15 हजार मजदूर निकालेंगे रैली

By: May 14th, 2017 5:46 pm

LOGO1 शिमला – मजदूरों की मांगों को लेकर सीटू द्वारा तीस मई को शिमला में महारैली की जाएगी। सीटू का दावा है कि इस रैली में प्रदेश भर से 15 हजार मजदूर भाग लेंगे। यह रैली पंचायत भवन से आरंभ होगी। महारैली के दौरान सचिवालय के समक्ष मजदूर मांगों को लेकर प्रदर्शन भी करेंगे। रविवार को शिमला में आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए सीटू के जिला महासचिव विजेंद्र मेहरा ने कहा कि यह महारैली प्रदेश के मजदूर इतिहास की सबसे बड़ी रैली होगी। उन्होंने कहा कि इस रैली के लिए 11 सूत्री मांग पत्र पहले ही सरकार के मुख्यमंत्री, श्रम मंत्री व प्रधान सचिव श्रम एवं रोजगार विभाग को भेजे जा चुके हैं, लेकिन अभी तक इन मांग पत्रों पर सरकार की ओर से कोई पहलकदमी नहीं हुई है। उन्होंने दावा किया कि शिमला के होटल उद्योग, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांटों, आईजीएमसी, कमला नेहरू अस्पताल, सनातन धर्म सभा एंबुलेंस सर्विस, टेलीकॉम पॉवर सर्विस, विशाल मेगामार्ट, सेंट्रल पोटेटो रिसर्च इंस्टीच्यूट, एचपीयू, मेंटल अस्तपताल, निर्माण मजदूरों, धोबियों, बीसीएस, तारा हाल, ऑक्लैंड स्कूल, ईसीआई शैलेडे स्कूल, होटल वाईल्ड फ्लावर हाल, सेसिल, रेहड़ी-फड़ी, शिमला पोर्टरज, रेलवे पोर्टरज, एसबीआई, आईएसवीटी टुटीकंडी, हिपा, ठियोग हाटकोटी निर्माणाधीन सड़क की सीएंडसी कंपनी, टैक्सी आपरेटर, पिकअप आपरेटर, कालीबाड़ी मंदिर, सीपी डब्ल्यूडी, केवल आपरेटर, दीपक प्रोजेक्ट, में पूर्ण हड़ताल रहेगी। इसके अलावा बिजली परियोजनाओं, आंगनबाड़ी, मिड-डे मील, आशा वर्कर्ज, अडानी कोल्ड स्टोर, सेल्जमैन, मनरेगा मजदूरों में से भी हजारों मजदूर इस महारैली में भाग लेंगे। उन्होंने प्रदेश भर में कार्यरत सरकारी अथवा निजी क्षेत्र में कार्यरत हजारों आउट्सोर्स व कांट्रैक्ट मजदूरों से भी आग्रह किया है कि वे इस महा रैली में शामिल हो। उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की है कि वह मजदूरों के 11 सूत्री मांग पत्र को पूर्ण करे अन्यथा आगामी विधान सभा चुनाव में प्रदेश का मजदूर वर्ग इस मजदूर विरोधी सरकार को बाहर कर देगा। उन्होंने प्रदेश सरकार पर मजदूर विरोधी होने का आरोप लगाया है कि हर जगह मजदूर आंदोलन को कुचलने के लिए यह सरकार धारा 144 व दमन का सहारा ले रही है। पूरे देश की तुलना में हिमाचल प्रदेश में मजदूरों को सबसे कम वेतन दिया जा रहा है। प्रदेश में मजदूरों का वेतन केवल छह हजार रुपए है, जबकि दिल्ली की प्रदेश सरकार द्वारा 13365 रुपए वेतन दिया जा रहा है। मजदूरों के वेतन को महंगाई सूचकांक से साथ नहीं जोड़ा गया है। हर बात के लिए पंजाब सरकार की नीति का अनुसरण करने वाली हिमाचल प्रदेश सरकार मजदूरों के मसले पर पंजाब सरकार की तर्ज पर सुविधाएं देने को तैयार नहीं। उन्होंने मांग की है कि प्रदेश में 18 हजार रुपए न्यूनतम वेतन घोषित किया जाए। 7वें वेतन आयोग के अध्यक्ष जस्टिस माथुर की सिफारिश अनुसार ऐसा किया जाए व उन्हें कार्य के लिए समान वेतनÓÓ दिया जाए।


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