हाइड्रो कालेज में हाइड्रो इंजीनियरिंग ही नहीं

By: Jun 30th, 2017 12:15 am

नगरोटा बगवां में इसी सत्र शुरू हो रहे बंदलाधार कालेज के लिए कोई स्पेशल सब्जेक्ट तैयार नहीं

newsबिलासपुर —  बंदलाधार में बनने जा रहे हाइड्रो इंजीनियरिंग कालेज के नगरोटा बगवां में बिठाए जा रहे पहले शैक्षणिक सत्र में हाइड्रो पर आधारित कोई स्पेशल सब्जेक्ट ही नहीं है। अभी तक तकनीकी शिक्षा विभाग के पास हाइड्रो पर आधारित सिलेबस भी तैयार नहीं है। प्रदेश के अन्य इंजीनियरिंग कालेजों की तर्ज पर ही हाइड्रो कालेज में भी सिविल, मेकेनिकल, इलेक्ट्रिकल और कम्प्यूटर साइंस जैसे इंजीनियरिंग कोर्स शुरू किए जा रहे हैं। ऐसे में इस कालेज को लेकर संशय बना हुआ है कि यह हाइड्रो कालेज है या फिर प्रदेश में संचालित अन्य की तरह ही इंजीनियरिंग कालेज? तकनीकी शिक्षा विभाग का तर्क है कि हाइड्रो कालेज में पहले सत्र में बीटेक डिग्री में सिविल और इलेक्ट्रिकल कोर्सेज शुरू किए जा रहे हैं। वैसे भी पहले साल शुरू किए जाने वाले कोर्सेज कॉमन होते हैं, जबकि सेकेंड, थर्ड और फोर्थ ईयर में हाइड्रो पर आधारित मॉड्यूल कोर्सेज और इलेक्टिव शुरू किए जाएंगे। काबिले गौर है कि फोर्थ ईयर में प्रोजेक्ट इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग, स्पेशलाइजेशन और वाइवा होते हैं। चौथे साल से एमटेक डिग्री शुरू करने की योजना है, जिसमें सभी विषय हाइड्रो पर आधारित होंगे। मगर अभी भी सवाल यह उठ रहा है कि अभी तक तकनीकी शिक्षा विभाग के पास हाइड्रो पर आधारित मॉड्यूल व इलेक्टिव कोर्सेज शुरू करने के लिए सिलेबस ही तैयार नहीं है।

तीन जुलाई से काउंसिलिंग

पहले शैक्षणिक सत्र से सिविल और इलेक्ट्रिकल विषय शुरू किए जा रहे हैं, जिसमें एडमिशन प्रक्रिया चल रही है और 29 जुलाई तक आवेदन लिए गए हैं, जबकि तीन जुलाई से काउंसिलिंग शुरू की जाएगी। बहरहाल, अब देखना होगा कि हाइड्रो इंजीनियरिंग कालेज में कितने छात्र दाखिले के लिए आते हैं।

…तो सिर्फ एमटेक ही करवाते

हाइड्रो पर आधारित सिलेबस तैयार करने के लिए देश के पहले हाइड्रो इंजीनियरिंग कालेज टिहरी गढ़वाल से बुकलेट ली गई है, जबकि कई पावर प्रोजेक्ट्स से भी चैप्टर तैयार करने को लेकर तकनीकी जानकारी जुटाई जा रही है। जल्द ही तकनीकी शिक्षा विभाग की एक टीम हाइड्रो पर आधारित सिलेबस तैयार किए जाने को लेकर स्टडी के लिए टिहरी गढ़वाल जाएगी। उसके बाद तकनीकी विश्वविद्यालय के माध्यम से सिलेबस तैयार हो पाएगा। इंजीनियरिंग से जुड़े शिक्षाविदों की मानें तो बेहतर होता कि प्रदेश में पहले से ही संचालित इंजीनियरिंग कालेजों में एमटेक हाइड्रोलॉजी सब्जेक्ट शुरू किया जाता या फिर बिलासपुर हाइड्रो कालेज में मात्र एमटेक के लिए ही पढ़ाई करवाई जाती? क्योंकि यदि हाइड्रो कालेज है, तो फिर सब्जेक्ट भी हाइड्रो पर आधारित ही होने चाहिए। ऐसे में हाइड्रो इंजीनियरिंग कालेज का क्या मतलब?

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