रेत-बजरी-पत्थर सर्विलेंस से बाहर

By: Jun 26th, 2017 12:15 am

सेटेलाइट से सिर्फ चूना पत्थर की ही निगरानी, सरकार नहीं ले पाई कोई फैसला

newsशिमला – हिमाचल में सेटेलाइट से खनन की सर्विलेंस प्रक्रिया में रेत-बजरी व पत्थर शामिल नहीं किए जा सके हैं। जानकारी मिली है कि उद्योग विभाग ने कार्बोनेट स्टोन यानि चूना पत्थर खनन की सर्विलेंस करने की ही अभी तक छूट दी है। सरकारी स्तर पर अभी इस बात का निर्णय नहीं हो सका है कि रेत-बजरी व पत्थर इस प्रक्रिया में शामिल किए जाने हैं या नहीं। हिमाचल में सबसे ज्यादा अवैध खनन रेत-बजरी व पत्थर का ही होता है। हालांकि बड़े प्रोजेक्टधारक चूना पत्थर के खनन में भी गाहे-बगाहे चपत लगाते आ रहे हैं, मगर इसके अनुपात में रेत-बजरी व पत्थर का अवैध खनन कहीं ज्यादा रहता है। अब इतनी बड़ी सतर्कता के बावजूद रेत-बजरी व पत्थर को इसके दायरे में क्यों नहीं लिया जा सका, यह हैरानी की बात है। 24 घंटे इस तकनीक से प्रदेश के हर हिस्से को कवर किए जाने का प्रावधान है। मिनिस्ट्री ऑफ माइनिंग और भास्कर स्पेस रिसर्च इंस्टीच्यूट ने बीजैक नामक यह तकनीक तैयार की है, जिससे हिमाचल समेत अन्य राज्यों पर प्राकृतिक संसाधनों के अवैध दोहन पर निगरानी रखना मकसद है। इस तकनीक से बावस्ता होने के लिए हिमाचल के अधिकारी पिछले महीने राजस्थान के उदयपुर गए थे। यह ऑटोमेटिक सिस्टम है। इसमें हिमाचल विभिन्न जिलों में माइनिंग पर आधारित लीज की बाउंड्रीज भेजेगा। इसे बीजैक में फीड किया जाएगा। यदि तय लीज की सीमाओं से हटकर कहीं भी अवैध खनन होगा, तो प्रदेश के लिए इसका ट्रिगर जेनरेट होगा, जिसे ब्यूरो ऑफ इंडियन माइन्स के जरिए राज्य को मुहैया करवाया जाएगा। यह केंद्र सरकार की नई तकनीक है, जिसमें राज्यों को कुछ मॉडिफिकेशंस के साथ इसे अपनाने की छूट होगी। मसलन, पहले इसमें मेजर मिनरल का ही प्रावधान है, राज्यों की अनुशंसा से अब इसमें माइनर मिनरल भी शामिल किए गए हैं। यानि चूना पत्थर की खदानों के अलावा रेत, बजरी व पत्थर के खनन पर भी सेटेलाइट के जरिए निगरानी हो सकेगी। उद्योग विभाग के स्टेट जियोलॉजिस्ट रजनीश कुमार का कहना है कि अभी तक मेजर मिनरल की निगरानी हो रही है। माइनर मिनरल की निगरानी के लिए मंजूरी मिलने के बाद इसे भी शामिल किया जाएगा।

प्रदेश में हर साल नौ हजार मामले

प्रदेश में हर साल औसतन आठ से नौ हजार अवैध खनन के मामले सामने आते हैं, जिसमें उद्योग विभाग का माइनिंग विंग साढ़े चार से पांच करोड़ का जुर्माना भी वसूलता है। हिमाचल माइनर-मिनरल यानी रेत-बजरी व पत्थर के अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए यदि पूरी प्रक्रिया को निगरानी के तहत लाने की स्वीकृति देता है, तो प्रदेश को जहां करोड़ों का लाभ होगा, वहीं खनन माफिया पर भी नकेल कसेगी।

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