आंखें खोलने वाली रपट
(स्वास्तिक ठाकुर, पांगी, चंबा)
सरकारी कामकाज की समीक्षा करने वाली संस्था कैग ने एक और दहला देने वाला खुलासा किया है। यह खुलासा इसलिए भी भयावह है, क्योंकि यह सीधे-सीधे राष्ट्रीय सुरक्षा के मसले को संबोधित करता है। इसी की एक चौंकाने वाली रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि सेना के पास सिर्फ दस दिन युद्ध लायक गोला-बारूद उपलब्ध है। ताज्जुब होता है कि यह खुलासा तब हो रहा है, जब दो वर्ष पहले ही कैग गोला-बारूद के कम होते भंडार पर चेतावनी दे चुका था। जिस तरह से पाकिस्तान और चीन धमकियों की भाषा पर उतर आए हैं, यह तथ्य जरूर चिंतित करने वाला है। हालांकि विभिन्न सरकारों के समय राष्ट्रीय सुरक्षा का विषय सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल रहा है। इसके लिए बाकायदा बजट का एक बड़ा हिस्सा खर्च किया जाता रहा है। उसके बावजूद यदि हालात इतने दयनीय है, तो चिंता होना स्वाभाविक ही है। देश की सुरक्षा के मामले में इस तरह का खिलवाड़ हरेक देशवासी के लिए चिंता की बात है। केंद्र की मोदी सरकार के अब तक के कार्यकाल में भी रक्षा क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिया जाता रहा है, तो फिर यह नाकामी क्यों? क्यों कैग की एक चेतावनी के बावजूद हम असलह-बारूद की जरूरत मुताबिक उपलब्धता सुनिश्चित करने में विफल रहे हैं? केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को इस मसले पर गंभीरता से विचार करके भविष्य में अपनी रक्षा नीति में यथोचित सुधार करना होगा।
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