श्रीगंगानगर में अलॉट नहीं हो रहे मुरब्बे

पौंग विस्थापित राज्य सरकार से भी नाराज, सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं मान रहा राजस्थान

जवाली – सुप्रीम कोर्ट में दो बार केस हारने के बावजूद राजस्थान सरकार उसके फैसले की अवमानना कर रही है और पौंग बांध विस्थापितों को उनका हक नहीं मिल पा रहा है। यह बात प्रदेश पौंग बांध विस्थापित संघर्ष समिति के अध्यक्ष कुलभूषण सिंह ठाकुर ने जवाली में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान कही। उन्होंने कहा कि ज्वालामुखी में होने वाली बैठक में राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के न आने से एक बार फिर से पौंग बांध विस्थापितों को हताश होना पड़ा है। दूरदराज क्षेत्रों में बसे पौंग विस्थापित तो ज्वालामुखी पहुंच गए, लेकिन वसुंधरा राजे बैठक में नहीं पहुंचीं, जिससे उनको एक बार फिर से अनसुना कर दिया गया। उन्होंने कहा कि 1188 मुरब्बों के मसले को तो उठाया ही नहीं गया, जिससे पौंग बांध विस्थापितों के सब्र का बांध टूटता जा रहा है। हिमाचल व राजस्थान सरकार मिलकर पौंग बांध विस्थापितों के हितों से खिलवाड़ कर रही है। पौंग बांध निर्माण के समय किए गए समझौते की भी अवमानना की जा रही है। बांध निर्माण के समय राजस्थान सरकार ने हिमाचल के साथ समझौता किया था कि विस्थापितों को श्रीगंगानगर में मुरब्बे दिए जाएंगे, जिसमें हर मूलभूत सुविधा मुहैया होगी, लेकिन मौजूदा समय में नाचना, मोहनगढ़, जैसलमेर, रामगढ़ में मुरब्बे अलॉट हो रहे हैं तथा इन जगहों पर कोई भी मूलभूत सुविधा दिखाई नहीं देती है। इसके अलावा बार्डर एरिया में मुरब्बे होने के कारण अपनी ही जमीन पर जाने के लिए संबंधित एसडीएम व एसपी कांगड़ा की परमिशन लेनी पड़ रही है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा भी एक फैसले के अनुसार राजस्थान सरकार को निर्देश दिए गए हैं कि 1188 मुरब्बों का आबंटन फेज-वन में होना चाहिए, लेकिन अभी तक राजस्थान सरकार ने ऐसा नहीं किया है। इस मौके पर उपाध्यक्ष मदन मोहन चौधरी, तीर्थ राम, महासचिव प्यारे लाल, उत्तम चंद, हुकम चंद गुलेरी, सोम राज, कर्म चंद, सुशील कुमार, संजीव कुमार व प्रताप सिंह मौजूद रहे।

प्रदेश सरकार के खिलाफ खोलेंगे मोर्चा

पौंग विस्थापितों ने कहा कि अगर प्रदेश सरकार ने हस्तक्षेप कर राजस्थान सरकार के समक्ष मांगों को उठाकर उनको पूरा नहीं करवाया तो हिमाचल सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला जाएगा व जन आंदोलन छेड़ा जाएगा।

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