दुर्गम रास्ते का बहाना बना आराम फरमा रहे बड़ा भंगाल स्कूल के अध्यापक

By: Jun 3rd, 2017 12:40 am

16 मई को छुट्टियों के बाद अब तक नहीं पहुंचे उच्च विद्यालय के चारों शिक्षक; हर रोज इंतजार कर मायूस लौट रहे बच्चे

newsबैजनाथ— एक वक्त था जब गुरुजी बच्चों को पढ़ाने के लिए अपनी जान की बाजी तक लगा देते थे। आंधी हो या तूफान अनुशासन के पक्के ये अध्यापक हर रोज बच्चों के भविष्य की खातिर स्कूल पहुंचते थे। हालांकि अभी भी कई अध्यापक ऐसी मिसाल पेश कर रहे हैं, मगर बड़ा भंगाल हाई स्कूल के शिक्षकों ने गुजरे वक्त की बातों को गर्त में धकेल दिया है। यहां बच्चे बारिश-तूफान, भू-स्खलन में भी कठिन रास्ता पार कर हर रोज स्कूल पहुंच रहे हैं, लेकिन अध्यापकों के लिए पहुंचना शायद नामुमकिन है। यह वही रास्ता है, जहां से बुजुर्ग पैदल सफर कर रहे हैं, मगर स्कूल के अध्यापकों को शायद बच्चों के भविष्य की परवाह नहीं। बात एक या दो दिन की हो तो मान भी लिया जाए, मगर इन अध्यापकों को स्कूल पहुंचे हुए आधे महीने से ज्यादा हो गया है। जानकारी के अनुसार जिला की अति दुर्गम घाटी बड़ा भंगाल स्थित हाई स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे पंचायत व शिक्षकों की आपसी कशमकश में पिस रहे हैं। बड़ा भंगाल स्थित उच्च पाठशाला में 22 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं, जिनके लिए शिक्षा विभाग ने चार शिक्षकों की नियुक्ति कर रखी है। हर साल के शेड्यूल के मुताबिक दस मई को बीड़ स्थित बड़ा भंगाल हाई स्कूल बंद हो जाता है, जो 16 मई को खुलता है। इस बार भी वैसा ही हुआ, मगर 22 बच्चे बड़ा भंगाल पहुंच स्कूल पहुंच तो गए, मगर दो जून तक भी बड़ा भंगाल में एक भी शिक्षक उन बच्चों को पढ़ाने नहीं पहुंच पाया। इस बारे में बड़ा भंगाल पंचायत का तर्क है कि शिक्षक बार-बार कह रहे हैं कि थमसर जोत जो बीड़ से बड़ा भंगाल के रास्ते पड़ती है, बर्फबारी के कारण बंद है। दूसरा रास्ता चंबा से होली नैग्रां से बड़ा भंगाल जाता है। वहां से स्थानीय निवासी कुछ अन्य विभागों के कर्मी जा रहे हैं और बड़ा भंगाल पहुंच रहे हैं, मगर शिक्षक कह रहे हैं कि बड़ा भंगाल के पास भू-स्खलन हुआ था। अब रास्ते का निर्माण भी हो चुका है, लोग आ-जा रहे हैं, मगर वहां तैनात अध्यापक खनार गांव के घटारनू नामक जगह से लौट आए। परस राम का कहना है कि भू-स्खलन वहां से दो किलोमीटर आगे हुआ था, मगर अब रास्ता बन चुका है। परस राम का कहना है कि मोबाइल में वहां की रिकार्डिंग सबूत के तौर पर है। चार जून को होने वाले पंचायत के कोरम में प्रस्ताव डालकर मुख्यमंत्री, निदेशक उच्च शिक्षा विभाग व जिलाधीश कांगड़ा को शिकायत की जाएगी कि अगर बड़ा भंगाल में बच्चे पहुंच सकते हैं, 70 साल के बूढ़े पहुंच सकते हैं।

सरकारी स्कूलों के खराब रिजल्ट पर छिड़ी है बहस

हिमाचल के सरकारी स्कूलों के खराब रिजल्ट पर जहां एक ओर बहस छिड़ी हुई है, वहीं दूसरी तरफ इसकी जमीनी हकीकत भी हौले-हौले सामने आ रही है। हालांकि कुछ स्कूलों का परीक्षा परिणाम बेहतर रहा है, जिसका श्रेय वहां तैनात अध्यापकों को जाता है, मगर जहां रिजल्ट खराब है, वहां या तो अध्यापक सिरदर्दी नहीं लेना चाहते या फिर दुर्गम रास्तों का बहाना बनाकर स्कूल आना नहीं चाहते।

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