मोरनी के सरकारी भवन जर्जर हालत में

By: Jun 3rd, 2017 12:01 am

पटवार घर-लोक निर्माण विभाग का दफ्तर रो रहे बदहाली का रोना

मोरनी —  मोरनी में सरकार के अपने करोड़ों के भवन रख-रखाव के अभाव में भूतिया भवनों में तबदील हो रहे हैं, जबकि कई सरकारी कार्यालय प्राइवेट किराए के भवनों में चल रहे हैं। सरकारी तंत्र की लापरवाही के चलते मोरनी में दर्जन से ज्यादा सरकारी भवन रख-रखाव के अभाव में ढहने की कगार पर है। यहां पर कभी भी कोई हादसा तो ही सकता है। खस्ताहाल भवनों के खाली होने से यहां पर असामाजिक तत्त्व इन्हें सुरक्षित शरणस्थली बना रहे हैं।  मोरनी सब-तहसील का पटवार घर, लोक निर्माण विभाग का दफ्तर, वन विभाग के जंगलों में बने दर्जनों दरोगा व वन रक्षक आवास, प्राथमिक चिकित्सा केंद्र के मलेरिया प्रभाग का पुराना भवन, डीआरडी, भवन की बिल्डिंग, 33 केवी सब-स्टेशन के रिहायशी क्वार्टर, पर्यटन निगम के कर्मचारियों के रिहायशी क्वार्टर व बीएसएनएल का दूरभाष केंद्र भवन सहित दर्जनभर से अधिक सरकारी भवन अपनी खस्ताहालत के चलते यहां आने वाले लोगों व उसमें बैठकर कार्य करने वाले स्टाफ  के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। वहीं भवन वीरान होने के चलते शरारती तत्त्वों की शरण स्थली बने हुए हैं। मोरनी क्षेत्र का इकलौता पटवार घर जहां अपने भवन की खस्ता हालत बयान कर रहा है। भवन में इस कदर दीमक का आंतक है कि इससे राजस्व रिकार्ड भी प्रभावित हो रहा है। भवन में बिना बरसात के ही सीलन है। न तो भवन की कोई खिड़की और न ही कोई दरवाजा सुरक्षित है। भवन जब से बना तब से एक बार भी रंगाई नहीं करवाई गई। भवन की खस्ता हालत के चलते उसमें बिजली कनेक्शन भी नहीं है, हालांकि मोरनी ब्लॉक की सभी बीस पंचायतों के राजस्व का सारा कार्य इसी भवन में बैठकर हो रहा है,  लेकिन भवन ही हालत किसी से भी छुपी नहीं है। ऐसे ही आधा दर्जन से अधिक सरकारी भवन देखरेख के अभाव में अपनी हालत पर आंसू बहा रहे हैं। प्रशासन से मांग है कि इन भवनों का सर्वे करवा इन भवनों का दुरुपयोग होने से बचाया जाना चाहिए, यदि सरकार व प्रशासन द्वारा इन खस्ताहाल भवनों की सुध ली जाए, तो सरकारी भवनों का किराया बचाया जा सकता है।

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