुभाष हाई अल्टीच्यूड ट्रेनिंग सेंटर, मनाली में पर्वतारोहण संस्थान हैं। इन संस्थानों में प्रशिक्षित प्रशिक्षक खिलाडि़यों को खेल संबंधी प्रशिक्षण दे रहे है।

खुशनुमा मौसम में नेशनल कैंप

हिमाचल प्रदेश की जलवायु और खुशनुमा मौसम के चलते हर वर्ष विभिन्न खेलों के समर कैंप यहां आयोजित किए जाते हैं। मौजूदा समय में देश भर से कई एथलीट प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर प्रशिक्षण ग्रहण कर रहे हैं।  प्रदेश में समर सीजन के दौरान प्रशिक्षण शिविर आयोजित करने के पीछे यहां का खुशनुमा वातावरण कारण बताया जा रहा है। देश के मैदानी इलाकों में प्रचंड गर्मी पड़ने के चलते गवर्नमेंट ऑफ इंडिया व नेशनल फेडरेशन द्वारा प्रदेश में नेशनल कैंप आयोजित किए जाते हैं, ताकि खेलों के लिए बेहतर वातावरण उपलब्ध हो। जानकारी के तहत समर सीजन के दौरान प्रदेश के विभिन्न खेल ग्राउंडों में हाकी, रेस्लिंग, बॉक्सिंग, एथलेटिक्स, वालीबाल, वेट लिफ्टिंग के कैंप आयोजित किए जाते हैं।

पालमपुर यूनिवर्सिटी का नहीं लगता समर कैंप

पालमपुर स्थित प्रदेश कृषि विवि के कुलपति प्रो. अशोक कुमार सरयाल का कहना है कि विवि में राष्ट्रीय स्तर की अंतर कृषि विवि प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता रहा है। यह एक व्यावसायिक विवि है और अन्य विवि की कार्यप्रणाली से यहां अंतर होता है।  कृषि विवि के विद्यार्थी पहले से ही घोषित अकादमिक कैलेंडर के चलते साल भर व्यस्त रहते हैं। उसी आधार पर शिक्षण कार्यक्रमों के साथ यहां पर खेल प्रतियोगिताओं व एथलेटिक्स का आयोजन समय-समय पर करवाया जाता है। कृषि विवि में समर कैंप का कोई प्रावधान नहीं है। यहां पर भारतीय कृषि अनुसंधान परषिद के पैट्रर्न के आधार पर साल भर के कार्यक्रम पहले ही तय कर लिए जाते हैं। व्यावसायिक विवि होने के कारण एक निश्चित कायदे कानून में रहकर कार्य किया जाता है। इसके बावजूद छात्रों के सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखकर खेलें आयोजित करवाई जाती हैं। कृषि विवि में इंडोर स्टेडिमय और बढि़या एथलेटिक ट्रैकउपलब्ध हैं।

साई निखार रहा पहाड़ी हुनर

हिमाचल प्रदेश में भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) के छात्रावास में खिलाडि़यों को खेल संबंधी आधारभूत ढांचा उपलब्ध करवाया जा रहा है। यही वजह है कि आज खेल प्राधिकरण के छात्रावास में अभ्यासरत खिलाड़ी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक दौड़ में शामिल हैं। भारतीय खेल प्राधिकरण के छात्रावास में खिलाडि़यों को खेल संबंधी आधुनिक इक्विपमेंट व बेहतर डाइट दी जा रही है। अगर प्रदेश सरकार व खेल विभाग भी खेल प्राधिकरण छात्रावास में प्रदान किए जाने वाली सुविधाओं का अनुसरण करे तो पहाड़ी प्रदेश से भी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तरीय खिलाडि़यों की पौध निकल सकती है। भारतीय खेल प्राधिकरण के खेल छात्रावास में खिलाडि़यों को खेल संबंधी इक्विपमेंट उपलब्ध है। इसके अलावा छात्रावास में खिलाडि़यों को 250 रुपए डाइट दी जा रही है, जबकि प्रदेश खेल विभाग के छात्रावास में खिलाडि़यों को इक्विपमेंट की कमी के साथ-साथ 125 रुपए की डाइट ही मिल पा रही है। स्कूल होस्टल की बात करें तो इनमें रह रहे खिलाडि़यों को 75 रुपए की डाइट ही मिल रही है। खेल प्राधिकरण के धर्मशाला व बिलासपुर छात्रावास में कबड्डी, वालीबाल, हाकी एथलेटिक्स और टेबल टेनिस  का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इन छात्रावासों में प्रशिक्षण ग्रहण कर खिलाडि़यों ने राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पदक हासिल कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। इन छात्रावास से खिलाडि़यों ने एथलेटिक्स, कबड्डी, बालीवुड में पदक जीते हैं।

