दोनों दलों को सबक लेने की जरूरत

By: Jun 18th, 2017 12:15 am

शिमला के मतदाता मोदी लहर पर हावी, अंतर्कलह पड़ सकती है भारी

newsशिमला— नगर निगम चुनाव नतीजे कांग्रेस ही नहीं, भाजपा के लिए भी सबक हो सकते हैं। चुनावी नतीजों ने साबित किया है कि कांग्रेस को जहां मिशन रिपीट के लिए वीरभद्र सिंह का नेतृत्व स्वीकार करना होगा, वहीं भाजपा को इस मुगालते में नहीं रहना होगा कि मोदी लहर प्रदेश में क्लीन स्वीप करवा सकती है। नगर निगम के 34 वार्डों की फेहरिस्त में से कांग्रेस को भले ही 12 में बढ़त मिली हो, उसी के समर्थित तीन निर्दलीय भी आए हों, भाजपा को 17 में विजय मिली व एक निर्दलीय उसी का समर्थित जीता हो, मगर यहां चुनाव नतीजों ने साफ कर दिया है कि मोदी लहर जैसा जादू कहीं भी देखने को नहीं मिला है। कांग्रेस में यदि टिकट आबंटन को लेकर खींचतान न होती, अंदरूनी सियासत न चलती तो भाजपा के लिए दिक्कतें और बढ़ सकती थी। कमोवेश टिकट आबंटन को लेकर भाजपा में भी अब मतभेद रहने का खुलासा हो रहा है। कई नेताओं का कहना है कि आम राय से टिकट नहीं बंटे। यदि आम राय बनती तो कांग्रेस को और पीछे धकेला जा सकता था। कांगेस प्रदेश में मिशन रिपीट के सपने देख रही है, वहीं भाजपा 50 प्लस के। केंद्रीय योजनाओं के बूते हिमाचल की गाड़ी हांकी जाती है, इसमें दो राय नहीं, मगर हिमाचल जैसे उपभोक्ता राज्य में वोटर महंगाई, रोजगार के साथ-साथ प्रत्याशियों की छवि उनके रसूख को भी मद्देनजर रखता है। दोनों ही दलों में पिछले लंबे अरसे से अंदरूनी सियासत सुलग रही है। नेताओं के बीच मतभेद बढ़े हैं। वर्कर्ज का मनोबल भले ही दोनों दलों के नेता बढ़ा हुआ बता रहे हों, मगर यह सच है कि अंदरूनी खींचतान वर्चस्व की जंग कांग्रेस के साथ-साथ भाजपा में भी दिक्कतें पेश कर सकती है। कुल मिलाकर सत्ता के अंतिम चरण में कांग्रेस को नकारात्मक मतों का सामना भी करना पड़ा है, वहीं भाजपा को कहीं न कहीं परिवर्तन के भी संकेत मिलते दिख रहे हैं, मगर यह इतने भी नहीं कहे जा सकते कि भाजपा मोदी लहर में बैठकर सत्ता में वापस आने के सपने संजो बैठे। जानकारों की राय में दोनों ही दलों को आत्मचिंतन करने की जरूरत होगी।

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