ऊना में ‘कितने शब्द है मेरे भीतर…’
ऊना — राष्ट्रीय कवि संगम की ऊना शाखा द्वारा आशीर्वाद परिसर रक्कड़ में एक कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्यातिथि के तौर पर प्रो. योगेश चंद्र सूद ने शिरकत की। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सुप्रसिद्ध कवि समीक्षक एवं साहित्यकार कुलदीप शर्मा ने अपने संबोधन में कवियों द्वारा पढ़ी गई कविताओं पर सूक्ष्म चिंतन और प्रभाव को विस्तार से रेखांकित किया। राष्ट्रीय कवि संगम की ऊना शाखा के अध्यक्ष डा. कृष्ण मोहन पांडेय ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए सभी कवियों का स्वागत किया। कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए जिला के सुप्रसिद्ध साहित्यकार प्रो. योगेश चंद्र सूद ने कुछ इस प्रकार काव्य पाठ किया ‘योग साधना है, तप है योग धर्म है। योग खोलता है भक्ति’ के माध्यम से मुक्ति के द्वारा इस कविता से उन्होंने योग के महत्त्व को समझाया। ऊना शाखा के अध्यक्ष डा. कृष्ण मोहन पांडेय ने कविता के पाठ में कहा कि पेड़ों की घनी छाव में दुख देते छले पांव में निराशा में डूब न जाना कौओं के कांव कांव में, कुलदीप शर्मा की कविता की बानगी कुछ इस प्रकार रही। उन्होंने इस पथराए सन्नाटे के खिलाफ , कितने शब्द है मेरे भीतर, जिन्हें पत्थर होने से रोक रहा हूं, कितना बारूद है जिसे बचा रहा हूं चिंगारियों से इसी प्रकार काव्य गोष्ठी में पधारे कवियों ने अपनी-अपनी रचनाओं से उपस्थित श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया।
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