कांग्रेस में शिलालेखों का युद्ध

By: Jul 28th, 2017 12:02 am

राजनीति अब परिवहन मंत्री जीएस बाली के जन्मदिन को समझने लगी है, इसलिए समागम की उपस्थिति के मायने हिमाचल कांग्रेस के एक हिस्से को रास आते हैं। यह वर्तमान दौर की सियासत है, इसलिए शिलालेखों का युद्ध स्पष्ट है। नगरोटा बगवां का पूर्ण सत्य भी यही है कि परिवहन मंत्री ने तसल्ली से विकास की गंगा बहाई और अपनी सरकार के हर काम को यहां देखा। यह बात यहां पहुंचे तमाम नेताओं के लिए भी बानगी की तरह है कि किस तरह उनका एक सहयोगी मंत्री इस कद्र सरकार पर हावी होकर नगरोटा की फिजाओं में ‘बाली जिंदाबाद’ की आवाज बुलंद कर लेता है। वैसे घोषित रूप से बाली ने अपने महोत्सव की शुरुआत में मुख्यमंत्री से मतभेद  की बात की, लेकिन मनभेद को नकारा। यानी तरक्की का यह भी एक नजारा है कि किस तरह एक काबीना मंत्री मतभेद की राह पर भी विकास बटोर सकता है। समारोह में विद्या स्टोक्स, ठाकुर कौल सिंह, विधानसभा अध्यक्ष बीबीएल बुटेल व धनी राम शांडिल जैसे मंत्री भी देख सकते हैं बाली के शिलालेख। धर्माणी, सोहन लाल व सिपहिया जैसे नेताओं का सत्ता पक्ष अगर नगरोटा में चमक रहा है, तो उस जादू को भी समझना होगा, जो बाली के कारण हो रहा है। कहना न होगा कि आज की तारीख में बाली समारोह को समझना, हर तरह की राजनीति की मजबूरी है। इसलिए परिवहन मंत्री के जश्न में पंजाब के विधायक तथा आप जैसी पार्टी के पंजाब प्रवक्ता भी शिरकत करते हैं। यह दीगर है कि जब बाली समारोह अपने उत्साह से भरा था, तो पूरे प्रदेश में विपक्ष मुख्यमंत्री के पुतले फूंक रहा था। कोटखाई गुस्से का सारा ठीकरा मुख्यमंत्री पर फूट रहा है, जबकि बाली जन्मदिन समारोह के ठहाकों के बीच कांग्रेस का अलग कुनबा नगरोटा में दिखाई देता रहा। इसे हम केवल समारोह की परिधि में नहीं देख सकते, क्योंकि सरकार और संगठन के फासलों के बीच नगरोटा का कदमताल भी अपनी तरह की महत्त्वाकांक्षा है। अपने घोषित मतभेद की पताका उठाकर अगर बाली चल रहे हैं, तो इसकी छांव में वरिष्ठ नेताओं का हाजिर होना अपने आप में नए समीकरणों का निचोड़ हो सकता है। दूसरी ओर राजनीति के वर्तमान में भविष्य का दीदार करने के लिए नगरोटा एक प्रयोगशाला की तरह भी हो सकता है। जो नेता वीरभद्र सिंह सरकार में सुस्त रहे या अपने दायित्व की कसौटी पर असफल दिखाई दिए, उनके लिए बदलती राजनीति का एक नजारा यह जन्म महोत्सव हो सकता है। किसी भी विधानसभा के भविष्य की परिकल्पना को निरंतरता से सींचना और अपने प्रदर्शन को कामयाब बनाए रखने की कला में माहिर यह शख्स कहीं न कहीं विपक्ष के बीच भी चर्चा का विषय बन जाता है, तो कांग्रेस के वर्तमान में प्रासंगिकता की निशानी और क्या होगी। बेशक बाली अपने साथ समूचे कांगड़ा जिला का प्रदर्शन इस समारोह में न कर पाए हों, लेकिन प्रदेश की महत्त्वाकांक्षा में इनके साथ वरिष्ठ मंत्रियों का नजर आना, नजरअंदाज नहीं हो सकता। इससे हम बाली के ध्रुव का अंदाजा तो नहीं लगा सकते, लेकिन सरकार से संगठन तक परिवहन मंत्री ने खुद को पारंगत साबित करने का हर शिलालेख स्थापित किया है। विधानसभा में विकास की उपलब्धियों के अलावा राजनीतिक समीकरण को अपने लायक बनाने के कौशल में, कांग्रेस का भविष्य नत्थी रखा, फिर भी भाजपा की संभावनाओं में अपनी निजी क्षमता को सदा वांछित बनाए रखा। यानी भाजपा मान चुकी है कि नगरोटा का दुर्ग बाली का ही रहेगा या परिस्थितियां बदलने के लिए उत्तराखंड के प्रयोग को दोहराने के लिए मोहजाल फेंक रही है। जो भी हो एक जन्मदिन समारोह का राजनीतिक महत्त्व और भी बढ़ जाता है, अगर नेता के साथ कतार बनने लगे। ऐसे में नगरोटा बगवां की हाजिरी में राजनीतिक समुदाय अपने चिन्ह जरूर देखेगा, जबकि चुनाव की बहस में जो बिंदु यहां उभर रहे हैं, उनका मकसद परिवर्तन के विकल्पों को साझा करना ही माना जाएगा। रंगारंग कार्यक्रम की ख्याति में कांग्रेस की पलकें, जितनी बाली के लिए खुल रही हैं, उससे हटकर भी पार्टी का वजूद जो कुछ देख रहा है, उसकी बहस यहीं खत्म नहीं होती। पार्टी की दिल्ली पेशी के बाद सीधे नगरोटा की मंजिल पर कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सुखविंदर सुक्खू का शगुन इस मौके पर लिफाफाबंद मजमून रहा, तो ऐसे में शामियाने के नीचे पसरती राजनीति का अंजाम क्या होगा।

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