कश्मीर में चीन का ‘आतंक’!

By: Jul 17th, 2017 12:02 am

कश्मीर के आतंकवाद में चीन का भी दखल है। चीन ने भी अब हाथ डालना शुरू कर दिया है। यह बदकिस्मती की बात है। चीन के आतंकी दखल की स्थापना नई है, लेकिन यह किसी का आरोप नहीं है, जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती का सार्वजनिक कथन है। केंद्र्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात के बाद महबूबा का बयां हुआ है, जाहिर है कि गृह मंत्री के साथ अन्य गोपनीय सूचनाएं भी साफ हुई होंगी, लेकिन कश्मीर में चीन का दखल वाकई एक बेहद गंभीर परिस्थिति है। भारत और कश्मीर के लिए संभव है कि चीन आतंकियों की सप्लाई भी करता होगा। रक्षा विशेषज्ञ पीके सहगल की स्थापना है कि पाकिस्तान के बंकरों में चीन के सैनिक भी देखे जाते रहे हैं। हालांकि कश्मीर के मुद्दे पर चीन ने मध्यस्थ भूमिका की पेशकश भारत सरकार से की थी, लेकिन इसने इनकार कर दिया गया, क्योंकि भारत के लिए यह द्विपक्षीय मुद्दा है और भारत, पाकिस्तान से द्विपक्षीय बातचीत ही करना चाहता है। लेकिन मुख्यमंत्री महबूबा के बयान ने चीन का नया चेहरा ही बेनकाब कर दिया है। बेशक अब पाकिस्तान चीन का मोहरा है। चीन के तीन हजार किलोमीटर के आर्थिक कोरिडोर का रास्ता गिलगिट, बाल्टीस्तान से होकर गुजरता है। ये पीओके के ही इलाके हैं और पीओके भी बुनियादी तौर पर कश्मीर ही है, जिस पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा है। जब आर्थिक कोरिडोर बनना शुरू हुआ था, तब इस इलाके में चीन के करीब 11 हजार सैनिकों की सक्रियता देखी जा सकती थी। आज भी मजदूर के तौर पर करीब तीन हजार चीनी पीओके में सक्रिय है। वे कौन हैं, इसकी शिनाख्त कौन करेगा ? चीन ने जैश-ए-मोहम्मद आतंकी संगठन के सरगना मसूद अजहर की संयुक्त राष्ट्र संघ में पैरोकारी की है और वीटो का इस्तेमाल करते हुए उसे पाबंदी से बचाया है। संभव है कि चीन ने जैश के आतंकियों को कश्मीर में भेजना शुरू किया हो। पाकिस्तान की हुकूमत ने पीओके में इतना बड़ा भू-भाग चीन को तोहफे के तौर पर दिया है कि वहां के 51 प्रोजेक्टों में चीन ने भारी निवेश किया है। उनमें से 19 प्रोजेक्ट्स तो पूरे भी हो चुके हैं। चीन पीओके में आधारभूत ढांचा भी तैयार कर रहा है। ऐसा लगता है कि पीओके के कई गौरतलब इलाकों पर चीन का कब्जा हो जाएगा और फिर कश्मीर भारत-पाकिस्तान-चीन के दरमियान विवाद का मुद्दा बन जाएगा। ये संकेत सामान्य नहीं, बेहद खतरनाक हैं। बीते दिनों चीन के सरकारी अखबार में एक लेख छपा था, जिसमें कश्मीर के साथ-साथ लद्दाख को भी पाकिस्तान का हिस्सा करार दिया गया था। चीन धमकी के लहजे में बोलता है कि जिस तरह डोकलाम क्षेत्र में भारत ने दखल देकर चीन को सड़क निर्माण से रोका है, इसी तरह पाकिस्तान के आग्रह पर वह कश्मीर में तीसरे देश की सेना घुसा सकता है। बेशक चीन के मंसूबे हमलावर हैं और वह कश्मीर के आतंकवाद का तीसरा पक्ष बनना चाहता है। पाकिस्तान का ज्यादातर परमाणु कार्यक्रम और हथियार, विमान, पनडुब्बी आदि चीन के ही हैं। लिहाजा कश्मीर की लड़ाई बेहद गंभीर परिस्थितियों में लड़ी जानी है। कश्मीर के हालात 1989-90 की तुलना में बदतर है। हालांकि अलगाववादी नेता बूढ़े और बीमार हो गए हैं, लेकिन उनकी जगह जो ‘पत्थरबाज जमात’ सामने आई है, वह और भी ज्यादा पाकपरस्त है। यह त्राल में सेना और सुरक्षाबलों के हालिया आपरेशन के दौरान भी देखा गया है कि किस तरह आतंकियों को बचाने के लिए स्थानीय नौजवानों की एक भीड़ ने, अपने ही देश के जवानों पर, पत्थरों की बौछार की। बहरहाल संदर्भ चीन का है, लिहाजा कूटनीति राष्ट्रीय स्तर पर तैयार करनी होगी। सेनाओं को एक ‘अवांछित युद्ध’ के लिए भी तैयार रहना चाहिए।

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