एशियन यूथ चैंपियनशिप में चमकी सीमा

धर्मशाला में प्रशिक्षण ग्रहण कर रही एथलीट सीमा ने हाल ही में एशियन यूथ चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीत कर बड़ा मुकाम हासिल किया है। जोनल स्तर पर 3000 मीटर दौड़ का रिकार्ड भी सीमा के नाम पर है। सीमा के साथ हिना ठाकुर, हरमिलन भी राष्ट्रीय फेडरेशन कप में पदक जीत चुकी है। कबड्डी में कविता ठाकुर, पुष्पा ज्योति, सादिका, गोपी और नीलम भी नेशनल जूनियर कप और फेडरेशन कप में पदक हासिल कर चुकी है। इसके अलावा खेल प्राधिकरण के छात्रावास के खिलाड़ी वालीबाल में भी राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

समर कैंप को शिलारू सबकी पसंद

शिलारू दुनिया का सबसे ऊंचा हाकी मैदान है। यह मैदान समुद्र तल से 2450 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। हॉकी का यह एस्ट्रोटर्फ खेल मैदान शिमला में 65 किलो मीटर की दूरी पर है।  ऊंचाई पर स्थित होने के चलते यह ग्राउंड हमेशा समर कैंपों के आयोजन का आकर्षण रहता है। शिलारू हाकी ग्राउंड में हाकी के अलावा, रेस्लिंग, बाक्सिंग, वेट लिफ्टिंग, वालीबाल के कैंपों का आयोजन भी किया जाता है। जानकारी के तहत मौजूदा समय में शिलारू ग्राउंड में जूनियर वर्ग का प्रशिक्षण चला हुआ है। शिलारू में हाकी खेल के लिए हर आधुनिक सुविधा उपलब्ध है। खिलाडि़यों को बेहतर वातावरण के साथ प्रशिक्षित प्रशिक्षकों की देखरेख में प्रशिक्षण दिया जाता है। ग्राउंड में खेल संबंधित हर एक्यूमेंट उपलब्ध है। जानकारी के तहत शिलारू खेल मैदान में हॉकी के मुकाबलों के अलावा एक वर्ष के दौरान हॉकी, वेट लिफ्टिंग, रेस्लिंग, बॉक्सिंग और वालीबाल के औसतन 16 से 17 कैंप आयोजित होते हैं।

नौणी में न, खेल न खिलाड़ी

डा. वाईएस परमार विश्वविद्यालय नौणी खेलों में आज तक न तो कोई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर का खिलाड़ी तैयार कर पाया तथा न ही खेलों को बढ़ावा देने के लिए कोई विशेष कैंप लगा सका। आलम यह है कि विश्वविद्यालय ने वैज्ञानिक तो कई तैयार किए किंतु एक भी नामी खेल प्रशिक्षक पैदा नहीं कर सका। नौणी विश्वविद्यालय में खेल गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए न तो बजट में कोई विशेष प्रावधान है तथा न ही कोई ठोस योजना है। खेल प्रतिभाओं को तराशने व उन्हें सही कोचिंग देने के लिए विश्वविद्यालय में कोई कोच नहीं है। मैदान में हाई मास्ट लाइट की सुविधा न होना भी खिलाडि़यों के रात्रि अभ्यास करने के लिए एक बड़ी कमी है।

खेलों को बढ़ावा देने का प्लान

वाइस चांसलर डा. हरि चंद शर्मा ने कहा कि उनके कार्यभार संभालते ही 32 वर्षों के उपरांत विवि में पहली बार बड़े स्तर पर खेल व सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया था। उन्होंने कहा कि भविष्य में खेल गतिविधियों को बढ़ावा देने, कोच नियुक्त करने व समर कैंप लगाने की योजना तैयार की जाएगी।

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