अपराधमुक्ति के लिए जनसहयोग जरूरी
कर्म सिंह ठाकुर
लेखक, सुंदरनगर, मंडी से हैं
जब हम प्रदेशवासियों को ही सुरक्षित माहौल नहीं दे सकते, तो पर्यटकों पर हम अपना विश्वास कैसे कायम करेंगे। पहल सरकार को करनी है और सहयोग जनता को करना है। हम अपने घरों में बाहरी राज्य के लोगों को किराए पर रख लेते हैं, पर उनका पुलिस स्टेशन में पंजीकरण करवाना जरूरी नहीं समझते और यही चूक एक बड़े अपराध को जन्म दे जाती है…
पिछले कुछ समय से घटित घटनाओं ने देवभूमि हिमाचल को शर्मसार कर दिया है। हिमाचल प्रदेश विश्व मानचित्र पर ईमानदार, मेहनतकश, कर्मठ व भोले-भाले लोगों की छवि के लिए विख्यात है। वर्तमान में यही हिमाचल भ्रष्टाचार, कुकृत्यों, नशाखोरी का मुख्य अड्डा बनता जा रहा है। कुछ बेरहम लोगों ने मासूम युग की हत्या कर दी, जिसके कंकाल पानी के टैंक से बरामद हुए। कुछ ही दिन पहले फोरेस्ट गार्ड होशियार सिंह की लाश पेड़ पर लटकी हुई मिली और अब दमोठी गांव की मासूम छात्रा के साथ गैंगरेप व हत्या के प्रकरण ने देवभूमि के हर निवासी के होश उड़ा दिए हैं। समझ नहीं आता कि क्या यह वही हिमाचल है, जो अपनी ईमानदारी, कर्मठता व सजगता के लिए जाना जाता था। ऐसा क्या हो गया कि देवों की भूमि आज मासूमों की जान पर खेलने का अमानवीय शौक पालने लग गई। एक तरफ प्रदेश में हत्याकांड, बेईमानी, दरिंदगी बढ़ रही है, जो कि हर प्रदेशवासी को शर्मसार कर रही है। दूसरी तरफ हिमाचली संस्कृति, सभ्यता, समृद्धता, कला व संस्कृति ने अपनी पहचान वैश्विक मंचों पर स्थापित करनी शुरू कर दी है। हाल ही में विश्व के सबसे समृद्ध व ताकतवर राष्ट्र अमरीका के व्हाइट हाउस में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिमाचली टोपी, शॉल, ब्रेसलेट और शहद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भेंट कर हिमाचली संस्कृति व सभ्यता का स्मरण करवाकर हिमाचल का गौरव बढ़ाया। देश व विदेशों से आने वाले पर्यटकों का प्रदेश की हसीन वादियां दिल मोह लेती हैं। प्रदेश में प्राकृतिक सौंदर्य, दैवीय कृपा व समृद्धता की पहुंच हर गांव, गली, कस्बे व शहर में देखने को मिलती है, लेकिन प्रश्न यह पैदा हो गया है कि प्रदेश का जनमानस यदि खुद ही सुरक्षित नहीं है, उसके स्कूलों में अध्ययनरत बालक-बालिकाएं व नाबालिग बेटियां अपने आप को महफूज नहीं मान रहीं, तो देवभूमि की गौरवमयी उपमा आखिर कैसे विद्यमान रहेगी। यही प्रश्न आज हर प्रदेशवासी व हिमाचल से लगाव व प्रेम रखने वाले व्यक्ति के जहन में उठ रहा है। हिमाचली जीवन के मूल्य चीख-चीख कर पूछ रहे हैं कि कैसे कोई हिमाचल में जिए।
युग हत्याकांड, होशियार सिंह की हत्या व कोटखाई की मासूम छात्रा की हत्या ने हर हिमाचली के रौंगटे खड़े कर दिए हैं। उपरोक्त तीनों घटनाओं ने लोगों को न्याय की गुहार के लिए सड़कों पर आने के लिए मजबूर किया है। जनता द्वारा बनाए गए दबाव के बाद अंततः इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई है। अब उम्मीद यही है कि यह संस्था जल्द से जल्द अपनी जांच को अंजाम देकर मामले के दोषियों का अपराध अदालत में साबित करके उन्हें सख्त से सख्त सजा दिलवाए। हिमाचल में बढ़ते अपराध के बीच मुजरिमों को सजा दिलाना और भी जरूरी हो गया है, ताकि प्रदेश में दूसरा कोई इस तरह का वहशियाना कृत्य करने की जुर्रत न करे। इनको मिलने वाली सख्त सजा एक मिसाल बने। प्रदेश में बढ़े अपराध से जहन में यह सवाल भी उठता है कि क्या आज का अपराधी इतना शातिर हो गया है कि वह सुरक्षा तंत्र को भी सेंध लगाकर अपनी मंशाओं को निरंतर पूरा कर रहा है? क्या आज का हिमाचलवासी इतना बुजदिल हो गया है कि ऐसे अपराधियों को पनाह दे रहा है, जो मासूमों व ईमानदारों के खून को पी रहा है। कानून व्यवस्था भी तभी सफल हो सकती है, जब प्रदेशवासी अपने कर्त्तव्यों का निर्वहन पूरी ईमानदारी व निष्ठा से करेंगे। हम अपने अधिकारों के लिए न्यायिक संरक्षण का सहारा लेते हैं, लेकिन कर्त्तव्यों के प्रति सदैव लचीलापन व गैर जिम्मेदाराना रवैया ही देखने को मिलता है।
वर्तमान में सुविधाओं ने हमारा जीवन सरल और सुगम बनाया है, लेकिन अपराधियों को भी उकसाया है। इसी का परिणाम आज की देवभूमि में घटित होने वाली घटनाएं हैं। देवभूमि का हर निवासी शर्मसार है और असुरक्षित महसूस कर रहा है। ऐसे में अब हर हिमाचली को जागना होगा तथा दोषियों, दरिंदों व अपराधियों को सजा दिलवाने में सजगता व ईमानदारी से प्रशासन की सहायता करनी चाहिए। और यह केवल प्रशासन की जिम्मेदारी ही नहीं है, बल्कि प्रदेश के हर आम-ओ-खास का कर्त्तव्य है कि वह प्रदेश को अपराधमुक्त करने में अपना सहयोग करे। क्योंकि अकेले सरकार भी अपराध को खत्म करने में सक्षम नहीं हो सकती। इसमें जनसहभागिता भी उतनी ही जरूरी है। आज कोटखाई का यह मामला राष्ट्र स्तर पर उजागर हुआ है और इससे हिमाचल की छवि धूमिल हुई है। तो हम कैसे उम्मीद करें कि पर्यटक हिमाचल घूमने आएं। जब हम प्रदेशवासियों को ही सुरक्षित माहौल नहीं दे सकते, तो पर्यटकों पर हम अपना विश्वास कैसे कायम करेंगे। पहल सरकार को करनी है और सहयोग जनता को करना है। हम अपने घरों में बाहरी राज्य के लोगों को किराए पर रख लेते हैं, पर उनका पुलिस स्टेशन में पंजीकरण करवाना जरूरी नहीं समझते और यही चूक एक बड़े अपराध को जन्म दे जाती है। अगर हमें समाज को अपराध से सुरक्षित रखना है, तो हर छोटी से छोटी संदिग्ध चीज का भी संज्ञान लेना होगा। सिर्फ सरकार के भरोसे बैठे रहकर हम समाज को अपराधमुक्त नहीं कर सकते, योगदान हमें भी देना होगा।
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