बारिश होते ही करसोग का पानी मटमैला

करसोग  – जल ही जीवन है तथा स्वच्छ जल बीमारियों से छुटकारे की दुहाई तो सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग खूब देता है, परंतु नगर पंचायत करसोग के परिधि में आने वाले कई क्षेत्रों में इंद्र देवता की कृपा हो जाए तो मटमैला दूषित पानी पिलाने से विभाग कोई गुरेज नहीं करता है। बुधवार सुबह स्थानीय बाजार के नलों ने गहरा मटमैला व दूषित पानी इस कद्र उगला कि उस पानी से प्यास बुझाना तो दूर की बात, कपड़ों तथा बरतनों को धोना भी नामुमकीन है। हैरानी तो इस बात की है कि जब बारिश के बाद सरकारी नलों से पानी टपकता है तो हर बार वह पानी गहरा मटमैला व दूषित ही होता है, जिस पर स्थानीय लोग जब रोष प्रकट करते हैं तो सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग यह तर्क देता है कि बारिश के बाद यदि पानी भंडारण टैंक में मटमैला है तो आपूर्ति नहीं की जाएगी, जबकि पानी की जरूरत हर घर में पल-पल पड़ती है, जिसको ध्यान में रखकर करसोग वासियों को बारिश के दौरान भी साफ  पानी उपलब्ध करवाने की कोई कारगर आधुनिक व्यवस्था की जाए। रोचक बात यह है कि दशकों से बाबा आदम की तकनीक वाले साधन से स्रोत पानी फिल्टर टैंक में डालकर साफ  किया जाता है और बारिश के दबाव को वह फिल्टर टैंक सिल्ट व मिट्टी को सहन नहीं कर पाते हैं और गंदा व मटमैला पानी करसोग के घरों में लगी टंकियों में पहुंचता है और बारिश के बाद साफ  पानी को भी दूषित करता है, जिस पर सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग गौर करें, ताकि जलजनित रोगों से बचाव रहे।  इस बारे में सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग करसोग के सहायक अभियंता आरएस नेगी ने कहा कि हर रोज शाम के वक्त पानी भंडारण टैंक निरीक्षण करने की हिदायत दे दी गई है। यदि भंडारण टैंक में मटमैला पानी आता है तो उस स्थिति में दूसरे दिन पानी आपूर्ति नहीं होगी। स्थानीय करसोग के लोगों को साफ पानी पिलाने का हर संभव प्रयास किया जाएगा।

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