बासमती के लिए हिमाचल सबसे बेस्ट

‘कृषि क्रियाएं’ कार्यशाला में वैज्ञानिकों का खुलासा

सुंदरनगर — कृषि विज्ञान केंद्र सुंदरनगर द्वारा मंगलवार को निर्यात योग्य बासमती धान के उत्पादन के लिए कृषि क्रियाएं विषय पर एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का आयोजन एपीडा, उद्योग एवं वाणिज्य मंत्रालय भारत सरकार के बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान के सौजन्य से किया गया। इस कार्यशाला में जिला के विभिन्न विकास खंडों के लगभग 100 धान उत्पादक किसानों ने भाग लिया। इस शिविर में एपीडा भारत सरकार प्रधान वैज्ञानिक डा. रितेश शर्मा मुख्यातिथि के तौर पर उपस्थित हुए। उन्होंने कहा कि प्रदेश को बासमती उत्पादन के क्षेत्र में जियोग्राफिकल इंडिकेटर प्राप्त हुआ है, क्योंकि यहां की जलवायु बासमती धान उत्पादन के लिए अति उपयुक्त है। साथ ही धान में जहरीले कीटशानकों का प्रयोग भी लगभग सीमित ही है। अतः यहां बासमती धान का उत्पादन करके इसके निर्यात से किसानों को अधिक आमदनी प्राप्त हो सकती है। उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि वे अधिक से अधिक क्षेत्र में बासमती धान की खेती करें। इस कार्यशाला में चौधरी श्रवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के धान व गेहूं अनुसंधान केंद्र से आए वैज्ञानिकों ने भी संबोधित किया। प्रधान वैज्ञानिक डा. बीएस मनकोटिया ने बासमती] धान की उत्पादन तकनीक तथा डा. सचिन उपमन्यु ने बासमती धान में लगने वाले विभिन्न रोगों के प्रबंधन की विस्तृत जानकारी किसानों को दी। इस अवसर पर किसानों के साथ केंद्र के वैज्ञानिक डा. शकुंतला राही, डा. डीएस यादव, डा. एलके शर्मा व डा. सुभाष भी उपस्थित रहे।

सुंदरनगर केंद्र में हो रहे प्रयास

कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी वैज्ञानिक डा. पंकज सूद ने किसानों को बासमती धान में कीट प्रबंधन के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र सुंदरनगर लगभग पांच साल से बासमती धान को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयासरत है और जिला में लगभग 500 हेक्टेयर क्षेत्रफल में बासमती धान की खेती की जा रही है। उन्होंने उपस्थित किसानों से आग्रह किया कि वे बासमती धान की खेती को व्यापक पैमाने पर करें, ताकि अधिक से अधिक निर्यातक इस क्षेत्र में आएं और किसानों को उसका अधिक से अधिक लाभ मिल सके।

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